पंचायत स्तर पर पंचायत प्रधान एवं पंचों को परंपरागत वाटर रिसोर्सेज के उचित रखरखाव के लिए जनभागीदारी से जल संरक्षण के लिए बेहतर प्रयास करने चाहिए। नौजवानों को आगे आकर जल संरक्षण के लिए सकारात्मक प्रयास करने चाहिएं... जल को जीवन का अमृत कहा ग
बुद्धिजीवी पहले जुबान का अधिकतम प्रयोग कुछ कहने के लिए करता था। उसे बातों-बातों में स्वाद आता था, हालांकि खुद हमेशा कड़वी बात ही करता था, लेकिन जैसे ही बुद्धि ने उसे कमाना सिखाया, वह जीभ पर खाने का स्वाद भी चखने लगा। आश्चर्य यह कि बुद्धिजीवी अब महंगाई के स्वाद का आदी हो गया है, बल्कि उसने बाजार के विपरीत अपना स्वाद विकसित कर लिया है। यानी टमाटर वह तब खाता है, जब किसान इसे खेत से बाहर निकालकर फेंक रहा होता है। आलू तब खाता है जब किसान इसे खेत में ही सडऩे के लिए दबा रहा होता है। नासिक की बारिश उसे प्याज के काबिल बनाती है या पंजाब के खेत की लाचारी उसे खाने की
आखिर क्या कारण हैं कि एक ही पद तथा एक ही वेतनमान पर कार्यरत एक ईमानदार व एक भ्रष्ट कर्मी का जीवन स्तर न केवल अलग-अलग होता है, बल्कि एक कम वेतनमान वाले कर्मी का आलीशान बंगला व अन्य सुख-सुविधाएं दूसरे से कहीं अधिक होती हंै...
दरअसल भाजपा के ताकतवर होने के बाद कांग्रेस ने कभी भी पार्टी के लगातार कमजोर पड़ते जाने को लेकर आत्ममंथन नहीं किया। कांग्रेस अपनी किसी भी नीति और सिद्धांत पर कायम नहीं रह सकी। ऐसे में भाजपा ने कांग्रेस के ढहते किले में तोडफ़ोड़ करने में कसर बाकी नहीं रखी...
देखो जी, मैं बाकी सारी चीज़ें बर्दाश्त कर सकता हूं, लेकिन यह हरगिज़ बर्दाश्त नहीं कर सकता कि कोई फिज़ूल में सरकार को पानी पी-पीकर कोसे और यह इल्जाम लगाए कि भ्रष्टाचार बढ़ गया है और सरकार सोई है। ऐसा भला कभी हो सकता है...
सुक्खू की कांग्रेस सरकार पहले दिन से ही स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के प्रति निष्ठा रखने वाले विधायकों को हाशिए पर धकेलने के काम में लगी हुई थी। वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बना कर सोनिया गांधी की संतान ने संतुलन साधने की कोशिश तो जरूर की, लेकिन सुक्खू उस संतुलन को धरातल पर नहीं उतार पाए। यह भी कहा जा रहा है कि सुक्खू विरोधी खेमे में चौदह विधायक हैं, लेकिन रणनीति के तहत अभी छह विधायकों को ही सार्वजनिक रूप से राज्यसभा चुनाव के अवसर पर
200 मीटर की दौड़ में राजकीय महाविद्यालय हमीरपुर की धाविका प्रोमिला ने अंतर विश्वविद्यालय एथलेटिक्स बंगलूरु 2006 में 100 मीटर में चौथा तथा 200 मीटर की दौड़ को 24.93 सैकेंड में दौड़ कर रजत पदक जीता था...
हमारा देश घोटाला प्रधान है। घोटालों में हमारा मुकाबला नहीं है। ओलंपिक्स में यदि घोटाला प्रतियोगिता हो तो नि:संदेह हम हर हालत में स्वर्ण पदक प्राप्त करके रहें। एक घोटाले की जांच प्रारम्भ भी नहीं हो पाती कि दूसरा खुल पड़ता है। मेरे एक मित्र हैं। घोटालों के अनुभव सिद्ध पुरुष हैं। तीन बार गबन-घोटाले के चक्कर में निलंबित हो चुके हैं। लेकिन हर बार न्यायालय उन्हें बेदाग साबित करके पुन: सेवा में बहाल कर देता है और वे फिर घोटाला प्रक्रिया में लिप्त हो जाते हैं। एक दिन आए तो मैंने कहा-‘मित्रवर, घोटालों के कीर्तिमान तोड़े जा रहे हैं और आप हैं कि दम साधे पड़े हैं।’ ‘शर्मा क्या बताऊं यार, घोटाला तो कर चुका लेकिन अभी तक पकड़ा नहीं जा
सहज संन्यास घर छोडऩे, परिवार छोडऩे, दुनिया छोडऩे, कपड़े रंगवाने, सिर मुंडाने या बाल बढ़ाने की आवश्यकता नहीं है। हम जैसे हैं, वैसे ही रहें। हम जो काम कर रहे हैं, वो पूरी तन्मयता से, पूरी ईमानदारी से, पूरी लगन से, पूरी मेहनत से, पूरी निष्ठा से, पूरी काबलियत से करें। जो करें वह ऐसा हो जो सबके भले के लिए हो, तो हम संन्यासी हैं। जब हम लालच छोड़ दें, क्रोध छोड़ दें, ईष्र्या छोड़ दें, ऊंच-नीच का विचार