धर्मशाला जेल का कैदी फरार
दिव्य हिमाचल ब्यूरो, धर्मशाला: अव्यवस्थाओं से घिरी धर्मशाला की जेल का एक और कैदी फरार हो गया है। नटवर लाल से भी बड़ा लाल बनकर जेल पहुंचा विनय सिंह पुत्र संतोख सिंह फर्जीबाड़े के केस में विचाराधीन कैदी था। उसे टीएमसी में भर्ती किया था, जहां से मंगलवार तड़के चार बजे वह भाग निकला। जिला कांगड़ा में मोबाइल टावर लगाने के नाम पर ठगी का आरोपी मंगलवार सुबह टांडा मेडिकल कालेज से पुलिस को चकमा देकर रफूचक्कर हो गया। पालमपुर और देहरा क्षेत्र में टावर लगाने के नाम पर लोगों से ठगी के आरोप में गिरफ्तार विनय सिंह को जिला कारागार धर्मशाला में विचाराधीन कैदी के रूप में रखा गया था। जिस पर पालमपुर और देहरा न्यायालय में दो मामले विचाराधीन हैं। विनय सिंह ने स्वयं को जिला कांगड़ा में विभिन्न मोबाइल टावर स्थापना के लिए स्वयं को अधिकृत अधिकारी बताकर लोगों को अपने जाल में फंसाया था। उसने लोगों को प्रलोभन दिया था कि उनकी निजी भूमि पर मोबाइल टावर लगाने की एवज में उन्हें मासिक किराए सहित लाखों रुपए का फायदा होगा। इसी के चलते लोग उसके झांसे में आ गए औरलोगों ने अपनी निजी भूमि पर मोबाइल टावर लगाने के लिए उससे संपर्क साधना शुरू कर दिया। लोगों की लालसा को देखते हुए इस नटवर लाल ने पालमपुर और देहरा क्षेत्र के दर्जनों लोगों से मोबाइल टावर लगाने की एवज में कमीशन के रूप में लाखों रुपए की ठगी की और स्वयं गायब हो गया। काफी दिन बीतने के बाद भी जब लोगों की निजी भूमि पर टावर स्थापना का कार्य आरंभ नहीं हुआ, तो लोगों का माथा ठनका और उन्होंने पालमपुर और देहरा थाना में विनय सिंह के खिलाफ मामला दर्ज करवाया था। पांच नवंबर को विनय के बीमार होने के चलते धर्मशाला अस्पताल में उसकी स्वास्थ्य जांच करवाई गई, जहां से डाक्टरों ने उसे टांडा मेडिकल कालेज रैफर कर दिया। विनय सिंह ने 23 अक्तूबर को बीमार होने की शिकायत की थी, जिस पर 30 अक्तूबर, 2010 जोनल अस्पताल धर्मशाला में भी उपचाराधीन रहा था। कैदी के फरार होने के समय उसकी निगरानी के लिए तैनात पुलिस कर्मियों पर विभागीय जांच के आदेश जारी कर दिए गए हैं। आरोपी ने पुलिस में अपने दो अलग पते दर्ज करवाए, जिसमें उसने स्वयं को राजस्थान, जबकि दूसरे पते में डलहौजी का निवासी बताया था। लिहाजा 10 अगस्त, 2010 को विनय सिंह को जिला कारागार धर्मशाला में अंडर ट्रायल रखा गया था।