डा. कुलदीप चंद अग्रिहोत्री

वायनाड ने सब गड़बड़ कर दिया। कम्युनिस्टों ने राहुल गांधी से पूछा कि आप तो पिछले दस साल से चिल्ला रहे हो कि आप की लड़ाई भाजपा वालों से है, लेकिन आप केरल में तो हमसे ही लड़ रहे हो। हम दिल्ली में आप के साथ एक मंच पर बैठ कर लम्बे-लम्बे भाषण देते हैं। मिल कर भाजपा के साथ लडऩे की हुंकार लगाते हैं, लेकिन उस सबके बावजूद आप केरल में हमसे ही लड़ रहे हैं...

दरअसल अकाली दल की दुविधा यह है कि वह सिख समुदाय को एक विशिष्ट राजनीतिक ईकाई के तौर पर देखता है। उसे लगता है कि जो सिख अकाली दल के साथ है, वह तो सिख है, लेकिन जो सिख कम्युनिस्ट पार्टी, कांग्रेस पार्टी, आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी या समाजवादी पार्टी के साथ है, वह सिख नहीं है...

जब तक अन्ना हजारे या दूसरे लोग कुछ समझ पाते, तब तक खेला हो चुका था। आम आदमी पार्टी बन गई थी। उसने लोकसभा के चुनावों में प्राय: हर सीट पर अपना प्रत्याशी खड़ा कर दिया था। खुद वाराणसी में नरेंद्र मोदी के खिलाफ खड़े हो गए और उसके दूसरे साथी कुमार विश्वास अमेठी में ताल ठोकने लगे। लेकिन यह प्रयोग सफल नहीं हुआ... दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद

राम मनोहर लोहिया ने बहुत अरसा पहले यह प्रस्ताव रखा था। इसके बाद यदि मुसलमानों को लगे कि उनकी पाकिस्तानी और बांग्लादेशी नागरिकता के कोई मायने नहीं बचे हैं तो फिर वे स्वयं एकीकृत भारत की मांग उठाएं। तभी उन्हें नागरिकता मिलेगी...

यदि कांग्रेस इन छह पूर्व विधायकों को फिर से स्वीकार लेती है, तो क्या होगा। राजनीति संभावनाओं का खेल है। अब कांग्रेस इनको पार्टी में तो वापस ले सकती है, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष अब इनको दोबारा विधानसभा का सदस्य नहीं बना सकेंगे। अब लोकसभा के चुनाव परिणामों का इंतजार है...

तब उन्होंने ‘ममता बनर्जी’ वाला सूत्र अपनाया। शाहजहां को सीबीआई को नहीं दिया। जो करना हो, कर लो। सारा बंगाल देख रहा है। आखिर ममता बनर्जी शाहजहां को इस सीमा तक जाकर भी क्यों बचाना चाहती हैं? यह प्रश्न शेषनाग की तरह फन तान कर उसके सामने खड़ा है। ममता बनर्जी को किस बात का डर है? दूसरे दिन हाई कोर्ट फिर आदेश देता है। शाहजहां को बंगाल पुलिस की सुरक्षा से निकाल कर सीबीआई को सौंप दिया जाए। लगता है हाईब्रिड तक ममता सरकार के शाहजहां को बचाने के सारे हथियार खत्म हो गए हैं। आखिर शाहजहां सीबीआई की कस्टडी में पहुंच गया है। सुना है इसको लेकर ममता बहुत बड़ी रैली करने जा रही हैं

सुक्खू की कांग्रेस सरकार पहले दिन से ही स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के प्रति निष्ठा रखने वाले विधायकों को हाशिए पर धकेलने के काम में लगी हुई थी। वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बना कर सोनिया गांधी की संतान ने संतुलन साधने की कोशिश तो जरूर की, लेकिन सुक्खू उस संतुलन को धरातल पर नहीं उतार पाए। यह भी कहा जा रहा है कि सुक्खू विरोधी खेमे में चौदह विधायक हैं, लेकिन रणनीति के तहत अभी छह विधायकों को ही सार्वजनिक रूप से राज्यसभा चुनाव के अवसर पर

कोलकाता की नाक के नीचे शाहजहां ने वहां की महिलाओं के लिए जितना भयंकर नर्क तैयार किया हुआ था, वह सरकारी मशीनरी की प्रत्यक्ष-परोक्ष सहायता के बिना संभव नहीं है। ममता बनर्जी ने संदेशखाली की इन महिलाओं को सबक सिखाने की सोची। उन्होंने संदेशखाली में किसी के भी जाने पर पाबंदी लगा दी। धारा 144 लगा दी।

हालात देखकर इस बार चुनाव से पहले ही सोनिया गांधी भी उत्तर प्रदेश छोड़ गई। अमेठी चाहे छोड़ दी हो, लेकिन राहुल गांधी ने जिद नहीं छोड़ी। वे सरकार भी बनाएंगे और किसानों की सभी मांगें भी मान लेंगे। वैसे मांगें तो उन्होंने मान ही ली हैं। अब तो काम का दूसरा हिस्सा किसानों को पूरा करना है कि वे उनकी सरकार बना दें। किसान उस पर विचार करते, उससे पहले ही सोनिया गांधी उत्तर प्रदेश छोड़ कर राजस्थान चली गईं। राहुल गांधी की सरकार बनने में यह एक अपशकुन हो गया लगता है। लगता है जब तक सरकार नहीं बना लेते, तब तक न्याय यात्रा करते रहेंगे। कभी नहीं रुकेंगे। सरकार बनाने में ए