विचार

हरि मित्र भागी लेखक,सकोह, धर्मशाला से हैं जो करोड़ों खर्च कर राजनीति में आएगा, वह अरबों बनाएगा। यहीं से फिर शुरुआत होती है भ्रष्टाचार की। पहले राजनीति जनसेवा के लिए होती थी। नेता जनता के लिए जेल जाते थे। जेल में नेता आज भी जाते हैं, पर जनता के लिए नहीं, या तो आपराधिक मामलों

(रचना परमार, मंडी, ) एम्स की घोषणा हुए लगभग डेढ़ साल हो गया है और पता चला है कि केंद्र ने अभी तक एम्स के बारे में अधिसूचना ही जारी नहीं की है। यानी हम यह समझें कि अब तक सब हवा में ही था। वैसे नेताओं ने तो भाषणों में हिमाचल में एम्स बना

(रश्मि सूद,  बीबीएन ) वैसे तो अब हिमाचल में एटीएम लुटने के समाचार अब आम हो गए हैं। अपराध हिमाचल में अपने पैर पसारता जा रहा है। पर्यटन की आड़ में पड़ोसी राज्यों से आता अपराधियों का अमला ही इन वारदातों को अंजाम दे रहा है। कुछ ही महीनों में हिमाचल में एटीएम लूटने की

किसान आंदोलन पर प्रधानमंत्री मोदी फिलहाल चुप हैं। हालांकि ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर एकदम ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया देने और ‘मन की बात’ कहने में प्रधानमंत्री हमेशा अग्रणी रहे हैं। किसान आंदोलन अभी शांत नहीं हुआ है, बल्कि पंजाब और कर्नाटक से कुछ आवाजें उभरना शुरू हो गई हैं। पंजाब तो अन्नदाता का गढ़ रहा

यह भारतीय किसान का कौन-सा रूप है? सांस्कृतिक और मानसिक तौर पर शांतिप्रिय किसान आज इतना उग्र और हिंसक क्यों है? हमने कई किसान आंदोलन बड़े करीब से देखे हैं। किसानों पर गोलियां, कांग्रेस सरकारों के दौरान, कई बार चलाई गई हैं। मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में पुलिस ने गोलियां चलाईं और 6 किसानों

प्रो. एनके सिंह प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं समस्या यह है कि अब भी सरकार नौकरशाही पर निर्भर है और कोई वैकल्पिक व्यवस्था खड़ी नहीं कर सकी है।  नीति आयोग को योजना आयोग का प्रतिबिंब नहीं बनना चाहिए, बल्कि इसे शीर्ष स्तरीय सलाहकारों और ऐसे स्टाफ के समूह

(सुरेश कुमार ) बहुत शोर उठा कि वसुंधरा राजे विस्थापितों का दर्द बांटने आ रही हैं। वह विस्थापितों को उनका हक दिलाने के मकसद से हिमाचल आने वाली हैं, पर सब किया धरा रह गया और उनका दौरा रद्द हो गया। जब अपने ही नेता हल न निकाल सके, तो दूसरे राज्य की मुख्यमंत्री को

हिमाचल में हादसों और अपराध का एक ऐसा ग्राफ ऊपर उठ रहा है, जिसमें कतई कोई हिमाचली शरीक नहीं होता, लेकिन इन अभिशप्त आंकड़ों में कानून-व्यवस्था की चुनौतियां भी दर्ज हैं। बीबीएन में एक दीवार ने झुग्गियों में पलते संसार को लील दिया और हिमाचली छाती से चिपक गया आठ लोगों की मौत का मातम।

भूपिंदर सिंह लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं हिमाचल में आज हर गांव के लिए सड़क तो है, वहां पर दौड़ के अभ्यास का प्रारंभ हो ही सकता है। हिमाचल का युवा अधिकतर सेना व सुरक्षा बलों में अपना भविष्य तलाश रहा है, वहां पर भर्ती होने के लिए भी दौड़ की जरूरत पड़ती है, इसलिए