वैचारिक लेख

निर्मल असो स्वतंत्र लेखक देश के हालात बताते हैं कि हर कोई जीत के कगार पर है। दिल्ली में हर कोई दूसरे को हरा कर जीत रहा है, हर मसला परेशान, लेकिन मीडिया इस समय को जीत रहा है। जीतना अब हर भारतीय का शगल है और हमारी बहस का अमल है। इसलिए किसी चाय

प्रसून लतांत वरिष्ठ पत्रकार पिछले डेढ़ महीने से दिल्ली के शाहीन बाग में चल रहे महिलाओं के इस संघर्ष की विशेषता है कि अब यह केवल शाहीन बाग तक सीमित नहीं रह गया है। महिलाओं के ऐसे ही आंदोलन दिल्ली में जामिया मिल्लिया, आरामपार्क (खुरेंजी), सीलमपुर फ्रूट मार्केट, जामा मस्जिद, तुर्कमान गेट के साथ-साथ बिहार

हरि मित्र भागी लेखक, धर्मशाला से हैं तथ्यों को मद्देनजर रखते हुए बेहतर है कि इस अस्पताल को पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) के अंतर्गत जिसमें केंद्रीय बजट हो, अधीन लाया जाए ताकि यह अस्पताल सुचारू रूप से चल सके। यह व्यवस्था सुधरेगी तो टांडा की व्यवस्था भी सुधरेगी… हिमाचल प्रदेश के जिला मुख्यालय धर्मशाला के

कर्नल (रि.) मनीष धीमान स्वतंत्र लेखक आजकल दिल्ली चुनाव में सरकार, पक्ष, विपक्ष सभी दल और नेता इतने मशगूल है कि देश के बाकी सारे मुद्दे  रुक से गए हैं। सीएए, एनआरसी, शाहीन बाग, हिंदू-मुस्लिम, गद्दारों को गोली, मेरा काम, दिल्ली का बेटा, संयोग-प्रयोग और भी न जाने क्या-क्या नारे और मुद्दे  इतने चर्चा में

प्रो. एनके सिंह अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार सरकार को नागरिकता जैसी पेचीदा योजनाओं से बाहर आना चाहिए। इसमें कोई संदेह नहीं है कि हाल के कुछ सर्वेक्षणों के अनुसार भारत अभी भी सबसे बड़ा संभावित निवेश गंतव्य है, लेकिन वित्त मंत्री को विदेशी पूंजी को आकर्षक बनाने के लिए साहसिक और अपारंपरिक फैसले लेने से पीछे नहीं

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक जीत राम शर्मा शिमला जिला के  चौपाल उपमंडल के दूरदराज गांव पुरों डाक घर सरैन के निवासी हैं। अपनी प्रारंभिक शिक्षा चौपाल से प्राप्त करने के बाद 1987 में हिमाचल प्रदेश सचिवालय में नौकरी शुरू की और आज सचिवालय के प्रशासनिक विभाग में कल्याण अधिकारी खेल के पद पर सेवाएं

पूरन सरमा स्वतंत्र लेखक जीवन के हर क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं। हिंदी साहित्य भला परिवर्तन की इस क्रांति से कैसे अछूता रह सकता है, सो यहां भी लिखने के कारखाने खुल गए। फैक्टिरियां चल निकलीं, अनेक लेखकों ने प्राइवेट लिमिटेड कंपनियां बना डालीं। वहां हर तरह के माल का उत्पादन होने लगा। एक

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार विधानसभा के चुनाव और देश व दिल्ली की भावी राजनीति इतनी बड़ी खबरें हैं कि लगता है देश भर की सारी समस्याएं खत्म हो गई हैं, सारे मुद्दे अप्रासंगिक हो गए हैं। राजनीतिज्ञों को तो जनता को अंट-शंट बातों से मुद्दे भुलाकर फुसलाने की आदत थी ही, अब मीडिया भी इस

सुरेश शर्मा लेखक, नगरोटा बगवां से हैं कलाएं हमारे जीवन को उत्साह, जोश, उमंग, उल्लास, आनंद व प्रसन्नता से भर देती हैं। कलाओं से युक्त जीवन हमें चिंताओं और परेशानियों से मुक्त करता है। मनुष्य जीवन में ही लौकिक तथा अलौकिक सुखों को प्राप्त करने का उद्देश्य व लक्ष्य निर्धारित किया जा सकता है। गायन,