विचार

गोला-बारूद और हथियारों की कमी पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रपट चौंका देने और आंखें खोल देने वाली है। यह देश की रक्षा के साथ खिलवाड़ है। हालांकि रपट के समूचे ब्यौरे नहीं छापने चाहिएं, ऐसा रक्षा विशेषज्ञों का सुझाव है, लेकिन यह राष्ट्रीय सुरक्षा और उसके बंदोबस्तों से जुड़ा मामला है, लिहाजा

(शगुन हंस, योल ) बिजली की आंख-मिचौनी तो सुनी थी, लेकिन अब तो डिपुओं की आंख-मिचौनी भी सुनने को आ रही है। आए दिन यह खबर पढ़ने को मिलती है कि अब डिपुओं में छह दालें मिलेंगी, अब रिफाइंड और सरसों का तेल दोनों मिलेंगे, अब चीनी मिलेगी यानी पता नहीं क्या-क्या मिलेगा, यह खुद

डीआर सकलानी लेखक, सरकाघाट, मंडी से हैं लैंटाना घास तेजी से भूमि को बंजर बनाती है। धीरे-धीरे भूमि का उपजाऊपन खत्म होने के साथ इससे स्किन एलर्जी भी होती है। तेजी से फैलने वाली यह घास चारे के काम भी नहीं आती। यदि कोई पशु गलती से इसे खा ले, तो इससे उसे नुकसान पहुंचता

भोलेपन और सादगी की मूरत गद्दी समुदाय पहाड़ की शान है। प्रदेश में महज दस फीसदी आबादी होने के बाद भी यह समुदाय 20 विधानसभा क्षेत्रों के सियासी समीकरणों को बदलने का माद्दा रखता है। गद्दी समुदाय ने मेहनत के दम पर हर क्षेत्र में कामयाबी के झंडे गाड़े हैं, तरक्की के पूरे सफर को

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं डोकलाम में जो कुछ हो रहा है, उस पूरे मामले में चीन का एक दूसरा तर्क भी है। उसका कहना है कि यदि डोकलाम का यह इलाका भूटान का भी है तो इसे लेकर चीन का भूटान से ही विवाद है। भारत की सेना इस विवाद में

(नीरज मानिकटाहला, यमुनानगर, हरियाणा ) ‘मायावती का दलित इस्तीफा’ शीर्षक से प्रकाशित संपादकीय आलेख पढ़ने को मिला। बसपा सुप्रीमो मायावती ने नैतिकता का हवाला देते हुए राज्यसभा की सदस्यता से आनन-फानन में इस्तीफा देकर राजनीतिक दांव खेला है। दरअसल ऐसा करके वह अपनी कुंद होती दलित सियासत को नई धार देना चाहती हैं। देश की

अब रामनाथ कोविंद देश के नए और 14वें राष्ट्रपति होंगे। सिर्फ शपथ की औपचारिकता शेष है। बेशक उन्हें संघ-भाजपा और एनडीए कोटे का प्रथम राष्ट्रपति माना जाता रहेगा, लेकिन अब वह हिंदोस्तान के राष्ट्रपति हैं। वह दलितों, अल्पसंख्यकों, पिछड़ों से लेकर हिंदुओं तक सभी के राष्ट्रपति होंगे। खासकर अब देश के दलित सुकून महसूस करेंगे

हिमाचल में राजनीतिक संदेश और संदर्भों से तय होता मानवीय बोध, एक ऐसा फैक्टर बन जाता है जो किसी भी पार्टी का तंबू उखाड़ सकता है। भाजपा के प्रयत्नों की लाली में जितने भी संदर्भ तथा संदेश दिखाई दे रहे हैं, उनके विपरीत सत्तारूढ़ दल की टूटी बैसाखियों का कचरा इकट्ठा हो रहा है। कोटखाई

(संजय नौटियाल, कुफटाधार, शिमला ) शांति प्रिय व मेहनती कहे जाने वाले हिमाचल की छवि अब कलंकित होने लगी है। आए दिन प्रदेश में हो रही धांधलियां, गड़बड़झाले, फर्जीबाड़े, लूटपाट, नशाखोरी और महिलाओं से हो रहे दुराचार जैसे मामले चर्चा का विषय बनने लगे हैं। हाल ही में पेश आया बिटिया हत्या प्रकरण प्रदेश की