वैचारिक लेख

भारत में पहचान बनाने के लिए लोग मरने का इंतजार करते हैं। हम जिंदा लोगों को पहचानें या मरने पर शव स्तुति के माहिर लोगों में गिने जाएं। हमारा सारा ज्ञान शमशानघाट की चारदीवारी में आकर तरोताजा हो जाता है। बुद्धिजीवी का वैचारिक जीवन यूं तो मरा सा है, लेकिन जब कोई मरता है तो वह चर्चाओं में खुद के होने का अहसास कर लेता है। यूं तो रूटीन में वह अखबारें पढक़र अधमरा हो जाता है और समाचार चैनल सुनते-सुनते सुध-बुध खो बैठता है। वह कई बार महसूस करता है कि बुद्धि का अगर गुरुत्वाकर्षण होता भी तो चैनलों के एंकर उसे टिकने नहीं देते। वह जब देश से कतराना चाहता है तो चैनल पर चर्चा सुन लेता है। चंद्रया

बर्तानिया हुकूमत का सूर्यास्त होने के बाद यदि हिंदोस्तान के फलक पर मगरिब के बादल मंडरा रहे हैं तो इस तहजीब की वजाहत में बालीवुड ने एक मखसूस किरदार अदा किया है। भारतीय संस्कृति व संस्कारों को दूषित करने वाली पश्चिमी तहजीब सिनेमा के जरिए ही सामाजिक परिवेश में दाखिल हुई है...

आज भाजपा सबसे ज्यादा बड़ी पार्टी है। यह निश्चित है कि केंद्र सरकार के चुनावों में काले धन के जरिए होने वाले भ्रष्टाचार को रोकने के प्रयासों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से झटका लगा है। कोर्ट के बॉण्ड के मामले में दिए गए आदेश के बाद राजनीतिक दल फिर से चुनावी चंदे के नाम पर उद्योपतियों की बांह मरोडऩे से बाज नहीं आएंगे...

कृपया मेरा नाम किसी के साथ न जोड़ा जाए। न तो मैं सीधी तरह उधर हूं और न ही सीधी तरह इधर हूं। मैं बीच में हूं और समय की धार देख रहा हूं। आप यूं भी कह सकते हैं कि मैं तटस्थ आदमी हूं।

आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिलाओं द्वारा हासिल की गई सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक सफलताओं का जश्न मनाना जरूरी है, ताकि हर महिला में कुछ नया करने की संजीवनी भर जाए, उनमें नए पंख लग जाएं

मथुरा कन्हैया लाल (श्रीकृष्ण) आ तो गए, लेकिन उनका मन होली के आते ही व्याकुल हो उठा। राधा तथा अन्य गोपियों की याद उन्हें सताने लगी। उद्धव से बोले- ‘उद्धव, मोहे ब्रज बिसरत नाहीं’। उद्धव बोले- ‘भगवन् आपने ही मथुरा आने की जल्दबाजी की। अभी आप कह रहे हैं कि आप ब्रज को भुला नहीं पा रहे हैं। ब्रज को भुलाना संभव भी नहीं है। आपने वहां वर्षों रास रचाया है। गोपियों की दही-मक्खन की मटकियां फोड़ी हैं और होली पर खूब गुलाल-अबीर उड़ाया है। मैंने तो आपसे कहा भी था कि मथुरा होली के बाद चलेंगे

तब उन्होंने ‘ममता बनर्जी’ वाला सूत्र अपनाया। शाहजहां को सीबीआई को नहीं दिया। जो करना हो, कर लो। सारा बंगाल देख रहा है। आखिर ममता बनर्जी शाहजहां को इस सीमा तक जाकर भी क्यों बचाना चाहती हैं? यह प्रश्न शेषनाग की तरह फन तान कर उसके सामने खड़ा है। ममता बनर्जी को किस बात का डर है? दूसरे दिन हाई कोर्ट फिर आदेश देता है। शाहजहां को बंगाल पुलिस की सुरक्षा से निकाल कर सीबीआई को सौंप दिया जाए। लगता है हाईब्रिड तक ममता सरकार के शाहजहां को बचाने के सारे हथियार खत्म हो गए हैं। आखिर शाहजहां सीबीआई की कस्टडी में पहुंच गया है। सुना है इसको लेकर ममता बहुत बड़ी रैली करने जा रही हैं

स्पिरिचुअल हीलिंग कोई जादू-टोना नहीं है, कोई अंधविश्वास नहीं है, बल्कि एक प्रभावी टूल है जो हमारे दिल, दिमाग और आत्मा से कूड़ा चुनकर उसे निर्मल बना देती है। स्पिरिचुअल हीलिंग की सबसे बड़ी खूबी यह है कि स्पिरिचुअल हीलर को आपकी उंगली भी छूने की आवश्यकता नहीं है और यह ऑनलाइन भी हो सकती है। मैं मीडिया घरानों का शुक्रगुजार हूं कि उनकी सीख के कारण परमात्मा ने मुझ पर कृपा की और स्पिरिचुअल हीलर बनकर समाज सेवा करने के काबिल हो सका। जीवन की यह समझ मुझे ‘दिव्य हिमाचल’ स

सरकारी स्तर से बढक़र पारिवारिक एवं सामाजिक स्तर पर सभी संस्थाओं के सक्रिय सहयोग से ही महिला उत्थान व महिला सम्मान को सुनिश्चित बनाया जा सकता है। बातें कहने भर से नारी सम्मानित नहीं होगी...