प्रतिबिम्ब

सपना नेगी, मो.-9354258143 बोली किसी भी समाज के निर्माण, विकास, अस्मिता, सामाजिक एवं सांस्कृतिक पहचान को परखने का महत्त्वपूर्ण साधन है। बोली ज्ञान के बिना उस समाज के इतिहास और परंपराओं को मौलिक रूप में समझना मुश्किल ही नहीं, असंभव भी है। बिना इसके जो भी ज्ञान प्राप्त होगा, वह आधा-अधूरा ही होगा, उसे परिपूर्ण

फगवाड़ा (पंजाब) निवासी प्रतिष्ठित लेखक डा. जवाहर धीर इस बार सामाजिक विद्रूपताओं पर प्रहार करते व्यंग्य संग्रह ‘टेढ़ी गर्दनों वाला शहर’ लेकर आए हैं। इस व्यंग्य संग्रह में 18 आलेख संकलित हैं। राजमंगल प्रकाशन अलीगढ़ से प्रकाशित इस व्यंग्य संग्रह की कीमत 199 रुपए है। संग्रह का हर व्यंग्य आलेख सामाजिक विद्रूपताओं पर व्यंग्यात्मक भाषा

कुशल कुमार, मो.-9869244269 ‘पहल’ में छपे एक लेख के अनुसार 70 साल में हलाक हुई 300 जुबानें, एक सौ छियानवे बोलियां निशाने पर हैं। सच में यह बहुत बड़ा सांस्कृतिक संकट है। दिन-प्रतिदिन छोटी होती जा रही इस दुनिया में हमारे लिए अपनी मां बोलियों की भाषायी विरासत को सहेजना मुश्किल होता जा रहा है।

साहित्य की अमृत बेला में किसी लेखक का परिचय उसके जाने के बाद भी गमगीन चिन्हों में जान फूंकने की ऐसी मशक्कत है, जो यादों को कभी खंडहर नहीं होने देती। श्रीनिवास श्रीकांत की मृत्यु के दुखद समाचार ने कमोबेश हर साहित्यिक मन में प्रतिध्वनि पैदा की और एक साथ कितनी ही कविताएं, कहानियां, समीक्षाएं

अतिथि संपादक : डा. गौतम शर्मा व्यथित विमर्श के बिंदु हिमाचली लोक साहित्य एवं सांस्कृतिक विवेचन -39 -लोक साहित्य की हिमाचली परंपरा -साहित्य से दूर होता हिमाचली लोक -हिमाचली लोक साहित्य का स्वरूप -हिमाचली बोलियों के बंद दरवाजे -हिमाचली बोलियों में साहित्यिक उर्वरता -हिमाचली बोलियों में सामाजिक-सांस्कृतिक नेतृत्व -सांस्कृतिक विरासत के लेखकीय सरोकार -हिमाचली इतिहास

शिवा पंचकरण, मो.-8894973122 लोकसाहित्य किसी भी समाज के खानपान, वेशभूषा, परंपराओं, बोलियों, भाषाओं, लिपियों, तीज-त्योहारों व मान्यताओं का घोतक होता है। लोक संस्कृति को निरंतर संरक्षित करते हुए, श्रुति ज्ञान परंपरा का निर्वाह करते हुए लोकसाहित्य लोक संस्कृति की एक शाखा के रूप में लगातार कार्य करता रहा है। सरल शब्दों में मनुष्य की उत्पत्ति

लेखक डा. धर्मपाल साहिल ‘अध्यापक : एक जीवनी’ (अध्यापकीय संस्मरण) लेकर आए हैं। डा. हरमहेंद्र सिंह बेदी इसके संपादक हैं। अध्यापन से मिले अनुभवों को 278 पृष्ठों में समेटा गया है।इंडिया नेटबुक्स प्रा. लि. नोएडा इसके प्रकाशक हैं। पुस्तक का मूल्य 450 रुपए है। धर्मपाल साहिल का यह साहित्यिक प्रयास नया एवं मौलिक है। चार

मो.- 9418130860 अतिथि संपादक:  डा. गौतम शर्मा व्यथित विमर्श के बिंदु हिमाचली लोक साहित्य एवं सांस्कृतिक विवेचन -38 -लोक साहित्य की हिमाचली परंपरा -साहित्य से दूर होता हिमाचली लोक -हिमाचली लोक साहित्य का स्वरूप -हिमाचली बोलियों के बंद दरवाजे -हिमाचली बोलियों में साहित्यिक उर्वरता -हिमाचली बोलियों में सामाजिक-सांस्कृतिक नेतृत्व -सांस्कृतिक विरासत के लेखकीय सरोकार -हिमाचली

जूनियर इंजीनियर इलेक्ट्रिकल की लिखित परीक्षा में चार पास कार्यालय संवाददाता— हमीरपुर हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर ने जूनियर इंजीनियर (इलेक्ट्रिकल) (पोस्ट कोड 802) की लिखित परीक्षा का परिणाम घोषित कर दिया है। आयोग सचिव डा. जितेंद्र कंवर ने बताया कि एक पद के लिए 1803 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। इनमें से 1410