संपादकीय

अब मसला केंद्रीय विश्वविद्यालय को खंडित करने का नहीं रहा, बल्कि इसके जदरांगल परिसर को खुर्द-बुर्द करने का है और यह हो चुका है। जिन्हें विश्वास था कि जदरांगल परिसर की सियासत में केवल भाजपा दोषी रही, उन्हें आंखें खोलकर देख लेना चाहिए कि कांग्रेस सरकार भी इसे हमीरपुर संसदीय क्षेत्र को वरदान बनाने पर उतारू है। अंतत: केवल शांता कुमार ने ही जुबान खोली है, जबकि कांगड़ा से तमाम कांग्रेसी विधायक तो मीठी गोलियां चाट रहे हैं। आश्चर्य यह कि कांगड़ा के कोटे में एकमात्र मंत्री चौधरी चंद्र कुमार भी मुंह में दही जमा के बैठे हैं, जबकि कभी उनकी व सुधीर श

बहुराष्ट्रीय कंपनी एप्पल ने विपक्ष के कुछ नेताओं को अलर्ट भेजा कि आपके आईफोन हैक किए जा सकते हैं। हमलावर आपके फोन के संवेदनशील डाटा, कैमरे और माइक्रोफोन आदि तक पहुंचने की कोशिश भी कर सकते हैं। एप्पल ने यह अलर्ट सिर्फ विपक्षी नेताओं को ही नहीं भेजा, बल्कि ऐसे लोगों तक भी भेजा है, जो सार्वजनिक जीवन में नहीं हैं। कुछ पत्रकारों और स्कॉलर्स तक भी यह अलर्ट पहुंचा है। यह अलर्ट 150 देशों में भी भेजा गया है, जहां एप्पल के आईफोन इस्तेमाल किए जाते हैं। साफ मायने हैं कि यह चेतावनी वैश्विक है, लिहाजा विपक्षी नेताओं की चीखा-चिल्ली महज सि

खेल तो खेल होता है। इतिहास में अर्जुन महानतम तीरंदाज थे, लेकिन एकलव्य भी कमतर नहीं था। फर्क शाही परिवार और भील समुदाय का था, लेकिन गुरु द्रोणाचार्य ने एकलव्य की तीरंदाजी का हुनर देखा, तो आशंकित हो गए कि भविष्य में वह अर्जुन को चुनौती दे सकता था, लिहाजा गुरु दक्षिणा के तौर पर उन्होंने एकलव्य का अंगूठा मांग लिया। एकलव्य द्रोणाचार्य की मूर्ति बनाकर और उन्हें गुरु मान कर तीरंदाजी का

केरल के एर्नाकुलम जिले के एक सभा-कक्ष में जो धमाके किए गए हैं, वे कमोबेश आतंकी हमले तो नहीं लगते, लेकिन उससे कमतर भी नहीं हैं। एक सभा-कक्ष में करीब 2300 लोग प्रार्थना में लीन थे। वे ‘येहोवा समुदाय’ के बताए जाते हैं, जो बुनियादी तौर पर ईसाई हैं, लेकिन मानसिक रूप से यहूदी-समर्थक भी हैं। उन्होंने एक दिन पहले इजरायल के समर्थन में प्रस्ताव पारित किया था। यह ऐसा ईसाई धार्मिक समुदाय है, जिसकी उत्पत्ति 19वीं सदी में अमरीका में हुई थी। सिलसिलेवार तीन धमाकों में 2 महिलाओं की मौत हो गई, जबकि 51 लोग झुलसे और घायल ब

हिमाचल में फिर एक उड़ान शिक्षा की ओर भरते हुए यह तय हो रहा है कि कुछ कालेजों को सुदृढ़ करके, एक्सीलेंस का दर्जा दिया जाए। इस मांग की आपूर्ति के लिए कालेज अपनी-अपनी विकास योजना तीस नवंबर तक पेश करेंगे। शिक्षा के क्षेत्र में कमोबेश हर सरकार ने बुर्जियां ढूंढ लीं, लेकिन करियर की खोज संतुष्ट नहीं हुई। यह वजह है कि हिमाचल के पास सरकारी क्षेत्र में ही 133 डिग्री कालेज हो गए, जबकि मेडिकल संस्थानों व विश्वविद्यालयों को जोड़ लिया जाए, तो यह राज्य पड़ोस व देश के सामने उच्च स्तर की आदर्श स्थिति पैदा कर देता है। गौर यह करना होगा कि प्रदेश की

भारत के चुनाव आयोग ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा को ‘कारण बताओ नोटिस’ भेजने में देरी नहीं की। आयोग ने उन रथी यात्राओं को भी रोक दिया है, जिनमें सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को ‘रथ-प्रभारी’ बनने और भारत सरकार की परियोजनाओं का प्रचार करने को बाध्य करने का सर्कुलर तक जारी किया जा चुका था। हालांकि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसी दौरान बयान दिया कि सीबीआई और ईडी ‘कुत्ते की तरह’ घूमती रहती हैं। प्रियंका और हिमंता ने जो सार्वजनिक बयान दिए थे, उनकी तुलना में गहलोत की टिप्पणी घोर आपत्तिजनक है, क्योंकि वह देश की प्रमुख जांच एजेंसियों को कोस रहे थे। जांच एजेंसियां संविधान औ

हिमाचल सरकार की शिकायत पर ‘पानी में दरार’ ढूंढने आया केंद्रीय दल। भारी बरसात में इस बार बड़े-बड़े बांधों ने अपनी करतूत को इस कद्र घातक बनाया कि जख्म लिए हिमाचल की तस्वीर बता रही हुए हैं गुनाह कैसे-कैसे। पौंग व पंडोह डैम के अलावा मलाणा-2 तथा पार्वती-3 विद्युत परियोजना के बांधों में बरती गई कोताही ने परेशानियां ही नहीं बढ़ाई, बल्कि हिमाचल में आई आपदा को विकरालता का सबब बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हैरानी यह कि केवल दो परियोजनाओं कोल बांध व नाथपा झाकड़ी परियोजना में ही अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाया गया था, जबकि अन्य स्थानों पर ऐसे निर्देश का पालन नहीं हुआ। बांध सुरक्षा में अपनाई गई लापरवाही ने सैंज बाजार को ही निगल लिया, जबकि पौंग बांध से बिना तैयारी छोड़े गए पानी ने मंड क्षेत्र में तबाही मचा दी थी। मंडी शहर के डूबते मंदिरों तक आ पहुंचा नदी का उफान बताता रहा कि

आज हम एक सामाजिक और मनोविकारी समस्या का विश्लेषण करेंगे, जो हमारी युवा पीढ़ी को खोखला कर रही है। अमरीका के 50 राज्यों में से 42 की राज्य सरकारों ने फेसबुक, व्हाट्स एप और इंस्टाग्राम की कंपनी ‘मेटा’ के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज किया है। सोशल मीडिया के ये मंच वहां की युवा पीढ़ी को ‘बीमार’ कर रहे हैं और गुस्सैल बना रहे हैं। नतीजतन यह पीढ़ी पढ़ाई-लिखाई, कारोबार या करियर, सामाजिक-पारिवारिक जिम्मेदारियां भूलती जा रही है और हमलावर बनकर नकारापन की ओर अग्रसर है। यदि भारत के संदर्भ में आकलन करें, तो हमारी नौजवान पीढ़ी भी मोबाइल की आदी हो गई है। उसे अलग-अलग एप्स पर दुनिया भर के वीडियो, रील्स देखते रहने की लत लग गई है। भारत में करी

मौत ने फिर मापा शिक्षा का सदन, हाथों में किताब लिए नशा था मगन। अब तो प्रतिष्ठित संस्थानों के आंगन में चिता जलने लगी, वहां मेरा बेटा पढ़ रहा था नशा। जो छात्र एनआईटी हमीरपुर में आया था, जाहिर है उसका भविष्य ही उसे लाया था, लेकिन सुराग बताते हैं कि कितने सुराख हैं नशे को बुलाने के लिए। इस घटना के बाद सहमा कौन और किसने नैतिक जिम्मेदारी मानी। अलबत्ता संस्थान ने इस आपराधिक गलती के लिए कुछ सूलियां चुनीं और उन पर अग