विचार

देवभूमि हिमाचल भी अपराधों का प्रदेश बनता जा रहा है। यहां भी अन्य राज्यों की तरह आपराधिक वारदातें बढ़ रही हैं। हिमाचल में हर साल 17 हजार के करीब मामले थानों में दर्ज हो रहे हैं, यानी हर रोज करीब 46 मामले थानों तक पहुंचते हैं। हत्या, बलात्कार, डकैती, लूट जैसी वारदातें हिमाचल में भी

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं जैसे-जैसे कश्मीर घाटी में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों में लड़ाई तेज होती हुई एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच रही है, वैसे-वैसे कश्मीरी युवा के नाम की आड़ में, आतंकियों से सहानुभूति रखने वाले सामने आने को विवश हो रहे हैं। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता

महाराष्ट्र, खासकर आर्थिक राजधानी मुंबई, को भाजपा का ही साथ पसंद है। देश की सबसे अमीर मुंबई महानगरपालिका, जिसका बजट करीब 37,000 करोड़ रुपए है, के चुनाव में असली जीत भाजपा की हुई है। शिवसेना के साथ गठबंधन टूटने और नोटबंदी दुष्प्रचार की छाया में 10 नगर निगमों के चुनाव हुए थे। भाजपा उनमें से

( राजेंद्र ठाकुर लेखक, ‘दिव्य हिमाचल’ से संबद्ध हैं ) हिमाचल के गठन के 69 साल गुजर जाने के बावजूद इस क्षेत्र में अभी तक हमें आधी ही सफलता मिल पाई है। 5.83 लाख हेक्टेयर (कुल कृषि क्षेत्र) की तुलना में हमारा कुल सिंचित क्षेत्र 2.67 लाख हेक्टेयर है। बाकी जमीन वर्षा पर निर्भर है…

सरकारी मन्नतों के दरवाजे जिस तरह तेलंगाना में खुले हैं, उसके आश्चर्यजनक संकेतों से राजनीतिक इतिहास के पन्ने भी सिहर उठे हैं। मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने राजनीतिक मन्नत के फलक पर सरकारी खजाने को ही चढ़ाकर एक नई परंपरा शुरू कर दी। राजनीतिक मन्नत के साढ़े पांच करोड़ का सोना अगर सरकारी खजाने की सौगात

( डा. राजेंद्र प्रसाद शर्मा, जयपुर (ई-पेपर के मार्फत) ) हम भले ही दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का दावा करें, पर लाख प्रयासों के बावजूद लोकतंत्र के प्रति आम आदमी की निष्ठा अभी तक परिलक्षित नहीं हो रही है। पांच राज्यों के मतदान के आंकड़े आईना दिखाने के लिए काफी हैं। गोवा, पंजाब,

( डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर ) हाफिज अब क्यों रो रहा, हुई बोलती बंद, नजरबंद था, खुल गया कैसे कमरबंद । कांप रहा क्यों पालतू, दबा रहा क्यों पूंछ, दाढ़ी किसने नोच ली, किसने नोची मूंछ। फक्कड़ ने जागृत किया, चली ट्रंप की चाल, चक्रव्यूह में फंस चुका, है शरीफ बदहाल। तीर चलाया ट्रंप

( देव गुलेरिया, योल कैंप, धर्मशाला ) हमारी संस्कृति में गुरु-शिष्य परंपरा का एक महत्त्वपूर्ण, गौरवमय और गरिमापूर्ण स्थान रहा है। हमारे धार्मिक ग्रंथों में इसका वर्णन किया गया है कि किस तरह गुरु को शिष्य का और शिष्य को गुरु का सम्मान करना चाहिए। किस तरह इस गरिमा और रिश्ते को देखा जाना व

प्रो. एनके सिंह प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं पश्चिम बंगाल में किसी मुस्लिम कार्यक्रम के लिए पूजा-पाठ को रोक देना इस बात का संकेत है कि देश में सामान व्यवहार की जरूरत को नए सिरे से परिभाषित किया जाना चाहिए। निश्चय ही सेकुलरिज्म का ढोंग करने वाले दलों