विचार

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) की व्याख्या ही बदलने की कोशिश की है। उन्होंने कुछ सवाल उठाए हैं, जो भावोत्तेजक हैं। उनकी मंशा हिंदू-मुसलमान से आगे बढक़र आर्थिक संसाधनों और स्थितियों पर केंद्रित करने की है, ताकि राजनीति की दिशा और दशा बदली जा सके। हालांकि ऐसी संभावनाएं नगण्य हैं। संयुक्त राष्ट्र नागरिकता को व्यक्तिपरक सुरक्षा का बुनियादी तत्त्व मानता है और प्रताडि़त, शोषित, मानवाधिकार कुचलन के शिकार लोगों को ‘शरणार्थी’ के तौ

15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जाता है। जानकार यह भी बताते हैं कि अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने इस

सियासत के अद्भुत प्रतीक और शिनाख्त के पद्चिन्हों में राजनीतिक सपूत चुनने की कवायद में आगामी लोकसभा चुनाव की दृष्टि सामने आ रही है। पांचवीं बार हमीरपुर लोकसभा के अपने अभेद्य दुर्ग पर अनुराग ठाकुर को भाजपा, लोकसभा में मुकाम दिखा रही है। शिमला से सुरेश कश्यप पर भरोसा जताने के बावजूद मंडी का जौहर दिखाने में भाजपा की सियासी किफायत और कांगड़ा की

इस देश के लोगों को उन कतारों में खड़े होने की आदत हो गई है, जो आगे नहीं सरकती। वैसे कतारों में खड़े होने की आदत यहां है भी नहीं। कतार तोड़ कर आगे बढ़ जाने की धक्कमपेल है। धक्का-मुक्की यहां शूरवीरता मानी जाती है और चोर दरवाजे खोल कर गद्दी पर आसीन हो जाना नए युग का धर्म। फिर जो आसीन हो गया, वह नीचे उतरता कहां है। संन्यास लेने का वक्त आ जाए, तो भी देश की चिंता उसे इतना सताती है कि उसका संन्यास मुल्तवी होता जाता है। यहां त्याग और तपस्या एक मुखौटा बन गई है, और जीवन

पार्टी आलाकमान का ऐसा एकाधिकार भी किसी लोकतंत्र का हिस्सा होता है, हमें याद नहीं है, लेकिन देश की सबसे बड़ी और सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी की इच्छा और एकाधिकार से ही संचालित होती है। प्रधानमंत्री की अचानक इच्छा हुई, तो हरियाणा के उस मुख्यमंत्री को, कुछ ही घंटों में, बदल दिया गया, जिसे जनादेश हासिल था। यह जनादेश अक्तूबर, 2024 के अंत तक का था। 2019 का विधानसभा चुनाव जिसके नेतृत्व में लड़ा गया और 41 विधायक जीत कर आए। यही नहीं, जो शख्स प्रधानमंत्री

कुछ तो शुक्रिया अदा शराब की बोतल का करें, जिसकी बदौलत प्रदेश का चूल्हा जलेगा। कोशिश हर बोतल से पूछ रही है कि इस बार कमाई के छबील पर कितना नशा बहेगा। ठेकेदारों की खिदमत में बोलियां लगाता आबकारी विभाग अपने सिर की जुएं निकाल देगा और फिर यूनिट दर यूनिट, इस महफिल में कमाने का जरिया, हमारी ही दरिद्रता के सामने अमीर हो जाएगा। पिछले दस महीनों में जिन लोगों ने नौ

दहेज का मतलब होता है बेटी को शादी के समय अपनी खुशी से कोई उपहार देना। भारत में यह प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है। लेकिन आधुनिक और भौतिकवाद के समय में आज कुछ लालची लोगों ने इसे कुप्रथा बना दिया है। हमारे देश में दहेज कुप्रथा अभी भी पैर पसारे हुए है। हिमाचल प्रदेश में भी इस कुप्रथा का चलन कोई कम नहीं है। यहां भी दहेज लेने-देने की रूढि़वादी परंपरा गरीबों के लिए अभिशाप बनी हुई है।

मैंने हिमाचल प्रदेश सरकार तक इस लेख के माध्यम से विकास एवं पर्यटन संभावनाओं में बढ़ोत्तरी के दृष्टिगत कुछ ऐसे क्षेत्रों में विद्यमान अपर्याप्त सुविधाओं की कहानी एवं मांग को पहुंचाने की कोशिश की है ताकि राज्य सरकार व्यावसायिक तौर-तरीके अपनाकर हिमाचल की पर्यटन आर्थिकी को पटरी पर लाने के लिए काम करे...

नागरिकता संशोधन बिल को 2016 में संसद में पेश किया गया। दिसंबर, 2019 में लोकसभा और राज्यसभा में पारित किया गया। जाहिर है कि कानून बनाने की पटकथा को अंतिम रूप दे दिया गया, लेकिन 4 साल 3 माह की लंबी अवधि के बाद कानून की अधिसूचना तब जारी की गई, जब आम चुनाव की घोषणा कुछ दिन बाद होने ही वाली थी। इस संदर्भ में अधिसूचना के समय पर कठोर सवाल किए जाने स्वाभाविक हैं। अधिनियम के नियम, उसकी पात्रता और शर्तें आदि तय करने में इतना लंबा वक्त गुजार दिया गया, यह वाकई आ