संपादकीय

यदि राम रहीम भगवान, ईश्वर या करिश्माई बाबा होता, तो वह दुष्कर्म, बलात्कार, हत्या, अपहरण सरीखे अपराधों का व्यसनी नहीं होता। यदि वह भगवान जैसा कुछ दैवीय होता, तो अदालत के कठघरे के बाद जेल की सलाखों के पीछे न होता। वह खुद को निर्दोष साबित कर सकता था। यदि वह भगवान की तरह सिद्ध

हिमाचल विधानसभा के अंतिम सत्र में केवल तकनीक, तकाजा और तर्क रह गया, जबकि लोकतंत्र की आत्मा न जाने कब चुपचाप निकल गई। कम से कम सत्र में आम जनता के मुद्दे दिखाई नहीं दिए और पक्ष-विपक्ष के बीच रणनीति और रणक्षेत्र का बंटवारा हो गया है। हम विधानसभा को किस तरह अलविदा कह सकते

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी घोर सांप्रदायिक हैं। वैसे वह संघ-भाजपा पर सांप्रदायिकता और विभाजनकारी होने का आरोप लगाकर अपनी सियासत करती रही हैं, लेकिन एक बार फिर त्योहारों के जरिए उन्होंने हिंदू बनाम मुसलमान का माहौल बनाने की कोशिश की है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का आदेश है चूंकि पहली अक्तूबर को विजयदशमी और

समान नागरिक संहिता यानी एक देश, एक संविधान, एक कानून, एक निशान, का तीन तलाक या क्षुद्र राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। जनसंघ के संस्थापक डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसी मुद्दे पर आंदोलन छेड़ा और कश्मीर की जेल में बलिदान दिया। आज तक उनकी मौत एक रहस्य बनी है। बहरहाल दलितों के सबसे

अब तीन तलाक असंवैधानिक, अन्यायपूर्ण, अवांछित और अमान्य है। लैंगिक इनसाफ और बराबरी के खिलाफ है। अब देश संविधान से चलता है, लिहाजा यह अनुच्छेद-14 समानता के अधिकार के मुताबिक होना चाहिए। मुस्लिम औरत के संवैधानिक अधिकारों को कुचला नहीं जा सकता। निकाह एय्याशी नहीं, एक रिश्ता है और न ही यह कोई नरक है,

यह जीत और जश्न मनाने का वक्त और मौका नहीं है। किसी की जीत और दूसरे की हार नहीं हुई है। लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है, जो अदालत और आरोपी का संवैधानिक अधिकार है। जिस शख्स ने आठ साल, आठ माह, बिना आरोपों और सबूतों के साबित हुए,

हिमाचल के राष्ट्रीय दृष्टि में आने के संयोग इस बार चुनाव के लिए अगर पुख्ता होते हैं, तो इसके आलोक में प्रदेश को सही परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया जा सकता है। विडंबना यह है कि दिल्ली के गलियारों में आज भी पहाड़ की छवि को ‘मुंडू’ बनाकर ही समझा जाता है, जबकि हिमाचल के उल्लेखनीय

खतौली-मुजफ्फरनगर रेल हादसे के खलनायक और मुजरिमों के चेहरे लगभग सार्वजनिक हो चुके हैं। रेलवे बोर्ड के सदस्य, महानिदेशक और दिल्ली डीआरएम को छुट्टी पर भेजा गया है, जबकि चार इंजीनियर निलंबित कर दिए गए हैं। समझ नहीं आता कि यह कार्रवाई ही पर्याप्त है या दंडात्मक कार्रवाई भी तय की जाएगी! लेकिन मौजू सवाल

गोरखपुर के बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कालेज एवं अस्पताल में दिमागी बुखार से जिस तरह मासूमों की मौत हुई है, वह मुद्दा अभी शांत नहीं हुआ है। मौत का आंकड़ा 70 पार कर चुका है। इसी साल 2017 में 200 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं, हालांकि 2016 में इसी अवधि के दौरान यही