प्रतिबिम्ब

किस्त – तीन हिमाचल का नैसर्गिक सौंदर्य बरबस ही हरेक को अपनी ओर आकर्षित करता है। साथ ही यह सृजन, विशेषकर साहित्य रचना को अवलंबन उपलब्ध कराता रहा है। यही कारण है कि इस नैसर्गिक सौंदर्य की छांव में प्रचुर साहित्य का सृजन वर्षों से हो रहा है। लेखकों का बाहर से यहां आकर साहित्य

किस्त – दो हिमाचल का नैसर्गिक सौंदर्य बरबस ही हरेक को अपनी ओर आकर्षित करता है। साथ ही यह सृजन, विशेषकर साहित्य रचना को अवलंबन उपलब्ध कराता रहा है। यही कारण है कि इस नैसर्गिक सौंदर्य की छांव में प्रचुर साहित्य का सृजन वर्षों से हो रहा है। लेखकों का बाहर से यहां आकर साहित्य

पुस्तक समीक्षा किताब खोलते ही ‘अंग-संग’ शीर्षक से लिखी कविता पर नजर पड़ती है। इसमें विचारों-भावनाओं का एक समंदर हिलोरे मारता नजर आता है। इन अथाह आवेशों पर नियंत्रण ही वास्तव में किसी भी प्रस्तुति के लिए अवश्यंभावी है। कवयित्री ने शायद कोशिश भी की है। संपादन एक और महत्त्वपूर्ण पहलू है, उसी तरह जैसे

भारत भूषण ‘शून्य’स्वतंत्र लेखक बाहरी दुनिया की सभी क्रियाएं और घटनाएं हमारे भीतरी संसार का परावर्तन है। सच्चाई यह है कि बाहर और आंतरिक अलग-अलग नहीं। एक ही सिक्के के दो पहलू भर हैं जो कभी विलग हो नहीं सकते हैं। एक रूप के दो कोण या एक कोण की दो रेखाएं। मुश्किल यही है

किस्त – एक हिमाचल का नैसर्गिक सौंदर्य बरबस ही हरेक को अपनी ओर आकर्षित करता है। साथ ही यह सृजन, विशेषकर साहित्य रचना को अवलंबन उपलब्ध कराता रहा है। यही कारण है कि इस नैसर्गिक सौंदर्य की छांव में प्रचुर साहित्य का सृजन वर्षों से हो रहा है। लेखकों का बाहर से यहां आकर साहित्य

राजेंद्र राजन साहित्यकार संसाधनों के संकट के बीच लघु साहित्यिक पत्रिकाएं अपनी दमदार उपस्थिति बनाए हुए हैं। वरिष्ठ लेखकों के साथ-साथ युवा रचनाशीलता को पाठकों तक पहुंचाने और साहित्य पर चर्चाओं को पंख देने में अनेक पत्रिकाओं का कलेवर और कंटेंट चकित करते हैं। कला वसुधा : लखनऊ से छपने वाली कला वसुधा के 4 अंक

मेरी किताब के अंश : सीधे लेखक से किस्त : 16 ऐसे समय में जबकि अखबारों में साहित्य के दर्शन सिमटते जा रहे हैं, ‘दिव्य हिमाचल’ ने साहित्यिक सरोकार के लिए एक नई सीरीज शुरू की है। लेखक क्यों रचना करता है, उसकी मूल भावना क्या रहती है, संवेदना की गागर में उसका सागर क्या है,

पुस्तक समीक्षा * पुस्तक का नाम : तुम्हारे लिए (लघुकथा संग्रह) लेखक का नाम  : कृष्णचंद्र महादेविया प्रकाशक : पार्वती प्रकाशन, इंदौर        मूल्य : 200 रुपए प्रसिद्ध लेखक कृष्णचंद्र महादेविया का लघुकथा संग्रह ‘तुम्हारे लिए’ साहित्यिक बाजार में है। 128 पृष्ठों के इस लघुकथा संग्रह में जहां दो आलेख हैं, वहीं 81

आपने कई ऐसे होटलों के नाम सुने होंगे जो ग्राहकों की आवभगत के उद्देश्य से बनाए गए हैं, किंतु ऐसे होटल का नाम नहीं सुना होगा जो प्रतिस्पर्धा के इस युग में भी अपने व्यावसायिक हितों को छोड़कर साहित्यिक व सांस्कृतिक गतिविधियों के प्रोत्साहन में लगा है। यह होटल है डलहौजी का मेहर नामक होटल