विचार

हमारे राज्य भी शिक्षा पर काफी राशि खर्च करते हैं, लेकिन इस राशि को तार्किक तरीके से खर्च किए जाना नदारद पाया जाता है और काफी पैसे बेफिजूल खर्च किए जाते हैं। डिजिटल शिक्षा के तेजी से विकसित हो रहे परिदृश्य में, आज के शिक्षार्थियों की गतिशील जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रौद्योगिकी का एकीकरण अनिवार्य हो गया है। शिक्षा में प्रौद्योगिकी की कमी ने असंख्य चुनौतियां पैदा की हैं जो सीखने की प्रक्रिया की प्रभावशीलता, पहुंच और अनुकूलनशीलता में बाधा उत्पन्न करती हैं। पिछले कुछ वर्षों में, शैक्षिक ऐप्स शिक्षा के सभी पहलुओं में एक महत्वपूर्ण घटक

महा पंचायत समाप्त होने के बाद भीड़ निर्माण स्थल में घुस गई और सोलन पुलिस से टकराव हो गया। निर्माण कार्य को भी क्षति हुई और कुछ लोगों को चोटें भी आईं, जो हिमाचल के शांतिपूर्ण माहौल के लिए चिंता की बात है, जिसकी निंदा करना भी जरूरी है। आंदोलनकारियों के खिलाफ मुकद्दमे दर्ज कि

वे बहुत परेशान थे। उनकी परेशानी यह थी कि कल उनके देश के भविष्य के कर्णधार का पेपर था। पर एक मुआ पेपर था कि लीक नहीं हो रहा था। वे पेपर लीक होने की बाट वैसे ही जोह रहे थे जैसे कभी सावन में रीतिकालीन नायिका विदेस गए खलनायक की बाट जोहा करती थी। पेपर जैसे कैसे लीक हो उन तक पहुंचे तो उनका बेटा एक बार फिर परीक्षा के इतिहास में नया कीर्तिमान रचे। आजकल परीक्षाएं ईमानदारी से परीक्षा देने वालों के कारण सफल नहीं होतीं, पेपर लीक कराने वालों के सहयोग से शांतिपूर्वक संपन्न होती हैं। हालांकि मैंने आज तक कोई परी

21 फरवरी 1999 को युनेस्को ने प्रतिवर्ष मातृभाषा दिवस मनाए जाने की घोषणा की थी। हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्ष ही नहीं, बल्कि बहुभाषीय देश भी है। हमारे देश में जितनी बोलियां हैं उतनी शायद ही दुनिया के दूसरे देशों में बोली जाती हैं, यह खूबी भी हमारे देश की अनेकता में एकता की इज्ज़त को चार चांद लगाती है। हमारे देश की बोलियों में भारत की सभ्यता और संस्कृति की झलक देखने को मि

बजट के मजमून अब विपक्ष की कचहरी में गूंजने लगे, तो प्रदेश की चिंताएं समझी जानी चाहिएं। हालांकि बजट ने जनप्रतिनिधियों की खुशामद में वार्ड पंच से जिला परिषद तक सदस्यों के मानदेय को बढ़ा दिया या विधायक प्राथमिकता निधि को सींच दिया, लेकिन विपक्ष के पास पूछने और आप

किसान संगठनों ने केंद्र सरकार के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया, जिसमें दलहन, कपास, मक्की, उड़द और अरहर की फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देने का आश्वासन दिया गया था। फसलों की मात्रा की भी कोई सीमा तय नहीं की गई थी। कृषि मंत्री समेत तीन केंद्रीय मंत्रियों ने 100 फीसदी एमएसपी पर सरकारी खरीद का प्रस्ताव दिया था। किसानों की अस्वीकृति निराशाजनक और नकारात्मक है। चूंकि पंजाब के ज्यादातर किसान

इस प्रावधान पर सर्वोच्च न्यायालय ने आपत्ति जताई है और कहा है कि चुनावी चंदे के लेन-देन में समुचित पारदर्शिता होनी चाहिए। अभी इस ताजा फैसले में अदालत ने इलेक्टोरल बॉन्ड की व्यवस्था को रोक दिया है और कहा है कि भारतीय स्टेट बैंक इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करना बंद कर दे। सर्वोच्च न्यायालय की प्रमुख आपत्ति पारदर्शिता को लेकर ही है। जो व्यवस्था इलेक्टोरल बॉन्ड के आने से पहले से थी और जिस प्रकार राज

पश्चिम बंगाल के संदेशखाली इलाके के हालात को देख-सुन कर ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें पहले ही देखा, भोगा और अनुभव किया है। संदेशखाली पर जितनी रपटें और विश्लेषण सामने आए हैं, उनके मद्देनजर आश्चर्य होता है कि 2011 से वहां ‘दरिंदों’ के अत्याचार, यौन उत्पीडऩ और भूमि पर जबरन कब्जों के सिलसिले जारी रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री उन्हें झूठ करार दे रही हैं। उन्होंने विधानसभा में कहा है कि संदेशखाली में आरएसएस का अड्डा है और वही औरतों को उकसा और बरगला रहा है। यदि संघ किन्हीं आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त है,

हिमाचल के बजटीय घाटे की दुकानदारी चला रहे सार्वजनिक उपक्रमों ने पुन: लुटिया इस कद्र डुबोई है कि इनके दोष कान खड़े कर रहे हैं। यह सिर्फ घाटा नहीं, बल्कि प्रदेश की आर्थिक क्षमता का ऐसा अवांछित रिसाव है, जिसे तुरंत रोकना होगा। कुल 23 सार्वजनिक उपक्रमों में से तेरह ने 5143 करोड़ का घाटा परोस कर कई ऐसे प्रश्र उठाए हैं जो पूछ रहे हैं, क्या इसी धरातल पर आत्मनिर्भर हिमाचल की कसम उठाई जाती है। आश्चर्य यह कि जहां संभावना है, वहीं घाटे को सिर पर चढ़ाया जा रहा है। घाटे के शिखर पर परिवहन निगम के 1966 करोड़, राज्य बिजली बोर्ड के 1824 करोड़, पाव