विचार

हिमाचल में ताबड़तोड़ तरीके से हो रहे स्थानांतरण के बीच एक गूंज यह कि प्रशासन का निजाम बदल रहा है, दूसरी ओर आगामी लोकसभा चुनाव से पूर्व सरकार ने सारी स्लेट को साफ करके, लोकतांत्रिक फर्ज को वरीयता दी है। धीरे-धीरे जिलों के प्रशासनिक, पुलिस अधिकारी तथा उपमंडल स्तर तक एसडीएम, डीएसपी, तहसीलदार तथा नायब तहसीलदारों की अदला बदली कर दी है। अधिकारियों की नई पांत बिछा कर सुक्खू सरकार ने

परतंत्र भारत में लोकमान्य तिलक ने अंग्रेजों से साफ शब्दों में कहा था कि ‘स्वतंत्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और इसे मैं लेकर रहूंगा।’ इसके बदले मिली उनको असंख्य यातनाएं और जेल यात्राओं की अनवरत त्रासदियां। लेकिन वे अपनी बात से अंतिम समय तक नहीं हटे तथा आजादी की अलख को जलाए रखा। उस समय ऐसे ही नेताओं की भरमार थी, जो भारत माता को परतंत्रता की बेडिय़ों से मुक्त कराने के लिए हंसते-हंसते फांसी के

निश्चल बैठ कर सांसों पर नियंत्रण और साथ में मौन, मानो सोने पर सुहागा है। मौन रहने का अभ्यास हमें अंतर्मन की यात्रा में ले चलता है, हम बाहरी जगत की ओर से ध्यान हटाकर अपने ही भीतर जाने लगते हैं। पूजा, भजन, कीर्तन आदि क्रियाएं अच्छी हैं, पर ये शुरुआती साधन हैं। आध्यात्मिकता में आगे बढऩे के लिए माइंडफुलनेस, गहरी लंबी सांसें और मौन बहुत लाभदायक हैं। अध्यात्म की अगली सीढ़ी है निश्छल प्रेम, हर किसी से प्रेम, बिना कारण, बिना आशा के हर किसी से प्रेम। मानवों से ही नहीं, पशु-पक्षियों और पेड़-पौधों से भी प्रेम, जीवित लोगों से ही नहीं, जीवन रहित मानी जाने वाली चीजों से भी प्रेम। एक बार जब हम प्रेममय हो गए तो आध्यात्मिकता की गहराइयों में चले जाते हैं...

बूढ़ा हो जाने के बाद आदमी कितनी सफाई से झूठ को सच बना कर बोल लेता है। लगता है इतना बूढ़ा हो गया है। सच ही कह रहा होगा। हो सकता है वास्तव में इसने जीवन में इतनी ही उपलब्धियां हासिल कर ली हों! इसका जीवन एक शाहकार बन कर गुजरा हो। वास्तव में क्यों न इसकी बात मान ही लो कि दुनिया में सबसे अकलमंद गदहा होता है, और सबसे सुखी जीव सुअर है। जो बात एक बूढ़े होते आदमी के लिए सही है, वही बात एक बू

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की शिक्षा प्रणाली में अच्छे अच्छे बदलाव लाने के लिए कोशिश कर रहे हैं। इनकी सरकार ने विद्यार्थियों के लिए पढ़ाई आसान बनाने के लिए शिक्षा नीति में बदलाव किया है और प्रधानमंत्री विद्यार्थियों के अंदर परीक्षा का भय समाप्त करने के लिए पिछले वर्षों से परीक्षा पर जो चर्चा कर रहे हैं, वो भी इनका बहुत ही अच्छा प्रयास है।

झारखंड से शुरुआत करते हैं। वहां चुनावी जनादेश झामुमो गठबंधन को मिला था, जिसने हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री चुना। अब वह कई गंभीर घोटालों में आरोपित हैं। क्या ऐसा होना चाहिए कि यदि उनकी गिरफ्तारी होती है, तो उनकी पत्नी कल्पना सोरेन को राज्य का मुख्यमंत्री बना दिया जाए? क्या चुने हुए विधायकों को एक ऐसे चेहरे को अपना मुख्यमंत्री मान लेना चाहिए, जो विधायक भी नहीं है? चूंकि हेमंत सोरेन झामुमो के ‘आलाकमानी

विधायक प्राथमिकताओं के अध्याय जब वार्षिक योजना की बैठकों में खुलते हैं, तो हम देख सकते हैं कि जनप्रतिनिधि हमारे विकास के आईने के सामने क्या विजन रखते हैं। यह बजट की कसौटियों से पहले उस इच्छाशक्ति का प्रकटीकरण है, जिसके तहत हम हिमाचल की तस्वीर बदल सकते हैं। बहुत हो गईं सडक़ें, कार्यालय, इमारतें, पेयजल, विद्युत आपूर्ति और सिंचाई योजनाओं की बातें। ये कर्म चलते रहेंगे और विकास के ये पहिए सौ साल बाद भी ऐसे लक्ष्यों से मुलाकात करेंगे। असली इबारत तो चिंतन के धरातल को बदल कर लिखी जाए, तो क्रांति आएगी। विधा

भारत को 2047 तक विकसित देश बनने के लिए अगले 23-24 साल तक विकास दर को 7.7 फीसदी की रफ्तार से बढऩा होगा। इसलिए वर्तमान संदर्भ में यह अनिवार्य हो गया है कि केंद्र सरकार मजदूरों के शोषण पर लगाम लगाकर, आर्थिक और कृषि विकास में तेजी लाकर, आय की असमानताओं को दूर करे...

वर्दी या यूनिफॉर्म एक प्रकार की वह पोशाक है जिसे किसी पाठशाला के विद्यार्थियों या किसी संगठन के सदस्यों, कर्मियों या श्रमिकों द्वारा उस संस्थान या संगठन की गतिविधियों में भाग लेते हुए पहनी जाती है। वर्दी को आम तौर पर सशस्त्र बलों, अर्धसैनिक संगठनों जैसे पुलिस, आपातकालीन सेवाओं, सुरक्षा गार्डों, कुछ कार्यस्थलों और स्कूलों के विद्यार्थियों, श्रमिकों तथा जेलों में कैदियों द्वारा पहनी जाती है। किसी संस्था के सदस्यों द्वारा उस संस्था