संपादकीय

पर्यटन सीजन महज आंकड़ों की दुरुस्ती नहीं, बल्कि एक ऐसा अवसर है, जब हिमाचल देश-विदेश से सीधे रू-ब-रू होता है। हम अमूमन इसे व्यावसायिक और व्यापारिक परिपाटी के तहत ही देखते हैं, जबकि हर पर्यटन सीजन हिमाचल की समीक्षा कर जाता है। पर्यटन की मंजिल से कहीं महत्त्वपूर्ण होने चाहिए प्रदेश के प्रवेश स्थल, लेकिन

भारत दुनिया की नई आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है, लेकिन! भारत ने अंतरिक्ष में अपने झंडे गाड़ दिए हैं, लेकिन! भारत खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर हो गया है, लेकिन! भारत में सबसे ज्यादा विदेशी पूंजी आ रही है, लेकिन! भारत दुनिया का सबसे युवा देश है, लेकिन! भारत में स्वास्थ्य व

कुछ बुनियादी तराने छेड़कर हिमाचल भाजपा ने अपनी महत्त्वाकांक्षा की छाती अवश्य चौड़ी कर ली है और यही दस्तूर जब धर्मशाला रैली में दिखा तो परिदृश्य में बदलती राजनीति भी संबोधित हुई। भाजपा के दो कुशल चितेरों यानी पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल व शांता कुमार ने धर्मशाला की दीवारों पर एकजुटता का पैगाम लिखकर

हर साल हिमाचल अपनी तारीख-तारीफ ढूंढता है और जब वर्ष समाधि लेता है तो हम अपनी हसरतों के बावजूद हकीकत के लम्हे दफन कर देते हैं। एक प्रगतिशील राज्य की तस्वीर के बावजूद, क्षमता और संभावना के हर क्षेत्र में रिसाव को समझने की चुनौती है। क्या राज्य अब एक पटकथा बनकर तरक्की करेगा या

प्रधानमंत्री मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने एकमात्र मूलमंत्र विकास को माना है। युवाओं को काम देने की भरसक कोशिशों की शुरुआत होगी। उनके सपने साकार किए जाएंगे। उत्तर प्रदेश की कसौटी पर योगी सरकार एकदम खरी साबित होने लगेगी, यह संभव नहीं है। सिर्फ एक ही उदाहरण पर्याप्त है। अखिलेश सरकार

हिमाचल में राजनीति का एक अलग एहसास व अर्थ जिस प्रकार केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा से जोड़कर देखा जा रहा है, उससे भाजपा के कुनबे में केंद्रीय प्रकाश आलोकित हो रहा है। शिमला में हालांकि एक औपचारिक कार्यक्रम की सरकारी भूमिका में नड्डा दिखाई दिए, लेकिन भाजपा के परिदृश्य में आकाशीय परिवर्तनों की उम्मीद

आश्चर्य है कि भाजपा को योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री चुनना पड़ा! योगी लगातार पांचवीं बार लोकसभा सांसद हैं, बेहद लोकप्रिय चेहरा हैं, पूर्वांचल की राजनीति के सूत्रधार हैं, चुनाव में भाजपा के स्टार प्रचारक भी रहे हैं, घोर और कट्टरपंथी हिंदूवादी हैं और सबसे बढ़कर उत्तर प्रदेश का मौजूदा जनादेश योगी का

बहस से भीगी हिमाचल विधानसभा ने इस बार राजनीति को भी मुचलके पर रखा है। हालांकि फिसलने के लिए इस बार भी विषय कम नहीं थे, लेकिन विपक्ष और सत्ता ने अपने दायरे की जुबान को सदन के भीतर ही रखा। इसे हम सदन की तारीफ में देखें या लोकतांत्रिक आवश्यकता के अनुरूप महसूस करें,

दो घटनाओं के बीच यह अंतर करना आसान नहीं कि कौन कितनी घातक है। गोपालपुर के चिडि़याघर से तीन तेंदुओं के चुपचाप निकल जाने से यह तो साबित है कि हिमाचल में व्यवस्था के पिंजरे बुरी तरह टूट चुके हैं। दूसरी ओर पता नहीं किन कारणों से प्रभावित होकर हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड चिडि़याघर जैसा