दखल

हिमाचल आज किसी पहचान का मोहताज नहीं। छोटे से राज्य की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कायम है, जिसका रुतबा निरंतर बढ़ता जा रहा है। आज हिमाचल अपनी स्वर्ण जयंती मना रहा है और यहां तक पहुंचे हिमाचल ने कई उतार-चढ़ाव देखे। आज हिमाचल हर क्षेत्र में सिरमौर है और इसकी उन्नति के लिए हर हिमाचल

हिमाचल प्रदेश में हर जगह कोचिंग सेंटर्स व अकादमियों की भरमार है। 90 के दशक से इक्का-दुक्का अकादमियों के साथ शुरू हुआ सिलसिला अब सैकड़ों का आंकड़ा पार कर गया है। बड़ी नौकरी की ख्वाहिश लिए बाहर जाने वाले छात्रों के लिए ये अकादमियां कहीं न कहीं उनके लिए घर में तैयारी कर एचएएस-आईएएस-डाक्टर-इंजीनियर बनने

हिमाचल प्रदेश में हर जगह कोचिंग सेंटर्स व अकादमियों की भरमार है। 90 के दशक से इक्का-दुक्का अकादमियों के साथ शुरू हुआ सिलसिला अब सैकड़ों का आंकड़ा पार कर गया है। बड़ी नौकरी की ख्वाहिश लिए बाहर जाने वाले छात्रों के लिए ये अकादमियां कहीं न कहीं उनके लिए घर में तैयारी कर एचएएस-आईएएस-डाक्टर-इंजीनियर बनने

हिमाचल प्रदेश का प्रमुख व्यवसाय खेती है। यह राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह 69 प्रतिशत कामकाजी आबादी को सीधा रोजगार मुहैया करवाती है। कृषि और उससे संबंधित क्षेत्र से होने वाली आय प्रदेश के कुल घरेलू उत्पाद का 22.1 प्रतिशत है। अहम सवाल यह है कि परंपरागत खेती के लिए मशहूर

हिमाचल प्रदेश में कोचिंग व एकेडमी का चलन बहुत पहले से जारी है, लेकिन अब वक्त के साथ इनकी जरूरत बढ़ने लगी है। 90 के दशक से इक्का-दुक्का अकादमियों के साथ शुरू हुआ सिलसिला अब सैकड़ों का आंकड़ा पार कर गया है। बड़ी नौकरी की ख्वाहिश लिए बाहर जाने वाले छात्रों के लिए ये अकादमियां

हिमाचल प्रदेश में कोचिंग व एकेडमी का चलन बहुत पहले से जारी है, लेकिन अब वक्त के साथ इनकी जरूरत बढ़ने लगी है। 90 के दशक से इक्का-दुक्का अकादमियों के साथ शुरू हुआ सिलसिला अब सैकड़ों का आंकड़ा पार कर गया है। बड़ी नौकरी की ख्वाहिश लिए बाहर जाने वाले छात्रों के लिए ये अकादमियां

हिमाचल प्रदेश में कोचिंग व एकेडमी का चलन बहुत पहले से है, लेकिन अब वक्त के साथ इनकी जरूरत बढ़ने लगी है। 90 के दशक से इक्का-दुक्का अकादमियों के साथ शुरू हुआ सिलसिला अब सैकड़ों का आंकड़ा पार कर गया है। बड़ी नौकरी की ख्वाहिश लिए बाहर जाने वाले छात्रों के लिए ये अकादमियां कहीं

प्रदेश की आर्थिकी मजबूत करने में ‘बागबानी’ बहुत अहम है। पहले से अब की स्थिति देखें, तो बागबानी अपनाने में लोग रुचि दिखा रहे हैं। उस परनई परियोजनाएं भी लोगों के लिए वरदान बन रही हैं। सेब बहुल राज्य हिमाचल में अब अमरूद, लीची और कीवी का भी प्रचलन बढ़ता जा रहा है। हर साल बागबानी का एरिया बढ़ता ही जा रहा है। हिमाचल में क्या है वर्तमान स्थिति...पेश है दखल का भाग-2

हिमाचल की आर्थिकी मजबूत करने में ‘बागबानी’ सबसे अहम है। पहले से अब की स्थिति देखें, तो बागबानी अपनाने में लोग रुचि दिखा रहे हैं। उस पर नई परियोजनाएं भी लोगों के लिए वरदान बन रही हैं। सेब बहुल राज्य हिमाचल में अब अमरूद, लीची और कीवी का भी प्रचलन बढ़ता जा रहा है। हर साल बागबानी का एरिया बढ़ता ही जा रहा है। हिमाचल में क्या है बागबानी की वर्तमान स्थिति...पेश है दखल (भाग-1)