वैचारिक लेख

अशोक गौतम साहित्यकार (पुरस्कृत बंधुओं को बधाई के बाद क्षमा याचना सहित) अबके जब उन्होंने पुरस्कार हेतु पेपर मंगवाए थे तो मुझ जैसे नासमझ ने उन्हें बहुत समझाया था, ‘मास्साब! दो-चार महीने ये पढ़ाना-बढ़ाना छोड़ सच झूठ के इधर-उधर से अपनी बहुआयामी कार्यकुशलता के कागज इकट्ठा करो तो पुरस्कार की बात बने,’ पर मेरे समझाने

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक   वर्तमान समय में जो रुपए में गिरावट आ रही है इसका एक प्रमुख कारण तेल के बढ़ते आयात हैं। हमारी ऊर्जा की जरूरतें बढ़ रही हैं और तदानुसार हमें तेल के आयात अधिक करने पड़ रहे हैं। इस समस्या को और गहरा बना दिया है ईरान के विवाद ने।

विपन शर्मा लेखक, चंबा से हैं अब माननीयों का वार्षिक यात्रा भत्ता 25 हजार से बढ़ाकर चार लाख कर दिया गया है। इस तरह अपने वेतन-भत्तों में वृद्धि का फैसला खुद ही माननीयों ने ले लिया है। और हो भी क्यों न, आखिर यह मंत्रियों सहित प्रदेश के 68 विधायकों की सुख-सुविधा बढ़ाने का सवाल

जगदीश बाली स्वतंत्र लेखक जब कभी कोई व्यक्ति जीवन में बड़ी सफलता या उपलब्धि प्राप्त करता है, तो हर किसी के मन में ये सवाल जरूर उठता है कि उसने किस स्कूल से शिक्षा हासिल की है। इस सवाल के पीछे आशय यह होता है कि जिस स्कूल से उसने शिक्षा प्राप्त की है, उस

अजय पाराशर लेखक, धर्मशाला से हैं पंडित जॉन अली अखबार पढ़ते हुए मंद-मंद मुस्कराए जा रहे थे। मैंने उनसे वजह जानना चाही तो बोले, यार खबर छपी है कि एक पूर्व मुख्यमंत्री के अंतिम संस्कार में पुलिस टुकड़ी द्वारा दी जाने 21 द बूकों की सलामी में एक भी द बूक नहीं चली। मैंने जब

डा. जयंतीलाल भंडारी विख्यात अर्थशास्त्री जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर की सबसे पहली आवश्यकता जम्मू-कश्मीर के युवाओं के लिए रोजगार और स्वरोजगार के नए मौके निर्मित करना है। ऐसे रोजगार और स्वरोजगार के नए मौके निर्मित करने के परिप्रेक्ष्य में विगत 13 अगस्त को केंद्र सरकार ने कहा कि जम्मू-कश्मीर

संजय शर्मा लेखक, शिमला से हैं प्रदेश सरकार का औद्योगिक निवेश को आकर्षित करने के लिए यह एक बहुत बड़ा प्रयास है परंतु आवश्यकता महसूस की जा रही थी एक ऐसी औद्योगिक नीति की, जो कि आज के बदले परिदृश्य के अनुसार हिमाचल को एक ‘‘निवेशक प्रिय औद्योगिक प्रदेश’’ बनाने में सफल हो… कृषि, बागबानी,

निर्मल असो, स्वतंत्र लेखक अपने-अपने माहौल होते हैं, कुछके नरम, कुछके मिजाज गर्म होते हैं। इसी से बनती है भारत की तासीर-तस्वीर। हमें मालूम है कि किस वक्त, किस तासीर में जीना है। लिहाजा समय के प्रबंधन में खबरिया चैनल चला कर अपने तर्कों की मुनादी देख लेते हैं। तासीर में देखें तो देश सलामत

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार कश्मीरियों की बड़ी जातियां यह सारा खेल अनुच्छेद 370 की आड़ में खेलती थीं। लेकिन अब 370 की यह छतरी हट जाने के कारण गुज्जरों को भी उनके सभी संवैधानिक अधिकार प्राप्त हो जाएंगे। जम्मू-कश्मीर में इसी प्रकार का दूसरा प्रताडि़त समुदाय पहाड़ी राजपूतों का है। ये सभी क्षत्रिय