प्रतिबिम्ब

साहित्य की निगाह और पनाह में परिवेश की व्याख्या सदा हुई, फिर भी लेखन की उर्वरता को किसी भूखंड तक सीमित नहीं किया जा सकता। पर्वतीय राज्य हिमाचल की लेखन परंपराओं ने ऐसे संदर्भ पुष्ट किए हैं, जहां चंद्रधर शर्मा गुलेरी, यशपाल, निर्मल वर्मा या रस्किन बांड सरीखे साहित्यकारों ने साहित्य के कैनवास को बड़ा

साहित्य की निगाह और पनाह में परिवेश की व्याख्या सदा हुई, फिर भी लेखन की उर्वरता को किसी भूखंड तक सीमित नहीं किया जा सकता। पर्वतीय राज्य हिमाचल की लेखन परंपराओं ने ऐसे संदर्भ पुष्ट किए हैं, जहां चंद्रधर शर्मा गुलेरी, यशपाल, निर्मल वर्मा या रस्किन बांड सरीखे साहित्यकारों ने साहित्य के कैनवास को बड़ा

साहित्य की निगाह और पनाह में परिवेश की व्याख्या सदा हुई, फिर भी लेखन की उर्वरता को किसी भूखंड तक सीमित नहीं किया जा सकता। पर्वतीय राज्य हिमाचल की लेखन परंपराओं ने ऐसे संदर्भ पुष्ट किए हैं, जहां चंद्रधर शर्मा गुलेरी, यशपाल, निर्मल वर्मा या रस्किन बांड सरीखे साहित्यकारों ने साहित्य के कैनवास को बड़ा

साहित्य की निगाह और पनाह में परिवेश की व्याख्या सदा हुई, फिर भी लेखन की उर्वरता को किसी भूखंड तक सीमित नहीं किया जा सकता। पर्वतीय राज्य हिमाचल की लेखन परंपराओं ने ऐसे संदर्भ पुष्ट किए हैं, जहां चंद्रधर शर्मा गुलेरी, यशपाल, निर्मल वर्मा या रस्किन बांड सरीखे साहित्यकारों ने साहित्य के कैनवास को बड़ा

साहित्य की निगाह और पनाह में परिवेश की व्याख्या सदा हुई, फिर भी लेखन की उर्वरता को किसी भूखंड तक सीमित नहीं किया जा सकता। पर्वतीय राज्य हिमाचल की लेखन परंपराओं ने ऐसे संदर्भ पुष्ट किए हैं, जहां चंद्रधर शर्मा गुलेरी, यशपाल, निर्मल वर्मा या रस्किन बांड सरीखे साहित्यकारों ने साहित्य के कैनवास को बड़ा

हिमाचल प्रदेश के केंद्र में स्थित बिलासपुर एक छोटा सा जिला है। पहले यह कहलूर नाम की एक रियासत थी। भाखड़ा बांध बनने के कारण पुराना बिलासपुर शहर व बहुत सारी उपजाऊ ज़मीन पानी में डूब गई थी जिसके कारण बहुत लोग विस्थापित हुये थे जो आज तक विस्थापन का दंश झेल रहे हैं। बांध बनने से जो झील पैदा हुई थी उसका नाम गोविंद सागर रखा गया है। बिलासपुर ने जहां विक्टोरिया क्रास वीर भंडारी राम जी, परमवीर चक्र से सम्मानित संजय कुमार व अनेक कई हस्तियां इस देश को दी हैं, वहीं कई बहुत बड़े-बड़े साहित्यकार भी दिए हैं जिन्होंने न केवल अपने प्रदेश में बल्कि पूरे भारतवर्ष में नाम कमाया है तथा अपनी लोक संस्कृति के संरक्षण में तथा उसे आगे ले जाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन साहित्यकारों का परिचय देने की कोशिश करेंगे।

साहित्य की निगाह और पनाह में परिवेश की व्याख्या सदा हुई, फिर भी लेखन की उर्वरता को किसी भूखंड तक सीमित नहीं किया जा सकता। पर्वतीय राज्य हिमाचल की लेखन परंपराओं ने ऐसे संदर्भ पुष्ट किए हैं, जहां चंद्रधर शर्मा गुलेरी, यशपाल, निर्मल वर्मा या रस्किन बांड सरीखे साहित्यकारों ने साहित्य के कैनवास को बड़ा

अतिथि संपादक, डा. सुशील कुमार फुल्ल, मो.-9418080088 हिमाचल रचित साहित्य -34 विमर्श के बिंदु 1. साहित्य सृजन की पृष्ठभूमि में हिमाचल 2. ब्रिटिश काल में शिमला ने पैदा किया साहित्य 3. रस्किन बांड के संदर्भों में कसौली ने लिखा 4. लेखक गृहों में रचा गया साहित्य 5. हिमाचल की यादों में रचे-बसे लेखक-साहित्यकार 6. हिमाचल

साहित्य की निगाह और पनाह में परिवेश की व्याख्या सदा हुई, फिर भी लेखन की उर्वरता को किसी भूखंड तक सीमित नहीं किया जा सकता। पर्वतीय राज्य हिमाचल की लेखन परंपराओं ने ऐसे संदर्भ पुष्ट किए हैं, जहां चंद्रधर शर्मा गुलेरी, यशपाल, निर्मल वर्मा या रस्किन बांड सरीखे साहित्यकारों ने साहित्य के कैनवास को बड़ा