वैचारिक लेख

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक ग्रामीण क्षेत्रों में तथा गरीब लोगों को बैंक की सुविधा उपलब्ध कराने में इनकी रुचि नहीं है। इसमें कोई संशय नहीं कि राष्ट्रीयकरण के बाद सरकारी बैंकों की शाखाओं का ग्रामीण क्षेत्रों में भारी विस्तार हुआ है और आम आदमी के लिए बैंक तक पहुंचना आसान हो गया है। इस दृष्टि

अजय पाराशर लेखक, धर्मशाला से हैं कुछ दशक पहले सरकारी क्षेत्र से कोई व्यक्ति जब रिटायरमेंट को प्राप्त होता तो उसके दफ्तर वाले छोटा सा विदाई समारोह आयोजित कर, उसे यथोचित उपहार और जलपान के साथ विदा कर देते। फिर समय बदला, लोग बदले। सन् उन्नीस सौ छियासी में आए पे-कमीशन ने लोगों के हाथ

डा. सीमा चौधरी लेखिका, शिमला से हैं कृषि, औद्योगिकीकरण, व्यवसायीकरण तथा विज्ञान का हर पहलू भूगोल के साथ जुड़ा है। परंतु आज के संदर्भ में भूगोल जैसे विषय का विद्यालयों तथा महाविद्यालयों में बहुत कम स्तर तक पढ़ाया जाना चिंता का विषय है। भौगोलिक ज्ञान के अभाव में हम विकास तो कर रहे हैं परंतु

डा. जयंतीलाल भंडारी विख्यात अर्थशास्त्री हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ‘आईएमएफ’ की प्रमुख क्रिस्टालिना जार्जीवा ने दावोस में आयोजित विश्व आर्थिक मंच ‘डब्ल्यूईएफ’ 2020 के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट अस्थायी है और शीघ्र ही भारतीय अर्थव्यवस्था सुस्ती के दौर से बाहर आ सकती है… यकीनन वित्तीय वर्ष

शिवांगी शर्मा लेखिका, मंडी से हैं जो नैतिक मूल्य आप स्वयं अपने बच्चे को नहीं सिखा पाए उसके लिए आप स्कूल को कभी दोष नहीं दे सकते। शिक्षा की किताब का पहला अध्याय शिष्टाचार है। अगर आप अपने बच्चे को शिष्टाचार नहीं सिखा पाए तो वह किसी भी विद्यालय या शिक्षण संस्थान में एक अच्छे

निर्मल असो स्वतंत्र लेखक देश के हालात बताते हैं कि हर कोई जीत के कगार पर है। दिल्ली में हर कोई दूसरे को हरा कर जीत रहा है, हर मसला परेशान, लेकिन मीडिया इस समय को जीत रहा है। जीतना अब हर भारतीय का शगल है और हमारी बहस का अमल है। इसलिए किसी चाय

प्रसून लतांत वरिष्ठ पत्रकार पिछले डेढ़ महीने से दिल्ली के शाहीन बाग में चल रहे महिलाओं के इस संघर्ष की विशेषता है कि अब यह केवल शाहीन बाग तक सीमित नहीं रह गया है। महिलाओं के ऐसे ही आंदोलन दिल्ली में जामिया मिल्लिया, आरामपार्क (खुरेंजी), सीलमपुर फ्रूट मार्केट, जामा मस्जिद, तुर्कमान गेट के साथ-साथ बिहार

हरि मित्र भागी लेखक, धर्मशाला से हैं तथ्यों को मद्देनजर रखते हुए बेहतर है कि इस अस्पताल को पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) के अंतर्गत जिसमें केंद्रीय बजट हो, अधीन लाया जाए ताकि यह अस्पताल सुचारू रूप से चल सके। यह व्यवस्था सुधरेगी तो टांडा की व्यवस्था भी सुधरेगी… हिमाचल प्रदेश के जिला मुख्यालय धर्मशाला के

कर्नल (रि.) मनीष धीमान स्वतंत्र लेखक आजकल दिल्ली चुनाव में सरकार, पक्ष, विपक्ष सभी दल और नेता इतने मशगूल है कि देश के बाकी सारे मुद्दे  रुक से गए हैं। सीएए, एनआरसी, शाहीन बाग, हिंदू-मुस्लिम, गद्दारों को गोली, मेरा काम, दिल्ली का बेटा, संयोग-प्रयोग और भी न जाने क्या-क्या नारे और मुद्दे  इतने चर्चा में