वैचारिक लेख

खिलाड़ी को तैयार करने में प्रशिक्षक की भूमिका जब बेहद जरूरी है तो फिर हम उसे सामाजिक व आर्थिक रूप से निश्चिंत कर शारीरिक व मानसिक पूरी तरह अपने प्रशिक्षण पर केंद्रित क्यों नहीं होने देते। भर्ती-पदोन्नति नियमों में संशोधन होना चाहिए… जब राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खिलाड़ी करोड़ों लोगों में स्वयं व अपने

पूरन सरमा स्वतंत्र लेखक वैसे तो मनुष्य के दुःखद अध्याय की शुरुआत उसके किसी एक अदद औरत के पति बनने के साथ ही शुरू हो जाती है, परंतु किसी कमाऊ पत्नी का पति होना तो घोर विपत्ति का कारण हो जाता है और चाहते हुए भी आदमी उस असम्मानजनक हालात से उबर नहीं पाता है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढ़ते प्रयोग के कारण अब इनसान के बजाय मशीनें आपस में ज्यादा बातें करेंगी और प्राइवेसी की समस्या और भी गहराएगी। यहां तक तो ठीक था, पर अब हमारी निजता ही नहीं, हमारा धन भी चोरों-ठगों-हैकरों के निशाने पर है। हम जानते हैं कि कुछ माह पूर्व दक्षिण कोरिया की लगभग आधी

चुनाव वाले दिन आप दुबक कर घर पर मत बैठना, नहीं तो वो प्रधान बन जाएगा जिसे आप नहीं चाहते। आप इन उम्मीदवारों के अंगूरी और शहद जैसे जुमलों में मत आना। किसी लालच या छलावे में मत आना क्योंकि ये लोग मंझे हुए छलिए भी होते हैं। अपने विवेक का इस्तेमाल कर ही मत

सुरेश सेठ sethsuresh25U@gmail.com पौन सदी बीत गई। तब रात को बारह बजे लाल किले से एक आवाज़ गूंजी थी। मेरे देशवासियो, नया दिन शुरू हो गया। इस दिन की नई सवेर में भारत आंखें खोलते हुए अपनी गरीबी, बेकारी और पिछड़ेपन के अंधेरे को विदा करेगा। सबके लिए एक नए सूरज का उदय होगा। दासता

प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति का एक प्रमुख तत्त्व गुरुकुल व्यवस्था रही है। इसमें विद्यार्थी अपने घर से दूर गुरु के घर पर निवास कर शिक्षा प्राप्त करता था। गुरु के समीप रहते हुए विद्यार्थी उसके परिवार का एक सदस्य हो जाता था तथा गुरु उसके साथ पुत्रवत व्यवहार करता था। आत्म-निर्भरता की भावना विकसित होती

पंचायत प्रतिनिधियों का पंचायत में जातिगत एवं वर्गगत संख्या के आधार पर चयनित होना प्रदेश की पंचायतों के संतुलित व समग्र विकास की दिशा में सबसे प्रमुख अवरोध है। वर्तमान घटनाक्रमों से यह तथ्य प्रकट होता है कि मतदाता अपने क्षेत्र में स्वस्थ एवं सुदृढ़ लोकतांत्रिक व्यवस्था को स्थापित करने के प्रति उदासीन हैं… नववर्ष

अशोक गौतम ashokgautam001@Ugmail.com कल तक जिन कबूतरों का घर में शांति आने की उम्मीद में आंगन में हाथ में उनको दाना लिए सुबह ही इंतजार करने बैठ जाता था, इन दिनों उन कबूतरों को अपने घर के ऊपर से उड़ते देखते हुए भी डर लग रहा है। क्या पता कब जैसे उनमें से कोई मेरी

कैबिनेट के मंतव्य के अनुसार जापान को कुशल कर्मियों को उपलब्ध करने के लिए हमें वर्तमान शिक्षा तंत्र के बाहर सोचना होगा। वर्तमान शिक्षा तंत्र का आमूलचूल सुधार करना होगा। सेंटर फार सिविल सोसायटी के एक अध्ययन के अनुसार हांगकांग, फिलिपीन्स, पाकिस्तान, आंध्र प्रदेश, दिल्ली-शहादरा, उड़ीसा आदि स्थानों पर प्रयोग किए गए हैं जिसके अंतर्गत