संपादकीय

इमारतों की किफायत में सुशासन की टोह लेती सुक्खू सरकार ने शिमला के छह कार्यालयों को टूटीकंडी कॉम्पलेक्स में शिफ्ट कर दिया। ये कार्यालय किराए के भवनों में चल रहे थे। पूरे प्रदेश में सरकारी कार्यालयों के नीचे दबी जमीन या निजी भूमि में बसे कार्यालयों की जमीर में कुछ तो किफायत हो। दरअसल हिमाचल में सरकारी इमारतों की अपनी होड़ बेपरवाह और लापरवाह है और इसलिए बजट की मुद्रा में अनावश्यक विस्तार ने अपना मूल्यांकन ही नहीं किया। एक नीति के तहत अगर तेजी से खुलते कार्यालय निजी निवेश की संस्तुति में परवान चढ़ते, तो भी सरकार पैसा बचाने के साथ-साथ रोजगार दे सकती थी। हिमाचल में सरकारी कार्यालयों ने अपनी हेकड़ी में खजाने का दुरुपयोग

कतर में भारत के 8 पूर्व नौसैनिकों की सजा-ए-मौत रद्द कर दी गई है। उन्हें अब कारावास की सजा दी गई है। वह सजा कितने साल की होगी, यह अदालत के विस्तृत फैसले से ही स्पष्ट होगा। यह अदालती फैसला भारत और उसके पूर्व नौसैनिकों के लिए सुखद और राहतपूर्ण है, क्योंकि जासूसी के अपुष्ट आरोपों पर भारतीय विदेशों में जेल की सजाएं झेलते रहे हैं। कतर में मौत की सजा ने भारत को हैरानी के साथ-साथ सदमे में भी डाल दिया था। कतर के सरकारी अफसर अपराध का खुलासा नहीं कर रहे थे और न ही आरोपों को सार्वजनिक कर रहे थे। यह आरोप जरूर सामने आया

हिमाचल में निवेश की दरख्वास्त पर पहरे सख्त हैं, जमीन की आबरू में जंगल की हवा भ्रष्ट है। परियोजनाओं के शृंगार में कमोबेश हर सरकार की कसौटियां यह तय नहीं कर पातीं कि आखिर इरादों को जमीं पर उतारने की जमीन है कहां और कौनसे नियम-कानून बाधक हैं। कांगड़ा को पर्यटन राजधानी बनाने का संकल्प कई महीनों से पैमाइश कर रहा है, लेकिन अधिकांश परियोजनाएं कहीं न कहीं प्रस्तावित जमीन पर उलझ रही हैं। इसी से राजनीतिक वैमनस्य तथा सूझबूझ के बीच वर्षों से मुकाबला चल रहा है और अक्सर ऐसी जगह पर तंबू गाड़ दिए जाते हैं, जहां परियोजनाओं का औचित्य ही पूरा नहीं होता। उदाहरण के लिए पर्यटन गांव के लिए पहले धर्मशाला में नरघोटा की वही जमीन खोजी गई,

कांग्रेस ने एक और यात्रा निकालने की घोषणा की है। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ही यात्रा का नेतृत्व करेंगे। इस बार यात्रा की शुरुआत पूर्वोत्तर में मणिपुर की राजधानी इम्फाल से 14 जनवरी को होगी और 20 मार्च को समापन मुंबई में होगा। करीब 6200 किलोमीटर की यात्रा बस के जरिए की जाएगी, हालांकि बीच-बीच में पदयात्रा और नुक्कड़ बैठकें भी की जाएंगी। यात्रा 14 राज्यों के 85 जिलों से होकर गुजरेगी। रास्ते में 355 लोकसभा सीटों के क्षेत्र आएंगे,

आगामी लोकसभा चुनाव की करवटों के बीच दिल्ली में कांग्रेस की मंत्रणा का सबूत बनकर हिमाचल से 33 नेताओं का जत्था, किस नए शपथपत्र पर हस्ताक्षर करेगा, यह देखना होगा। गिन कर केवल तीन राज्यों में अपनी सरकार चलाने वाली कांग्रेस के लिए चुनावी तस्वीर के कई पहलू हैं, जबकि इसके गणित में हिमाचल की गारंटियां भी गिनी जाएंगी। एक साल की सत्ता को लोकसभा जीत का परिणाम चाहिए तो सामने भाजपा की हर चाल से मु

अयोध्या का राम मंदिर सांस्कृतिक पुनरोत्थान का एक उदाहरण है, तो राजनीति का भी मुद्दा है। 1989 से 2019 तक के लोकसभा चुनाव के घोषणा-पत्रों में भाजपा इसे शामिल करती रही है। एक राजनीतिक दल सांस्कृतिक विकास और बदलाव की बातें नहीं करता, क्योंकि वे चुनावी मुद्दे नहीं आंके जाते। अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण कराएंगे, इस एक मुद्दे ने भाजपा को 2 सांसदों से 303 सांसदों तक की अप्रत्याशित छलांग लगाने की ताकत दी है। अन्य मुद्दों की भी भूमिकाएं रही हैं, लेकिन राम मंदिर के उद्घोष पर जो उन्माद और धु्रवीकरण, भाजपा के पक्ष में, पैदा

अपनी तरह के मार्गदर्शक फैसले ने आपराधिक जांच के दायरे से हिमाचल के पुलिस मुखिया और कांगड़ा की एसपी से उनका वर्तमान किरदार छीन लिया। माननीय हाईकोर्ट ने पालमपुर के व्यापारी की अरदास को सुनते हुए राज्य सरकार को दिशा निर्देश दिए हैं कि जांच प्रक्रिया की निष्पक्षता के लिए पुलिस महकमे के ओहदेदार परिदृश्य से हटाए जाएं। ऐसे कड़े निर्देश की वजह समझें तो यह कानून व्यवस्था के आलम में हिमाचल की शर्मिंदगी है। जिन परिस्थितियों में पालमपुर के व्यापारी को पुलिस से वास्ता पड़ा, उससे द्विपक्षीय मामले में सारी कानून व्यवस्था का तामझाम तार-तार हुआ है। कारोबारी निशांत के अपने निजी मसले, व्यापारिक क्लेश या कानूनी पेचीदगियां हो सकते हैं और उनके निपटारे के लिए अदालती प्रक्रिया और न्याय प्रणाली की अहम भूमिका सुनिश्चित है, लेकिन यहां यह व्यक्ति पुलिस प्रणाली के खौफ

बेशक द्रमुक नेता दयानिधि मारन ने चार साल पहले उप्र और बिहार का अपमान किया था। उन्होंने कहा था कि इन राज्यों के लोग शौचालय और सडक़ साफ करने के लिए तमिलनाडु आते हैं। वे बुनियादी तौर पर निर्माण-मजदूर हैं। मुख्यमंत्री स्टालिन ने हिंदी-विरोध में आपत्तिजनक बयान दिया है। उन

साल का अंतिम पहर और नए वर्ष के आगमन का सफर, इस समय हिमाचल में पर्यटन को भी माप रहा है। वर्षांत पर्यटन की चहलकदमी में पूरा प्रदेश और सैलानियों के उत्साह में निरंतर बढ़ोतरी का आलम यह कि अटल टनल एक ही दिन में एक लाख के करीब पर्यटकों की चरागाह बन जाती है। शिमला की पहाडिय़ां हों या कांगड़ा घाटी की गुनगुनी धूप, पर्यटकों से आच्छादित राहें बता रही हैं कि साल का यह नजारा होटल व्यवसायियों को सहारा दे रहा है। क्रिसमस को त्योहार तथा पर्यट