वैचारिक लेख

सुरेश सेठ sethsuresh25U@gmail.com मत समझिए कि हम इस देश की तेज़ी से बढ़ती हुई आबादी को असंख्य बता उसकी तुलना इस देश के बेहिसाब चूहों से करने जा रहे हैं। वैसे तो इस देश के चूहों ने बढ़-चढ़ कर लोगों की चूहापंथी का मुकाबला करने का प्रयास किया है। भ्रष्ट नौकरशाही अगर अच्छे भले अनाजों

डिस्ट्रिक्ट इन्फॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (डीआईएसई) के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2010-11 से 2017-18 के बीच सरकारी स्कूलों के दाखिले में 2.38 करोड़ की कमी हुई, जबकि इसी अवधि में निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों में होने वाले दाखिलों में 2.11 करोड़ की वृद्धि हुई। इन आंकड़ों में गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों में होने

दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी वाले देश भारत में नशाखोरी के मकड़जाल में फंसकर जेलों में बंद ज्यादा तादाद युवावर्ग की है। इसलिए देश में ‘मेक इन इंडिया’ या ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे अभियान तभी सफल होंगे यदि देश का यौवन नशे के गर्त से बचेगा। नशाखोरी किसी भी राष्ट्र की नींव को जर्जर व

अशोक गौतम ashokgautam001@Ugmail.com किसी भी दिवाली को लक्ष्मीजी से तो मुलाकात नहीं हो पाई पर उनके वाहक उल्लू से पिछली दिवाली को जैसे कैसे मिलने का जुगाड़ हो गया था। मैंने जब उसकी जमकर सेवा पानी की तो उसने मुझसे वादा किया था कि वह मेरी सेवा पानी याद रखेगा। मेरी सेवा पानी से प्रसन्न

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक पुराने समय में भी हिंदू और बौद्ध भिक्षु तमाम देशों में जाकर बसे और वहां उन्होंने भारतीय संस्कृति का प्रसार किया। लेकिन वर्तमान में भारत से विदेश जाकर जो प्रवासी बस रहे हैं, जैसे कमला हैरिस के पूर्वज गए थे, इन्होंने मूल रूप से उस अमरीकी संस्कृति को अपना लिया है

प्रेम ठाकुर लेखक लाहुल-स्पीति से हैं मैंने कौतूहल वश यह पूछ लिया कि उनको मेरे बुजुर्गों की कोई घटना याद है? उन्होंने मुस्कुरा कर सिर्फ यही कहा कि आपके दादा व पड़दादा ने समस्त लाहुल-स्पीति को लाहुल व कुल्लू से बाहर जाकर व्यवसाय व बच्चों को उच्च शिक्षा देने का संदेश दिया था। उन्होंने बताया

झूठ की तरह इतिहास कभी नहीं मरता। यह बात दीगर है कि झूठ की तरह इतिहास को भी चाहे जैसे मरज़ी तोड़ा-मरोड़ा जा सकता है। इतिहास बताता है कि कभी सोने की चिडिय़ा कहलाने वाले भारतवर्ष में दूध-घी की नदियां बहती थीं। वैसे उस व़क्त दूध-घी की जो नदियां बहती होंगी, वह चौबीस कैरेट सोने

डा. जयंतीलाल भंडारी विख्यात अर्थशास्त्री निःसंदेह अब चीन से और अधिक व्यापार घाटा कम करने के लिए चीन से आयातित कच्चे माल के देश में ही उत्पादन के लिए बनाई गई रणनीति को कारगर बनाया जाना होगा। साथ ही चीनी उत्पादों के स्थानीय विकल्पों को विकसित करने की डगर पर भी तेजी से आगे बढ़ा

सुखदेव सिंह लेखक नूरपुर से हैं विस्थापित, जो वहां पर खुद खेतीबाड़ी कर रहे हैं, वही अपनी जमीनों पर काबिज हैं। कुछेक पौंग बांध विस्थापितों ने अपने मुरब्बे राजस्थान के लोगों को खेतीबाड़ी करने के लिए सौंप रखे थे। नतीजतन ऐसे लोगों के साथ जालसाजी की गई है। गंगानगर में हिमाचली लोगों की अधिकतर जमीनों