वैचारिक लेख

सुजय कपिल पत्रकारिता शोधकर्ता सभी को चकित करते हुए एक नई सोशल इंजीनियरिंग की शुरुआत भाजपा ने कर दी। राजपूत-दलित वोट बैंक को पक्का करने के लिए की गई राजनीति में भाजपा ने हिमाचल की लगभग 58 फीसदी आबादी को अपने साथ लाने की कोशिश की है। यदि यह प्रयास सफल रहा तो ऐसा अभेद्य

डा. अजय पाठक लेखक नालागढ़ से हैं ज्यादातर कोरोना के मरीज स्वतः ठीक हो जाते हैं, लेकिन कोमोरबिड  मरीजों को बीमारी गंभीर अवस्था तक ले जाती है। 50-55 वर्ष से ऊपर भी यह बीमारी गंभीर हो जाती है। लेकिन बाकी लोगों को भी इसे हल्के से नहीं लेना चाहिए क्योंकि किसी भी व्यक्ति में बीमारी

प्रो. एनके सिंह अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार ये सभी केस दिखाते हैं कि बड़े स्तर पर पुलिस कार्य में राजनीतिक हस्तक्षेप हो रहा है तथा व्यावसायिक मोर्चे पर पुलिस विफल हो रही है। आपराधिक कानून में सुधार की बड़ी जरूरत है तथा राजनीतिक हस्तक्षेप से पुलिस का संरक्षण होना चाहिए। पहली बड़ी समस्या है पुलिस कर्मियों

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक हिमाचल प्रदेश सरकार ने भी बिलासपुर व ऊना में विभिन्न खेलों के लिए छात्रावास चलाए हैं। बिलासपुर से महिला कबड्डी में पहले स्वर्गीय दौलत व उसके बाद रतन ठाकुर ने अच्छा प्रशिक्षण कार्यक्रम चला कर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक अच्छे परिणाम दिए हैं। एशिया स्तर पर पदक विजेता रितू नेगी सहित

संजय शर्मा , लेखक शिमला से हैं जिस प्रकार एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए एक सशक्त विपक्ष की भूमिका आवश्यक है, उसी तरह सतत् औद्योगिक विकास के लिए भी जरूरी है कि राष्ट्रीय व प्रादेशिक स्तर पर संगठित विभिन्न औद्योगिक संगठन सरकार से अपने निरंतर संवाद व सुझावों के माध्यम से सरकार की उद्योग संबंधी

पूरन सरमा, स्वतंत्र लेखक सुबह-सुबह ही आए गुप्ता जी और बोले-‘शर्मा जी जरा मेरे घर तक चलिए। मैंने अपनी लड़की का जहां संबंध किया है, वहां से लड़की का ससुर और स्वयं लड़का आया है। जरा चलकर उन्हें समझाइए।’ मैंने कहा-‘क्यों क्या बात है, अभी परसों ही तो आप शगुन करके आए हैं। हमने भी

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार हमारे देश में प्रधानमंत्री असल में लोकतांत्रिक ढंग से चुना गया तानाशाह है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अकेले ही निर्णय ले लिया कि इस देश को योजना आयोग की जरूरत नहीं है और योजना आयोग समाप्त हो गया। उन्होंने एक ही रात में 1000 और 500 के नोट रद्दी कर

डा. चंद्र त्रिखा वरिष्ठ साहित्यकार-पत्रकार हाथरस की पीडि़ता से बलात्कार हुआ या नहीं, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक चैनल उस मासूम के साथ हुए हादसे की आबरू को तार-तार कर चुके हैं। इसे आप ‘शाब्दिक बलात्कार’ भी कह सकते हैं। यह अलग बात है कि शाब्दिक बलात्कार पर आईपीसी की धाराएं खामोश रहती हैं। बहस-मुबाहिसों का शोर इतना

सुरेश सेठ sethsuresh25U@gmail.com मेहरबान, कद्रदान। हमने आंखें बंद तो नहीं कर रखीं, लेकिन ज़माना कयामत की चाल चल गया। हमें कुंभकर्णी नींद सोने की आदत तो नहीं। न इस पौराणिक गाथा के अनुसार छह महीने बरस में कुंभकर्णी नींद सोते और छह महीने जागते हैं, लेकिन यह नींद हमारी खुली आंखों में कब उतर आई