भरत झुनझुनवाला

इसलिए सरकार को चाहिए कि सरकारी नौकरी का जो आकर्षण है, उसको घटाए। इसका सीधा उपाय है कि सरकारी कर्मचारियों के वेतन को एक झटके में आधा कर दें तो युवाओं को सरकारी नौकरी का लालच कम हो जाएगा और वे स्किल हासिल करने पर ध्यान देना शुरू करेंगे। दूसरा कदम सरकार यह उठा सकती

जर्नल ऑफ इंडियन एसोसिएशन ऑफ सोशल साइंस इंस्टिट्यूशन में छपे एक पर्चे के अनुसार भारत से पूंजी के पलायन के चार कारण हैं। पहला कारण भ्रष्टाचार का है। यह सही है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल के स्तर पर भ्रष्टाचार में भारी कमी आई है, लेकिन यह भी सही है कि जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार में उससे

 इसके विपरीत प्राइवेट बैंक में यदि उसके मालिक को वही कंपनी 20 करोड़ रुपए की घूस देकर 2000 करोड़ रुपए का घटिया लोन देने के लिए कहे तो मालिक के लिए हानिप्रद होता है क्योंकि 2000 हजार करोड़ रुपए का जो घाटा लगेगा, वह उसका व्यक्तिगत घाटा भी हो जाता है क्योंकि वे कंपनी के

नोटबंदी, जीएसटी और लॉकडाउन ने छोटे उद्योगों को समाप्त कर दिया है और आम आदमी को त्रस्त कर दिया है। इस परिस्थिति में आम आदमी को राहत देना अनिवार्य है। इसका सीधा उपाय है कि उसे जीविकोपार्जन के लिए मुफ्त सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए। इस मुफ्त वितरण के विरोध में पहला तर्क यह दिया जाता

जीएसटी की बढ़ी हुई वसूली देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर दिखाती है जिसमें कि आम आदमी और छोटे उद्योगों का धंधा चौपट हो गया है। जीएसटी से संबंधित दूसरा विषय जीएसटी की वसूली में अपेक्षित वृद्धि न होने का है। जीएसटी लागू करते समय केंद्र सरकार ने राज्यों को आश्वासन दिया था कि हर वर्ष

वित्त मंत्री ने बजट में मेक इन इंडिया को बढ़ावा दिया है, जिसके लिए उन्हें ‘धन्यवाद’। उन्होंने कई मशीनों पर आयात कर बढ़ाया है, जिनका भारत में उत्पादन हो सकता था, इससे भारत में मशीनों के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। मोबाइल फोन के घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए मोबाइल फोन के लेंस के

विश्व बैंक के आकलन के अनुसार अपने देश में सरकारी कर्मियों के वेतन देश की औसत आय से 7 गुना यानी कि और देशों की तुलना में हमारे सरकारी कर्मियों के वेतन 7 गुना अधिक हैं। इसके ऊपर यह कि इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट बेंगलुरू के एक अध्ययन में आया है कि जितनी रकम सरकारी

अतः यदि इस 37000 रुपए प्रति सच्चे छात्र की रकम को प्रदेश के सभी छात्रों यानी सरकारी एवं प्राइवेट स्कूल दोनों में पढ़ने वाले छात्रों में वितरित किया जाए तो प्रत्येक छात्र पर उत्तर प्रदेश सरकार लगभग 20000 रुपए प्रति वर्ष खर्च रही है। सुझाव है कि चुनाव के इस समय पार्टियां वायदा कर सकती

इसलिए केवल समर्थन की हवाई बातों को करने के स्थान पर हमें समझना होगा कि छोटे उद्योगों को यदि जीवित रखना है तो उन्हें वित्तीय सहायता देनी ही पड़ेगी। हमें यह स्वीकार करना होगा कि छोटे उद्योगों द्वारा बनाए गए माल की लागत अधिक होगी। जैसे बड़े उद्योग में बनाई गई टीशर्ट 200 रुपए में