विचार

देश के पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी का दौर शुरू हुआ है। दिसंबर और जनवरी में बर्फबारी होती थी, लेकिन इस बार बर्फबारी कुछ देरी से शुरू हुई। हिमाचल प्रदेश के शिमला, कुफरी, मनाली और अन्य क्षेत्रों में जो बर्फबारी हो रही है, उसका लुत्फ उठाने के लिए पर्यटकों का तांता यहां लगना शुरू हो गया है। लेकिन बर्फबारी का लुत्फ उठाते हुए हमें सरकार और प्रशासन के नियमों का पालन भी करना चाहिए।

मुझे नहीं लगता मल्लिकार्जुन खडग़े की अहमियत पोस्टर से ज्यादा हो। अलबत्ता उनका काम राहुल गांधी की स्वयं को ही नुकसान देने वाली उक्तियों की सकारात्मक व्याख्या कर देने भर तक सीमित हो गया। मोदी के खिलाफ विपक्ष एकजुट नहीं हो पा रहा है। वह बिखर चुका है...

खिलाड़ी को तैयार करने में प्रशिक्षक की भूमिका जब जरूरी है तो फिर हम उसे सामाजिक-आर्थिक रूप से निश्चिंत कर प्रशिक्षण पर केन्द्रित क्यों नहीं होने देते....

हिमाचल प्रदेश के लिए केंद्र के बजट में कुछ खास नजर नहीं आ रहा है। आशा थी कि हिमाचल को बरसात में जो जख्म मिले हैं, उन पर मरहम लगाया जाएगा। प्रदेश सरकार पहले ही कह चुकी है कि राज्य को बरसात से हुई क्षति करीब 12 हजार करोड़ रुपए की है। केंद्र सरकार को कम से कम 10 हजार करोड़ रुपए की सहायता हिमाच

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आगामी चार महीनों के लिए अंतरिम बजट लोकसभा में पेश किया। यह उनका रिकॉर्ड छठा बजट है। अंतरिम बजट में मोदी सरकार की उपलब्धियों का बखान किया गया और अर्थव्यवस्था, विकास की हरी-हरी तस्वीर पेश की गई। मसलन-भारत विश्व-गुरु के तौर पर उभर रहा है। जनता खुश है और सशक्त हुई है। उसमें उम्मीद और आशावाद जागा है। सरकार के 10 सालों में सकारात्मक अर्थव्यवस्था रही है। रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी हुई है। सामाजिक समावेश का आर्थिक विकास हुआ है। भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद खत्म हुआ है। भारत 2047 में ‘विकसित राष्ट्र’ होगा। अंतरिम बजट से स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा को आम चुनाव जीतने की कोई चिंता नहीं है, लिहाजा वित्त मंत्री ने दावा किया है कि जुलाई के पूर्ण और आम बजट में विकसित भारत के व्यापक विकास का रोड-मैप

हिमाचल में ताबड़तोड़ तरीके से हो रहे स्थानांतरण के बीच एक गूंज यह कि प्रशासन का निजाम बदल रहा है, दूसरी ओर आगामी लोकसभा चुनाव से पूर्व सरकार ने सारी स्लेट को साफ करके, लोकतांत्रिक फर्ज को वरीयता दी है। धीरे-धीरे जिलों के प्रशासनिक, पुलिस अधिकारी तथा उपमंडल स्तर तक एसडीएम, डीएसपी, तहसीलदार तथा नायब तहसीलदारों की अदला बदली कर दी है। अधिकारियों की नई पांत बिछा कर सुक्खू सरकार ने

परतंत्र भारत में लोकमान्य तिलक ने अंग्रेजों से साफ शब्दों में कहा था कि ‘स्वतंत्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और इसे मैं लेकर रहूंगा।’ इसके बदले मिली उनको असंख्य यातनाएं और जेल यात्राओं की अनवरत त्रासदियां। लेकिन वे अपनी बात से अंतिम समय तक नहीं हटे तथा आजादी की अलख को जलाए रखा। उस समय ऐसे ही नेताओं की भरमार थी, जो भारत माता को परतंत्रता की बेडिय़ों से मुक्त कराने के लिए हंसते-हंसते फांसी के

निश्चल बैठ कर सांसों पर नियंत्रण और साथ में मौन, मानो सोने पर सुहागा है। मौन रहने का अभ्यास हमें अंतर्मन की यात्रा में ले चलता है, हम बाहरी जगत की ओर से ध्यान हटाकर अपने ही भीतर जाने लगते हैं। पूजा, भजन, कीर्तन आदि क्रियाएं अच्छी हैं, पर ये शुरुआती साधन हैं। आध्यात्मिकता में आगे बढऩे के लिए माइंडफुलनेस, गहरी लंबी सांसें और मौन बहुत लाभदायक हैं। अध्यात्म की अगली सीढ़ी है निश्छल प्रेम, हर किसी से प्रेम, बिना कारण, बिना आशा के हर किसी से प्रेम। मानवों से ही नहीं, पशु-पक्षियों और पेड़-पौधों से भी प्रेम, जीवित लोगों से ही नहीं, जीवन रहित मानी जाने वाली चीजों से भी प्रेम। एक बार जब हम प्रेममय हो गए तो आध्यात्मिकता की गहराइयों में चले जाते हैं...

बूढ़ा हो जाने के बाद आदमी कितनी सफाई से झूठ को सच बना कर बोल लेता है। लगता है इतना बूढ़ा हो गया है। सच ही कह रहा होगा। हो सकता है वास्तव में इसने जीवन में इतनी ही उपलब्धियां हासिल कर ली हों! इसका जीवन एक शाहकार बन कर गुजरा हो। वास्तव में क्यों न इसकी बात मान ही लो कि दुनिया में सबसे अकलमंद गदहा होता है, और सबसे सुखी जीव सुअर है। जो बात एक बूढ़े होते आदमी के लिए सही है, वही बात एक बू