विचार

चूंकि आम चुनाव का मौसम उफान पर है, लिहाजा प्रधानमंत्री मोदी देश को जो गारंटी दे रहे हैं, वह यह है कि उनके तीसरे कार्यकाल के दौरान भारत विश्व की तीसरी आर्थिक महाशक्ति बनेगा। प्रधानमंत्री देश को आश्वस्त कर रहे हैं कि 2047 में ‘विकसित भारत’ का संकल्प पूरा करने को वह 24 घंटे, सातों दिन काम में जुटे रहते हैं। फिलहाल भारत अमरीका, चीन, जापान और जर्मनी के बाद विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। अमरीका की अर्थव्यवस्था 25 ट्रिलियन डॉलर से अधिक और चीन

हमें यह ध्यान रखना होगा कि वर्ष 2047 तक देश को विकसित देश बनाने के लिए सरकार के द्वारा आम आदमी की प्रति व्यक्ति आय और खुशहाली बढ़ाने के लिए जो व्यय किए जाते हैं, वे उतने ही महत्वपूर्ण हैं, जिस तरह सरकार के द्वारा बुनियादी ढांचे पर भारी निवेश लाभप्रद होता है। उम्मीद है सरकार रणनीतिक रूप से कारगर प्रयासों की राह पर आगे बढ़ेगी..

जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव की तारीखें निकट आती जा रही हैं, वैसे-वैसे सभी राजनीतिक गठबंधनों के बीच का अंदरूनी कलह बंद कमरे से बाहर निकल कर सडक़ों पर आता जा रहा है। महाराष्ट्र में 2019 के मुकाबले एकदम नई तरह की परिस्थितियां सामने आ गई

सवाल उपचुनावों में फिर हिमाचल के कद और सामथ्र्य से कहीं बड़े हो जाएंगे। हर चुनाव की अमानत में जनता के सरोकार खोटे हो जाते हैं या चलते हुए नेता खोटे सिक्के हो जाते हैं। भाजपा हो या कांग्रेस चुनावों की फेहरिस्त ने नेताओं के बोल छोटे कर दिए। भाव-भंगिमाओं के चुनाव में हिमाचल अब रहता ही कहां है। हम एक चुनावी कबीला कब बन जाते हैं, पता ही नहीं चलता, ले

पहली बार बुद्धिजीवी ने एक ऐसा परिंदा देखा जो वाकई पर नहीं मार रहा था। बुद्धिजीवी यह देख सोच में पड़ गया कि यह अपने पंख होते हुए भी आख्रिर उड़ क्यों नहीं पा रहा है, ‘यह जरूर किसी से टकराया होगा। कहां टकराया होगा। अदालत के दरवाजे या संसद के गुंबद से।’ देखने में परिंदा तंदरुस्त था। तरह-तरह की बोली बोल रहा था। हरकतें कर रहा था, लेकिन अपने पर नहीं खोल पा रहा था। पहली बार बुद्धिजीवी ने इनसान जैसी असमंजस किसी पक्षी में देखी। देश की असमंजस पक्षी पर इस

नशे की लत को पूरी करने के लिए बच्चे अपराध करने से भी नहीं हिचक रहे हैं। नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में आए दिन हो रही चोरी, छिनैती में मुख्य रूप से युवा ही शामिल हो रहे हैं। यही नहीं, रेलवे स्टेशन के आसपास घूमने वाले बच्चे चलती ट्रेन में भी वारदात करने से नहीं चूकते... भारत को युवा देश माना जाता है। जिस ओर

कांग्रेस ने 48 पन्नों के ‘न्याय-पत्र’ में जो 344 चुनावी वायदे किए हैं, वे सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार की नीतियों और फैसलों के विरोध-पत्र हैं। एक बानगी ही पर्याप्त है कि कांग्रेस सरकार आई, तो वह ‘नीति आयोग’ का नाम पलट कर ‘योजना आयोग’ कर देगी। कांग्रेस की सोच में कुछ भी मौलिकता और नयापन नहीं है। यहां तक कि सरकारी कर्मचारियों की ‘पुरानी पेंशन स्कीम’ (ओपीएस) ने हिमाचल, कर्नाटक, तेलंगाना राज्यों में कांग्रेस की सरकारें बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, रा

कहानी के प्रभाव क्षेत्र में उभरा हिमाचली सृजन, अब अपनी प्रासंगिकता और पुरुषार्थ के साथ परिवेश का प्रतिनिधित्व भी कर रहा है। गद्य साहित्य के गंतव्य को छूते संदर्भों में हिमाचल के घटनाक्रम, जीवन शैली, सामाजिक विडंबनाओं, चीखते पहाड़ों का दर्द, विस्थापन की पीड़ा और आर्थिक अपराधों को समेटती कहानी की कथावस्तु, चरित्र चित्रण, भाषा शैली व उद्देश्यों की समीक्षा करती यह शृंखला। कहानी का यह संसार कल्पना-परिकल्पना और यथार्थ की मिट्टी को विविध सांचों में कितना ढाल पाया। कहानी की यात्रा के मार्मिक, भावनात्मक और कलात्मक पहलुओं पर एक विस्तृत दृष्टि डाल रहे हैं वरिष्ठ

चुनावी बॉण्ड असंवैधानिक करार कर उनसे राजनीतिक दलों को चुनाव फण्डिंग न किए जाने के सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बाद यह संज्ञान में रहना चाहिए कि कम से कम मान्य चुनावी प्रक्रियाओं के संदर्भ में चुनावी बॉण्ड से मिला धन शुचिता वाला धन न होकर काले धन के समतुल्य ही था। दुखद यह रहा कि जब प्रजातांत्रिक चुनावों में काले धन का वर्चस्व हर बीतते चुनावों के साथ बढ़ता ही जा रहा था, चुनावी बॉण्ड की गुमनामी धनराशि भी उसी रूप में इसमें मददगार भी हो रही थी। जब ये एन चुनावों के पहले जारी होते थे, तब तो खासकर इनसे पाए करोड़ों रुपयों से राजनीतिक दलों को चुनाव लडऩे में आसानी होती थी। लगभग पांच सा