प्रतिबिम्ब

अशोक गौतम मो.-9418070089 इन दिनों स्वर्ग से धरती तक आदमियत का सन्नाटा पसरा हुआ है। कल तक जिन कुत्तों को हम हड़काया करते थे, वे आज हमें ढूंढ रहे हैं कि हे हमें चलते-फिरते हड़काने वालो! कहां दुम दबाकर छुपे हो आज तुम लोग? आदमी जीने के लिए कुछ भी कर सकता है, कैसे भी

डा. सुशील कुमार फुल्ल मो.-9418080088 एक अमरीकी आलोचक ने लिखा है कि किसी भी साहित्यकार को अपनी रची जा रही कृति या रचना नहीं दिखानी चाहिए, जैसे कोई मां अपनी कोख में पल रही संतान को प्रसूति से पहले नहीं दिखा सकती। परंतु दिव्य हिमाचल के सूत्रधार तो लेखकों की कोख को भी टटोल लेने

डा. गंगाराम राजी मो.-9418001224 कोरोना के कारण आज मनुष्य घर की चारदिवारी के अंदर बंद है, वह टीवी के माध्यम से बाहर के जगत का अंदाजा लगा रहा है और भयावह दृश्य देख डर का संचार उसके मन में होने तो लगा है, परंतु मनुष्य ने कभी इसके कारणों पर विचार नहीं किया है। यह

डा. हेमराज कौशिक मो.-9418010646 साहित्य के कितना करीब हिमाचल-2 अतिथि संपादक : डा. हेमराज कौशिक हिमाचल साहित्य के कितना करीब है, इस विषय की पड़ताल हमने अपनी इस नई साहित्यिक सीरीज में की है। साहित्य से हिमाचल की नजदीकियां इस सीरीज में देखी जा सकती हैं। पेश है इस विषय पर सीरीज की दूसरी किस्त…

डा. आर. वासुदेव प्रशांत मो.-9459987125 बाल साहित्य पर हमारी विवेचनात्मक सीरीज की छठी किस्त का शेष भाग लोक-चेतना से अभिप्राय लोक-चिंतन अथवा जन-सामान्य की किसी विषय पर सोच से है। कोई भी समाज हमेशा से अपने कल्याण के प्रति चिंतन करता हुआ ही अपने ध्येय में अग्रसर रहता है। जन-कल्याण हमारे सामाजिक जीवन का एक

रतनचंद निर्झर मो.-9459773121 साहित्य, कला व संस्कृति के संवर्धन में जब सरकारी पक्ष से भी प्रोहत्साहन मिलता है तो साहित्यकार, कलाकार व संस्कृति कर्मी के रचनाकार के रचना कर्म में और ऊर्जा जागृत होती है और वे दुगने उत्साह के साथ अपनी रचनाधर्मिता का निर्वहन करते हैं। इस संदर्भ में पचास के दशक में हिमाचल

डा. प्रेमलाल गौतम ‘शिक्षार्थी’ मो.-9418828207 संस्कृत साहित्य में एक सूक्ति प्रख्यात है ‘स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान् सर्वत्र पूज्यते’। इससे स्वतः स्पष्ट हो जाता है कि क्रांतद्रष्टा सहृदय लेखक देशकाल की सीमाओं से परे है। वह समाज में जो कुछ भी देखता है, अपनी मति-गति के अनुसार उसे तूलिका से चित्रित कर देता है। हिमाचल का

पुस्तक समीक्षा जिला सिरमौर से संबद्ध हिमाचल के प्रसिद्ध लेखक व कवि पंकज तन्हा का काव्य संग्रह ‘शब्द तलवार है’ भावों की सार्थक अभिव्यक्ति में सफल रहा है। कवि ने रचनाकर्म के दौरान भाव पक्ष को वरीयता दी है। इस संग्रह में कविताएं, गजलें, दोहे और गीत संग्रहित किए गए हैं। कपड़े की व्यथा नामक

डा. हेमराज कौशिक मो.-9418010646 साहित्य के कितना करीब हिमाचल-1 अतिथि संपादक : डा. हेमराज कौशिक हिमाचल साहित्य के कितना करीब है, इस विषय की पड़ताल हमने अपनी इस नई साहित्यिक सीरीज में की है। साहित्य से हिमाचल की नजदीकियां इस सीरीज में देखी जा सकती हैं। पेश है इस विषय पर सीरीज की पहली किस्त…