विचार

बीते दिनों केंद्रीय सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने कुछ संदिग्ध और सवालिया न्यूज वेब पोर्टल, निजी न्यूज चैनलों पर पाबंदी लगाई थी। आरोप पुराने ही थे कि वे ‘फेक न्यूज’, ‘भ्रामक सामग्री’ और ‘झूठी खबरें’ परोस रहे थे। सरकार इसे ‘आपराधिक कृत्य’ मानती है। बीते एक अंतराल से ऐसी पाबंदियां ही चस्पा नहीं की गईं, बल्कि कुछ पत्रकारों, संपादकों, प्रकाशकों को भी, कड़ी कानूनी धाराओं में, जेल भी भेजा गया है। बहरहाल वे मामले अदालतों के विचाराधीन हैं। बेशक फेक न्यूज लंबे समय से एक गंभी

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक शानदार निर्देश देते हुए देश के सभी राजनीतिक दलों को यह आदेश दिया है कि जिस प्रत्याशी को भी वह संसद के लिए अपना उम्मीदवार बना रहे हैं उसका सारा आपराधिक रिकार्ड, अगर वह अपराधी है, तो चुनाव आयोग को भेजा जा

अवांछित घटनाक्रम की वांछित राजनीति ने अब हिमाचल की नीयत में अस्थिर सरकारों का खोट भर दिया है। अस्थिरता न होती तो जनादेश की ताकत से राज्यसभा में कांग्रेस का एक और सांसद प्रवेश कर गया होता, मगर इस ताजपोशी के सबूत खूंखार हो रहे हैं। कांग्रेस की जेब जहां लुटी है वहां जनादेश की दौलत भी लुटी है, लेकिन हम दोनों पाटों में सियासत का पुण्य-पाप नहीं चुन सक

कहानी के प्रभाव क्षेत्र में उभरा हिमाचली सृजन, अब अपनी प्रासंगिकता और पुरुषार्थ के साथ परिवेश का प्रतिनिधित्व भी कर रहा है। गद्य साहित्य के गंतव्य को छूते संदर्भों में हिमाचल के घटनाक्रम, जीवन शैली, सामाजिक विडंबनाओं, चीखते पहाड़ों का दर्द, विस्थापन की पीड़ा और आर्थिक अपराधों को समेटती कहानी की कथावस्तु, चरित्र चित्रण, भाषा शैली व उद्देश्यों की समीक्षा करती यह शृंखला। कहानी का यह संसार कल्पना-परिकल्पना और यथार्थ की मिट्टी को विविध सांचों में कितना ढाल पाया। कहानी की यात्रा के मार्मिक, भावनात्मक और कलात्मक पहलुओं पर एक विस्तृत दृष्टि डाल रहे हैं

वैसे तो नेता जी की कोठी में उत्सव होना कोई नई बात नहीं है। इधर चुनावों का बिगुल बजता है, उधर नेता जी के घर उत्सव शुरू हो जाता है। दारू की पेटियां पहुंचने लगती हैं। शौकीनों की बहार आ जाती है। दो घूंट अंदर जाते ही ‘जिंदाबाद-जिंदाबाद’ के नारों से पूरी कोठी गुंजायमान हो जाती है। नेताजी के चुनाव जीतने के बाद तो उत्सव लगातार कई दिन चलता है। पूरी कोठी रंगीन लाइटों से जगमग करने लगती है। बधाई देने के लिए जब थोड़ा रुतबे वाले लोग आते हैं तो जाहिर है कि दारू के ब्रांड भी सुपीरियर हो

पर्यटन की महफिल में मुसीबतों के पहाड़ का अंदाजा लगाना मुश्किल है, फिर भी अदालती संज्ञान की वजह से हम देख पाते हैं कि कितना काम बाकी और सरकार की हर एजेंसी को इस दिशा में कैसे सोचना होगा। माननीय उच्च न्यायालय ने फोरलेन के किनारे पर मलबे के टीले देखते हुए इन्हें तुरंत प्रभाव से हटाने के निर्देश दिए हैं। यह कालका-शिमला फोरलेन मार्ग का परिदृश्य है जिसे कानून ने देखा तो खामियां संबोधित हो गईं, वरना इन मंजिलों से रोजाना व्यवस्था लांघ कर भी अनजान है। कालका-शिमला फोरलेन

विश्व जल दिवस 22 मार्च को मनाया जाता है। विश्व के सभी विकसित देशों में स्वच्छ एवं सुरक्षित जल की उपलब्धता सुनिश्चित करवाने और जल संरक्षण के महत्व पर भी ध्यान केंद्रित करते हुए, साल 1992 में ब्राजील में रियो डी जेनेरियो में पर्यावरण तथा विका

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और शराब घोटाले की नियति शायद यही थी। केजरीवाल प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के 9 समन्स को लगातार ‘अवैध’ करार देते रहे और कभी पेश नहीं हुए। यह करके केजरीवाल ने संविधान और कानून को भी ठेंगा दिखाया। दिल्ली उच्च न्यायालय के जरिए उन्होंने 2 माह का संरक्षण मांगा, ताकि वह आम चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) के लिए प्रचार कर सकें। इस अवधि के दौरान उन्हें गिरफ्तार न किया जाए, लेकिन ईडी की पटकथा में ‘क्लाईमेक्स’ तब आया, जब न्यायाधी

इस पूरे प्रकरण में सर्वाधिक आश्चर्य यह है कि राजनीतिक दल एक-दूसरे पर कीचड़ उछाल रहे हैं। सभी एक-दूसरे को भ्रष्टाचार का आरोपी बता रहे हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले किसी ने चंदा लेने की पारदर्शिता की नीति पर अमल तक करने की जरूरत न