संपादकीय

मंडी संसदीय क्षेत्र ने अचानक सारे राष्ट्र की निगाहें हिमाचल की ओर मुखातिब की हैं। मानना पड़ेगा कि यह सब वहां से भाजपा प्रत्याशी कंगना रनौत की वजह से कहीं ज्यादा हो रहा है। चुनावी फलक के...

विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रपट में भारत में हेपेटाइटिस की चुनौतियों और खतरों का उल्लेख है। लिवर से जुड़ी यह बीमारी घातक भी साबित हो सकती है और बाद में कैंसर का रूप भी धारण कर सकती है। हेपेटाइटिस बी और सी को लेकर भारत में जागृति बहुत कम है, क्योंकि इनके लक्षण ही पेचीदा हैं। चूंकि यह भी वायरल संक्रमण की बीमारी है, लिहाजा डॉक्टर भी लक्षणों का अध्ययन करते समय गलत निष्कर्ष पर पहुंच जाते हैं। भारत में हेपेटाइटिस बी के करीब 3 करोड़ संक्रमित मरीज हैं, जबकि हेपेटाइटिस सी के 50 लाख से अधिक लोग बीमार हैं। लिवर की सूजन और संक्रमण के साथ इन बीमारियों का बोझ उठाने वाला भारत

पर्यटक सीजन में हिमाचली मेले एक बड़ी संभावना का आयोजन देख रहे हैं, लेकिन इस क्षमता को प्रदेश की आर्थिकी से जोड़ा ही नहीं गया। इसी तरह धार्मिक स्थलों की कमाई और आयोजनों को भविष्य की आर्थिकी नहीं माना गया। सुक्खू सरकार अगर व्यवस्था परिवर्तन

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री केजरीवाल की गिरफ्तारी और रिमांड को ‘वैध’ और ‘न्यायसंगत’ करार दिया है। केजरीवाल और आम आदमी पार्टी (आप) को अदालत ने तब करारा झटका दिया, जब उसने शराब नीति और कथित घोटाले में दोनों की संलिप्तता भी मानी। अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के साक्ष्यों और दस्तावेजों के सौजन्य से कहा कि केजरीवाल साजिश में शामिल थे। उन्होंने ‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक के तौर पर घूस भी मांगी थी। रिश्वत का पैसा गोवा चुनाव में खर्च किया गया। उसकी मनी टे्रल भी स्पष्ट है। कानून की दृष्टि से मुख्यमंत्री को कोई विशेषाधिकार नहीं है कि उनकी गिरफ्तारी चुनाव के समय

हर जगह चिट्टे की है एक कहानी, सर्द चौकसी में पसीने की निगरानी। हिमाचल में चुनाव की सतर्क निगहबानी में नशा पकड़ा जा रहा है और इसी के संदर्भ में राजधानी शिमला को नसीहत भी मिल रही है। हालांकि चिट्टे की खेप का वजन महज 42.89 ग्राम ही हाथ लगा, लेकिन खबर बड़ी और हकीकत उससे बड़ी है। पंजाब के अक्स अब हिमाचल का गिरेबां पकड़ रहे हैं और धीरे-धीरे यह जहर हमारी युवा धमनियों में जहर घोल रहा है। तमाम चुनौतियों और युवा सवालों के बीच चिट्टे की धूनी जमाकर बच्चे जिंदगी का शतरंज खेल रहे हैं, लेकिन इस अपराध की कहानी में जिनके हाथ रंगे हैं, वे सुविधाजनक व्यवसाय की तरह देश को माप रहे

बच्चे भी देश के नागरिक और व्यक्तिपरक ईकाई होते हैं। वे जीवन, समाज और व्यवस्था में आमूल परिवर्तन भी ला सकते हैं। कर्नाटक के चौथी कक्षा के एक छात्र का उदाहरण आज देश के सामने है। वह अदालत तक गया और स्कूली व्यवस्था में हस्तक्षेप करने की याचिका दी। अदालत ने उसकी बात शिद्दत से सुनी। नतीजतन 40 लाख से अधिक सरकारी स्कूली छात्र दूसरी वर्दी का विकल्प पा सके। यह दुर्लभ उदाहरण है, क्योंकि पूरे भारत में व्यवस्था ऐसी है कि छात्र अपने स्कूली प्रशासन तक ज्ञापन नहीं दे सकते। वे प्रशासन से डरते या संको

हिमाचल में बदले की सियासत ने राज्य की क्षमता, जनादेश, संभावनाओं और सामाजिक स्वरूप को विद्वेष के चूल्हे पर चढ़ा रखा है। कमोबेश हर सरकार के फैसलों में कुछ तो बेतरतीब था या असफलताओं के लांछन में यही तो हासिल रहा। असफल अस्पताल, असफल स्कूल और असफलता के बीच खंडहर साबित होते दफ्तर या सरकारी उपक्रमों की कारगुजारी में देखें, तो मालू

चुनाव में हिमाचली चरित्र फिर फंसा- फिर धंसा नजर आ रहा है, तो इसकी वजह छोटे राज्य की तासीर में पार्टियों के नेतृत्व में आ रहा खोट है। इस बार चरित्र का नया जाल बुनकर राजनीति कुछ गुनाह कर चुकी है और कई चुनावों की ओट में चल रहे हैं। यहां कांग्रेस और भाजपा के बीच भी संगठन की चारित्रिक पृष्ठभूमि का अंतर स्पष्ट है। बेशक भाजपा के हाथ कांग्रेस के खून से रंगे देखे जा सकते हैं, लेकिन जब घा

चूंकि आम चुनाव का मौसम उफान पर है, लिहाजा प्रधानमंत्री मोदी देश को जो गारंटी दे रहे हैं, वह यह है कि उनके तीसरे कार्यकाल के दौरान भारत विश्व की तीसरी आर्थिक महाशक्ति बनेगा। प्रधानमंत्री देश को आश्वस्त कर रहे हैं कि 2047 में ‘विकसित भारत’ का संकल्प पूरा करने को वह 24 घंटे, सातों दिन काम में जुटे रहते हैं। फिलहाल भारत अमरीका, चीन, जापान और जर्मनी के बाद विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। अमरीका की अर्थव्यवस्था 25 ट्रिलियन डॉलर से अधिक और चीन