पाकिस्तान के मुहाजिर
– तिलक राज गुप्ता, रादौर, हरियाणा
पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर के मुसलमानों के हितों का रोना रोता है, जबकि उसके अपने अवैध कब्जे वाले कश्मीरी मुस्लिम क्षेत्र में, जिसे वह बड़े दंभ से आजाद कश्मीर कहता है, स्थानीय कश्मीरी मुस्लिम आबादी की हालत गुलामों से भी बदतर है, जिसका पर्दाफाश वे कश्मीरी करते हैं, जो वहां से किसी तरह से भाग निकलने में सफल हो जाते हैं। पाकिस्तान के निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले और उस नई जमीन पर अपने सपनों को सहजता से साकार कर लेने की उम्मीद लेकर भारत से पाकिस्तान पहुंचे मुसलमानों को वहां कभी यथोचित सम्मान नहीं मिला। उल्टे उन्हें मुहाजिर अर्थात शरणार्थी जैसी अपमानजनक संज्ञा से नवाजा गया। पाकिस्तान में अपनी घोर अनदेखी और अपमान से उबरने के लिए और अपने हितों की सुरक्षा करने के लिए इन तथाकथित मुहाजिर नाम के भारतीय मुसलमानों ने अपनी बहुलता वाले सिंध प्रांत को एक अलग स्वतंत्र राष्ट्र बनाने के लिए मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) संगठन बनाकर अपना स्वतंत्रता संघर्ष शुरू किया था, जिससे एक बार समूची कराची और समूचा सिंध तक हिल गए थे। यह आंदोलन आज भी जारी है, पर परवेज मुशर्रफ के राष्ट्रपतित्व काल में एमक्यूएम संस्थापक अल्ताफ हुसैन और अन्य प्रमुख नेता आज निर्वासन में लंदन में रह रहे हैं, जिन्हें पाकिस्तान की ओर से निरंतर जान का खतरा बना रहता है। गत दिनों लंदन में ही रह रहे एमक्यूएम के एक अन्य संस्थापक नेता इमरान फारुक की उनके आवास के बाहर ही अज्ञात हमलावरों ने नृशंस हत्या कर दी। इससे पहले अगस्त माह में कराची में एक एमक्यूएम सांसद रजा हैदर की हत्या कर दी गई थी। एक सोची-समझी रणनीति के तहत एमक्यूएम नेताओं की हत्या के पीछे पाकिस्तान का ही हाथ है, जो सिंध के स्वतंत्रता आंदोलन को खुफिया तौर पर कुचल देने के लिए प्रयासरत है, ताकि किसी तरह अपने वजूद को बचाए रख सके। पाकिस्तान की आईएसआई और सेना अपने ही लोगों को कुचल रही है और इनको पैसा विदेशों की सहायता से मिल रहा है। जो हथियार पाकिस्तान की सेना को अमरीका से मिल रहे हैं, उनका इस्तेमाल अपने देश के आतंकवाद को खत्म करने के लिए कम और भारत में आतंक फैलाने के लिए अधिक हो रहा है।