आस्था

इसी गांव में योगी मछंेद्रनाथ भी भिक्षा मांग रहे थे। उन्होंने जब इस अपूर्व घटना को सुना तो यह तुरंत समझ गए कि यह सब संजीवनी विद्या के मंत्रों के प्र्रभाव से हुआ है। ग्रामवासियों की भीड़ मिट्टी का बोलता बालक देखने को अपने घरों से चल पड़ी और कुछ ही देर में गोरख नाथ

नर तथा नारायण ने अपने लिए बदरीवन को चुना तथा वहीं घोर  तप भी किया। धर्म, ज्ञान व भक्ति का भी विस्तार किया। अनेक ऋषि-मुनि उनके शिष्य बने, ज्ञान पाया। आज भी बदरीवन में कुछ भक्तों को नर तथा नारायण के दर्शन हो जाते हैं… नर तथा नारायण दोनों ऋषि माता मूर्ति के गर्भ से

ओशो मृत्यु के संबंध में सबसे पहली बात समझने जैसी है कि मृत्यु एक झूठ है। मृत्यु होती ही नहीं, यह सर्वाधिक भ्रामक बातों में से एक है। मृत्यु एक और झूठ की छाया है। उस दूसरे झूठ का नाम है अहंकार। मृत्यु अहंकार की छाया है। क्योंकि अहंकार है, इसलिए मृत्यु भी प्रतीत होती

वहीं आठ-दस घंटे की-बोर्ड पर काम करने से अचानक अंगुलियों  और कलाइयों में दर्द होने लगता है, जो कई बार बहुत ही असहनीय हो जाता है… आज के दौर में जब सभी काम कम्प्यूटर के एक क्लिक पर हो जाते हैं। वहीं आठ-दस घंटे की-बोर्ड पर काम करने से अचानक अंगुलियों  और कलाइयों में दर्द

गीशो दस वर्ष की उम्र में जेन साधिका बन गई थी। आश्रम में उसका लालन-पालन लड़कों की तरह हुआ। सोलह वर्ष की होने के बाद गीशो जेन सीखने की पिपासा में एक से दूसरे आश्रम घूमने लगी। इसी क्रम में गीशो तीन उंजान और छह वर्ष गुकेई जेन गुरुओं के आश्रम में रही। उसकी जेन

*  एक गिलास गर्म पानी में दो चम्मच चाय की पत्ती उबालकर  ठंडा कर लें और इसमें नींबू निचोड़ लें। इस पानी से बालों को धोने से बाल चमकदार और  मुलायम हो जाते हैं और झड़ना बंद हो जाते हैं। *  सूखे आंवले को रात को पानी में भिगोकर रख दें। सुबह इस पानी से

सौंदर्य के क्षेत्र में शहनाज हुसैन एक बड़ी शख्सियत हैं। सौंदर्य के भीतर उनके जीवन संघर्ष की एक लंबी गाथा है। हर किसी के लिए प्रेरणा का काम करने वाला उनका जीवन-वृत्त वास्तव में खुद को संवारने की यात्रा सरीखा भी है। शहनाज हुसैन की बेटी नीलोफर करीमबॉय ने अपनी मां को समर्पित करते हुए

श्रीराम शर्मा दरिद्रता भयानक अभिशाप है। इससे मनुष्य के शारीरिक, पारिवारिक, सामाजिक, मानसिक एवं आत्मिक स्तर का पतन हो जाता है। कहने को कोई कितना भी संतोषी, त्यागी एवं निस्पृह क्यों न बने, किंतु जब दरिद्रता जन्य अभावों के थपेड़े लगते हैं तब कदाचित ही कोई ऐसा धीर गंभीर निकले जिसका अस्तित्व कांप न उठता

मौजूदा समय में कम्प्यूटर के बिना काम करना शायद असंभव है, लोग घंटों कम्प्यूटर के सामने बैठकर काम करते हैं। घंटों कम्प्यूटर के सामने बैठने के कारण इससे निकलने वाली नीली रोशनी से सबसे अधिक नुकसान आंखों को होता है। इसके कारण आंखों की रोशनी कम होती है। इसके अलावा लगातार कम्प्यूटर पर काम करने