प्रतिबिम्ब

पवन चौहान, मो.-9418582242 -गतांक से आगे… अन्य वरिष्ठ लेखक हैं शशिकांत शास्त्री जी। इन्होंने बाल साहित्य में बाल कविता और गीतों की रचना के साथ बच्चों को बाल नाटकों के माध्यम से मंच प्रदान करवाया है। इन्होंने बच्चों के लिए प्रेरक प्रसंग भी लिखे हैं। साहित्यकार त्रिलोक मेहरा जी जहां हिमाचल की कहानी में विशेष

अशोक सिंह गुलेरिया, मो.-9453939270 अगर किसी भी भाषा में श्रेष्ठ साहित्य लिखा-पढ़ा और समझा जाता है तो उसका प्रभाव हर भाषा पर पकड़ अथवा रुचि रखने वालों पर अवश्य पड़ता है। और जब किसी समाज पर साहित्य का प्रभाव पड़ता है तो उस समाज के भीतर एक नए समाज का उदय होता है। हिमाचल प्रदेश

लंबे समय से हिंदी और पहाड़ी में गजल लिख रहे पवनेंद्र पवन का हिंदी गजल संग्रह ‘उसे दुख धरा का सुनाना पहाड़ो’ प्रकाशित हुआ। संग्रह की गजलें मानव मात्र के दुख-संघर्ष का रचनात्मक दस्तावेज है। शिल्प और कथ्य दोनों धरातलों पर मजबूत पांव गड़ाए उनकी रचना प्रक्रिया में सुबह के उगने और सांझ के ढलने

साहित्य के कितना करीब हिमाचल-16 अतिथि संपादकःडा. हेमराज कौशिक विमर्श के बिंदु * हिमाचल के भाषायी सरोकार और जनता के बीच लेखक समुदाय * हिमाचल का साहित्यिक माहौल और उत्प्रेरणा, साहित्यिक संस्थाएं, संगठन और आयोजन * साहित्यिक अवलोकन से मूल्यांकन तक, मुख्यधारा में हिमाचली साहित्यकारों की उपस्थिति * हिमाचल में पुस्तक मेलों से लिट फेस्ट

पवन चौहान, मो.-9418582242 -गतांक से आगे… हिमाचल के अन्य वरिष्ठ साहित्यकारों में एक नाम ओमप्रकाश सारस्वत जी का भी आता है। लंबे समय से लेखन में रमे ओमप्रकाश जी ने प्रौढ़ साहित्य संग बाल साहित्य में भी अपना रचनाकर्म किया है। बाल लेखन में कविता, नाटक आदि द्वारा भारतीय संस्कृति के श्रेष्ठ मानवीय, राष्ट्रीय मूल्यों

‘दृष्टि’ पत्रिका की खासियत यह रही है कि उसका प्रत्येक अंक विशेषांक होता है। पत्रिका का आठवां अंक है-‘‘मेरी प्रिय लघुकथाएं।’’ यह प्रयोग कहानी में हो चुका है और हिंदी के प्रख्यात कहानीकारों के संकलन प्रकाशित हो चुके हैं-‘मेरी प्रिय कहानियां।’ विधा के तौर पर अब लघुकथा पर सवाल नहीं किए जाने चाहिए, क्योंकि कुछ

सुरेंद्र मिन्हास मो.-7018927464 किसी भी देश के रूप-स्वरूप का दर्पण उस देश का साहित्य होता है। जिस देश का साहित्य जितना समृद्ध होता है, वह देश समस्त विश्व को उतना ही प्रकाश पुंज की तरह प्रकाशित करता है। पूरा विश्व समुदाय ऐसे देश को प्रेरणा स्रोत मान कर उन साहित्यिक प्रेरणाओं पर अमल करता है।

हिमाचल साहित्य के कितना करीब है, इस विषय की पड़ताल हमने अपनी इस नई साहित्यिक सीरीज में की है। साहित्य से हिमाचल की नजदीकियां इस सीरीज में देखी जा सकती हैं। पेश है इस विषय पर सीरीज की 15वीं किस्त… श्रीनिवास जोशी मो.-9418157698 हम सब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के युग में जी रहे हैं। एक मीडिया

राजनेता के साथ-साथ शांता कुमार हिंदी के प्रतिष्ठित लेखक भी हैं। राजनीतिक व्यस्तता व संघर्षशील जीवन रहते हुए भी उन्होंने हिंदी साहित्य को विभिन्न विषयों पर अब तक एक दर्जन से अधिक पुस्तकें दी हैं। उनकी पहली पुस्तक 1962 में प्रकाशित हुई थी। शांता कुमार ने क्रांति इतिहास पर ‘धरती है बलिदान की’, चीनी आक्रमण