विचार

( किशन सिंह गतवाल, सतौन, सिरमौर ) जिला सिरमौर के सर्वोच्च पर्वत शिखर पर विराजमान है श्री शिरगुल महाराज का मंदिर, जो कि समुद्र तल से 11,966 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां श्रद्धालुओं और पर्यटकों को वह सब कुछ मिलता है, जिसकी उन्हें चाह होती है। यहां आकर बड़ा सुकून और शांति मिलती

( सूबेदार मेजर (सेवानिवृत्त), कृष्ण चंद शर्मा, गगल ) भारत-पाकिस्तान के रिश्ते कभी सामान्य नहीं होंगे। हम दुश्मन हैं और दुश्मन ही रहेंगे। पाकिस्तान की फौज में इनसान नहीं, शैतान हैं। मुठभेड़ एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन मृत सैनिक के शरीर को नोचना दरिंदगी है। सैन्य युद्ध इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ और न

( डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर ) ईवीएम की नौटंकी मूक, बधिर क्यों बन गए, कुछ तो बोलें आप, कहां लुटी शुचिता, कहां सच्चाई का जाप। सचमुच गए डकार या राजनीति की चाल, समय बताएगा बुना, किसने छिपकर जाल। मेले में ढूंढा बहुत, कहां खो गए आप, अन्ना को मक्खी समझ, फेंका उसका श्राप। चाबुक

तीन साल पहले, आज के ही दिन, देश ने अपने ‘प्रधान सेवक’ या ‘चौकीदार’ को ऐतिहासिक जनादेश दिया था। भाजपा को लोकसभा में पहली बार प्रचंड बहुमत मिला और नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने। हालांकि उन्होंने पद की शपथ 26 मई को ली थी। मोदी ने अपने लिए जो दो भूमिकाएं तय की थीं,

युवा क्षमता में पनप रहे हिमाचली पर्यटन की खासियत को समझना होगा और इसके पीछे बनते माहौल के कारण भी देखने होंगे। राष्ट्रीय स्तर पर युवा पीढ़ी की नई जानकारियों और अनुभवों के बीच हिमाचल अब एक ऐसा डेस्टीनेशन है, जहां पढ़ाई या प्रोफेशन को विराम तथा आराम मिलता है। देश के कमोबेश हर विश्वविद्यालय

उत्तर भारतीय राज्यों में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में, हिमाचल ने जल, पर्यावरण व वन संरक्षण अधिनियम के प्रति अपनी संवेदना और अधिकारों को रेखांकित किया है। विषय वर्षों से लंबित हैं और इस बीच उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठकों में अनुनय की भाषा में हिमाचल सदा कमजोर दिखाई दिया। जिस पानी पर

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी हिंदी के शीर्षस्थ साहित्यकारों में से एक हैं। वह उच्चकोटि के निबंधकार, उपन्यासकार, आलोचक, चिंतक तथा शोधकर्ता थे। साहित्य के इन सभी क्षेत्रों में द्विवेदी जी अपनी प्रतिभा और विशिष्ट काव्य के कारण विशेष यश के भागी हुए। द्विवेदी जी का व्यक्तित्व गरिमामय, चित्तवृत्ति उदार और दृष्टिकोण व्यापक है। द्विवेदी जी

एक ऐसे दौर में जब काम से कोमलता गायब हो गई है, संवेदनाएं नेपथ्य में चली गई हैं और उसे एक उपयोगी वस्तु के रूप में परोसा तथा स्वीकार किया जाने लगा है, तो यह आवश्यक हो जाता है कि हम उसे संपूर्णता में समझें। निकृष्ट और उत्कृष्ट के खांचों के बजाय, संतुलन साधने की

छोड़ो भी तकरार कि जीवन छोटा है, यारो बांटो प्यार कि जीवन छोटा है। निज-स्वार्थ के लिए रिश्ते से कटना मत, म्यान में रख तलवार कि जीवन छोटा है। घमंड की गठरी क्यों उठाए फिरता है, जल्दी कर, उतार कि जीवन छोटा है। तेरे सारे पूर्वज तो जग से चले गए, तू भी मध्यमकार कि