प्रतिबिम्ब

विमर्श के  बिंदु अतिथि संपादक : डा. गौतम शर्मा व्यथित हिमाचली लोक साहित्य एवं सांस्कृतिक विवेचन -13 -लोक साहित्य की हिमाचली परंपरा -साहित्य से दूर होता हिमाचली लोक -हिमाचली लोक साहित्य का स्वरूप -हिमाचली बोलियों के बंद दरवाजे -हिमाचली बोलियों में साहित्यिक उर्वरता -हिमाचली बोलियों में सामाजिक-सांस्कृतिक नेतृत्व -सांस्कृतिक विरासत के लेखकीय सरोकार -हिमाचली इतिहास

डा. सुशील कुमार फुल्ल मो.-9418080088 कोविड-19 की महामारी ने वर्ष 2020 को हर प्रकार से तहस-नहस कर दिया, मानो सारी दुनिया एकाएक ठहर गई हो। साहित्य किसी भी विपत्ति में सांत्वना एवं मरहम का काम करता है, परंतु साहित्यकार भी इसकी चपेट में आ गए हों तो दूसरों को कैसी सांत्वना और कैसी हलाशेरी। शांता

पुस्तक समीक्षा साहित्य, कला एवं संस्कृति की त्रैमासिक पत्रिका ‘पुष्पगंधा’, जिसका प्रकाशन अंबाला से हो रहा है, का अगस्त-अक्तबूर 2020 का अंक साहित्यकार माला वर्मा (बिहार) के कृतित्व को समर्पित है। आत्मकथ्य में माला वर्मा ने साहित्यकार बनने तक के सफर में आई बाधाओं को उभारा है। प्रख्यात कथाकार मिथिलेश्वर जी को वह अपना गुरु

लोकसाहित्य की दृष्टि से हिमाचल कितना संपन्न है, यह हमारी इस नई शृंखला का विषय है। यह शृांखला हिमाचली लोकसाहित्य के विविध आयामों से परिचित करवाती है। प्रस्तुत है इसकी 12वीं किस्त… आचार्य ओमप्रकाश ‘राही’ मो.-8278797150 कहने की आवश्यकता नहीं कि साहित्य समाज का दर्पण होता है और संस्कृति उस दर्पण में झांकने का प्रयास।

लोकसाहित्य की दृष्टि से हिमाचल कितना संपन्न है, यह हमारी इस नई शृंखला का विषय है। यह शृांखला हिमाचली लोकसाहित्य के विविध आयामों से परिचित करवाती है। प्रस्तुत है इसकी 11वीं किस्त… मो.- 9418130860 विमर्श के बिंदु अतिथि संपादक : डा. गौतम शर्मा व्यथित हिमाचली लोक साहित्य एवं सांस्कृतिक विवेचन -11 -लोक साहित्य की हिमाचली

पुस्तक समीक्षा राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय धर्मशाला की हिंदी विभागाध्यक्ष डा. मीनाक्षी दत्ता साहित्य प्रेमियों के लिए शोध लेकर आई हैं। इस शोध प्रकाशन का नाम है ‘मध्यकालीन कृष्ण काव्य के परिप्रेक्ष्य में हिमाचली लोकगीतों का अनुशीलन’। डा. मीनाक्षी दत्ता का कहना है कि प्रस्तुत शोध प्रबंध पर हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से वर्ष 1993 में उपाधि

डा. राकेश कपूर, मो.-9418495128 -गतांक से आगे… चित्रकला में भी मंडी जनपद का अलग स्थान है, जिसे मंडी कलम के नाम से जाना जाता है। 19वीं शताब्दी के प्रारंभ में जब राजा ईश्वरी सेन कांगड़ा से मंडी आए तो सजनूं नामक कांगड़ा शैली के एक चित्रकार को अपने साथ लेकर आए। तत्पश्चात मुगल शैली के

जयंती विशेष डा. धर्मवीर भारती आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक थे। वह साप्ताहिक पत्रिका ‘धर्मयुग’ के प्रधान संपादक भी रहे। डा. धर्मवीर भारती को 1972 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उनका उपन्यास ‘गुनाहों का देवता’ हिंदी साहित्य के इतिहास में सदाबहार माना जाता है। धर्मवीर भारती का जन्म

डा. जन्मेजय गुलेरिया मो.-9805065132 लोकगीतों का माधुर्य आदिकाल से मानव हृदय को आंदोलित व आनंदित कर रहा है। यद्यपि इन गीतों में स्वर, लय, ताल व छंद के नियमों का कोई शास्त्रीय अनुशीलन नहीं है, लेकिन इनका संगीतात्मक अध्ययन करने पर यह उद्घाटित हुआ कि इन लोकगीतों में अधिकतर काफी, देशकार, यमन, दुर्गा, भीमपलासी, झिंझोटी,