विचार

( डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर ) बालक नंबर-प्लेट बिन, नाप रहे आकाश, बिन साइलेंस-ब्रेक के, नेता जी के खास। नेती जी के खास, नहीं लाइसेंस बनाया, हैं किशोर पर उनका शोर, शहर भर में छाया, अनुमति खाकी की मिली, पीकर हैं वो मस्त, राहगीर कुचले गए, खपते, पड़ते पस्त, शासन ने छूट दी, बच्चो

( अर्पिता पाठक (ई-मेल के मार्फत) ) निजी अस्पतालों और डाक्टरों की देखभाल में होने वाले प्रसव में सिजेरियन आपरेशन की संख्या में भारी बढ़ोतरी हो रही है। चौथे राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण में यह सच सामने आया है। गर्भवती महिला और परिवार वाले इस समस्या से कैसे बचें, यह बड़ा सवाल उनके सामने है।

( सूबेदार मेजर (से.नि.) केसी शर्मा, गगल ) जब हम शिक्षा की गुणवत्ता पर चिंतन युक्त मंथन करते हैं, तब हमारी घोर आपत्ति नकल को लेकर है। परीक्षाओं में नकल मात्र एक अभिशाप है। इस अभिशाप से मुक्त होकर ही हम ईमानदारी से शिक्षा में गुणवत्ता हेतु सुधारों के बारे में हम सोच सकते हैं।

भानु धमीजा सीएमडी, ‘दिव्य हिमाचल’ (लेखक, चर्चित किताब ‘व्हाई इंडिया नीड्ज दि प्रेजिडेंशियल सिस्टम’ के रचनाकार हैं) किसी भी देश में एक स्वस्थ राजतंत्र के निर्माण के लिए द्वि-दलीय व्यवस्था आवश्यक है। मुद्दों पर बहुमत का नजरिया जानने की जनता की मूल लोकतांत्रिक इच्छा को संतुष्ट करने का यही एकमात्र रास्ता है। इससे लोग चुनावी व

हिमाचली बजट में जनता की खुशी को ठूंसने का अंतिम अवसर सरकार के पास और सत्ता की खुशियां छीनने का सफर विपक्ष के पास। हालांकि वीरभद्र सिंह सरकार ने पिछले एक साल में घोषणा के हर मंच को बखूबी सजाने, संवारने, संपूर्ण और समवेत बनाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन विपक्ष का हिसाब इसके विपरीत

अब तो भय लगता है। आशंकाएं पैदा होने लगी हैं। देश बंटता दिख रहा है, बिलकुल दोफाड़…! कश्मीर पर फिर अखाड़े सजने लगे हैं। दक्षिणपंथी कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा मानते हैं और वह है भी। शायद वामपंथी भी मानते होंगे, लेकिन वे घोषित करने को सहमत नहीं हैं। वे सरेआम कश्मीर की आजादी

कुलभूषण उपमन्यु (लेखक, हिमालय नीति अभियान के अध्यक्ष हैं) सौर ऊर्जा का ज्यादा से ज्यादा दोहन देश-प्रदेश के ऊर्जा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने का काम करेगा। लिहाजा इस बजट में सौर ऊर्जा के प्रचार-प्रसार का मार्ग प्रशस्त होना चाहिए… वर्ष भर में भारत में औसत 300 दिन सूर्य चमकता है। इस कारण यहां सौर ऊर्जा

(सूबेदार मेजर (से.नि.) केसी शर्मा, गगल) भावी पीढि़यों के लिए भी पर्यावरण स्वच्छ रहे, इसके लिए हमें आज जल, जंगल और जमीन की संभाल करनी होगी। हैरानी यह कि आज हम इन तीनों की बेकद्री पर उतारू हैं। पीने के स्वच्छ जल के नाम पर लंबे अरसे से बाजार में पानी बोतलों में बिकता देखा

(डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर) महफिल सजी अनीति की, बदबू, बेड़ा गर्क, विष्ठा पर चिपका दिया है, चांदी का वर्क। अब्दुला है परखा हुआ, शातिर धोखेबाज, आतंकी की पैरवी, नहीं आ रहा बाज। नहीं पड़ रही घास जो, बोले उल्टे बोल, पांव लटकते कब्र में, बोलों को तो तोल। कीड़ा है मस्तिष्क में, चढ़ा मानसिक