विचार

मेरा लिखने का अपना स्टाइल है। जब भी मेरा मन कुछ भी लीक से हटकर लिखने को करता है तो मैं अपनी लाइब्रेरी में पड़े कवियों-गद्यकारों के संकलनों में से पांच सात कवियों, पांच सात गद्यकारों की रचनाएं मुस्कुराते हुए फाड़ उनके टुकड़े टुकड़े कर उन्हें अपने सृजनात्मक डिब्बे में डाल देता हूं। फिर अपने उस सृजनात्मक डिब्बे को तब तक हिलाता रहता हूं जब तक गद्य पद्य में तो पद्य गद्य में घुल मिल नहीं जाते, कबीर के कुंभ में जल जल में कुंभ की तरह। बाहर जो हो, सो होता रहे। इससे मुझे कोई लेना देना नहीं होता। जब मुझे पता नहीं लगता कि अब इसमें गद्य कौन तो पद्य कौन, उसके बाद मैं अपने सृजनात्मक डिब्बे का ढक्कन खोल डिब्बे में से दो चमच नूतन साहित्य के निकाल उसे कागज पर डाल खिली धूप में सूखने रख देता हूं ता

बसपा प्रमुख मायावती ने चुनाव प्रचार के दौरान पश्चिमी उप्र को एक अलग, स्वायत्त राज्य बनाने का मुद्दा उछाला है। जब मायावती 2007-12 के दौरान उप्र की मुख्यमंत्री थीं, तब भी वह इस मुद्दे पर मुखर थीं। देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और उनके बाद भी इसी भूक्षेत्र को ‘हरित प्रदेश’ नामक राज्य बनाने को आंदोलन और अभियान छेड़े गए थे। ‘हरित प्रदेश’ राष्ट्रीय लोकदल के महत्व

हम भारतीयों को यह गौरव प्राप्त हुआ है कि भगवान श्रीराम ने भारत में ही अवतार लिया और उनके कारण ही भारत देश विश्व में एक ऐसा आदर्श प्रस्तुत कर रहा है जो भावी असंख्य पीढिय़ों के लिए भी प्रेरणास्रोत और श्रद्धापुंज बना रहेगा... जब से भगवान श्रीरामचंद्र जी का मंदिर श्री अयोध्या में जी में बनकर तैयार हो गया, हमारे सांस्कृतिक और राष्ट्रीय गौरव की पुन: प्रतिष्ठा हो गई, उसी समय से यह प्रश्न ह

हम भगवान श्री राम जी का जन्मदिन राम नवमी के रूप में मनाते हैं। जब-जब भी सृष्टि पर पाप बढ़ा है, असुरों के अत्याचार से प्राणी जाति संकट में आई है और सत्य, इनसानियत का पतन होने लगा है, तब-तब भगवान धरती पर किसी न किसी रूप में आए हैं। कभी राम बनके, तो कभी कृष्ण के रूप में। भगवान श्री राम जी ने सृष्टि को रावण के जुल्मों और अत्याचारों से मुक्त करवाया था

नशा करते वक्त किसी को भी होश नहीं होती कि वह अपना कितना बड़ा नुकसान कर रहा है। नशे के लिए वह अपना सब कुछ दांव पर लगा देता है। सारा पैसा और यहां तक कि घर के गहने तक बेच देता है। युवाओं को नशा केवल देश के लिए कुछ करने के लिए जज्बे का, अच्छी बातों को ग्रहण करने का और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी सही से करने का होना चाहिए...

हिमाचल में लोकसभा चुनाव से कहीं अधिक चिराग उपचुनावों में जल रहे हैं। नई रोशनी के समाधान में कांग्रेस की रणनीति सिद्धहस्त होने का जरिया खोजती-खोजती जहां पहुंच रही है, वहां भाजपा भी शह और मात के खेल में कई रहस्यों के साथ खड़ी है। जाहिर तौर पर लोकसभा चुनावों में विधायकों की भूमिका में चुनाव की उम्मीदवारी मंडी से शिमला तक कांग्रेस के पैमानों में ताजगी भर चुकी है और अगर यही आजमाइश कांगड़ा में भी विधायक को उतार दे, तो भाजपा के सामने अगली पारी की बारी मुश्किल परीक्षा पैदा कर सकती है। हिमाचल में राज्यसभा सांसद के चुनाव ने राजनीति का डीएनए बदला है। जो पहाड़ में पहले असंभव था, अब होने लगा है,

इन सब प्रयासों के मद्देनजर सरकार द्वारा प्रोत्साहित सभी क्षेत्रों में निवेश में अभूतपूर्व वृद्धि देखने को मिल रही है। इससे आयातों पर अंकुश लगेगा व निर्यातों को भी प्रोत्साहन मिलेगा...

लोकतंत्र की गंदली और दिन पर दिन सूख रही नदी की मौज़ों में घंटों मौज करने के बाद एक चट्टान पर लेटे झुन्नू लाल विटामिन डी का आनन्द उठा रहे थे। हफ़्ते के छ: दिन, एक कारख़ाने में बारह घंटे, आठ हजार रुपये की मज़दूरी करने वाले झुन्नू को आज रविवार की छुट्टी थी। देश में मौज पूरी तरह उतरी नहीं थी। लोकतंत्र की नदी में अभी कुछ जीवन शेष था। नहीं तो हो सकता था

भाजपा के ‘संकल्प-पत्र’ में कुछ भी नयापन नहीं है। योजनाओं का या तो विस्तार किया गया है अथवा राष्ट्रीयकरण की घोषणा की गई है। भाजपा पूरी तरह प्रधानमंत्री मोदी के रिकॉर्ड और लोकप्रियता के भरोसे है। प्रत्यक्ष रेवडिय़ों अथवा मुफ्तखोरी का कोई भी संकल्प नहीं किया गया है। देश के 80 करोड़ से अधिक गरीबों के लिए 5 किलो ‘मुफ्त अनाज’ की योजना 2029 तक जारी रहेगी। यह देश आकलन करेगा कि वह इसे ‘मुफ्तखोरी’ की जमात में रखता है अथवा इसे सामाजिक-रा