नेताओं को तड़पाएंगी हवाई घोषणाएं
*धर्मशाला में हाई कोर्ट का सर्किट बैंच
*केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला-देहरा में फंसा
*नूरपुर-देहरा-पालमपुर को जिला बनाना
*धर्मशाला को भावनात्मक राजधानी का ऐलान
*आवारा पशुआंे के लिए गौसदन
* नूरपुर में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन का संस्थान
*शाहपुर में बीएसएफ बटालियन संस्थान
* टीएमसी में सुपर स्पेशियलिटी संस्थान
* पपरोला में नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ आयुर्वेदा
खोली टू प्रोजेक्ट-सेटेलाइट टाउन-अक्षरधाम
घोषणा के बाद प्रदेश सरकार कांगड़ा जिला से किए अपने दर्जन भर बडे़ वादे भूल गई। इसके चलते चुनावी समर में ये घोषणाएं वोटरांे के लिए मुद्दे का रूप लेने लगी हैं। सरकार ने धर्मशाला में हाई कोर्ट का सर्किट बैंच स्थापित करने की घोषणा की थी। सरकार की दलील है कि हाई कोर्ट की नामंजूरी के चलते यह मामला लटक गया। इसके अलावा केंद्रीय विश्वविद्यालय की धर्मशाला तथा देहरा में दो सेक्टरांे के बीच स्थापना की घोषणा की थी। विश्वविद्यालय रस्म अदायगी के लिए खोल तो दिया गया, लेकिन इसके निर्माण का मामला जमीनी विवाद तथा पर्यावरण मंत्रालय की अड़चन के चलते लटका पड़ा है। सरकार ने जोर-शोर के साथ कांगड़ा जिला का विभाजन कर नूरपुर, देहरा तथा पालमपुर नए जिले बनाने का ऐलान किया है। यह घोषणा भी आपसी विवाद के चलते अब हवा-हवाई होती नजर आ रही है। धर्मशाला को भावनात्मक राजधानी बनाने का ऐलान कर चुकी सरकार ने यहां हर सप्ताह एक मंत्री के बैठने की घोषणा की थी। सरकार के मंत्री ने इन आदेशांे को भी धरातल पर अमलीजामा नहीं पहनाया। कांगड़ा जिला के हर विधानसभा क्षेत्र में आवारा पशुआंे के लिए गौसदन के निर्माण का वादा भी सरकार भूल गई है। नूरपुर के कोपड़ा में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन का नॉर्थ जोन का संस्थान स्थापित करने की योजना भी धरातल पर शुरू नहीं हुई। शाहपुर में बीएसएफ बटालियन संस्थान की स्थापना का मामला भी चार साल से अधर में लटका है। टांडा मेडिकल कालेज में सुपर स्पेशियलिटी संस्थान की घोषणा भी घोषणा बनकर रह गई है। सरकार ने आयुर्वेदा अस्पताल पपरोला को नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ आयुर्वेदा बनाने का वादा किया था जो कि अभी तक घोषणा तक ही सीमित है। इसके अलावा खोली टू प्रोजेक्ट, सेटेलाइट टाउन और अक्षरधाम स्थापित करने की घोषणाएं भी चुनावी डंका बजने तक पूरी नहीं हो पाई हैं। साथ ही कांगड़ा को आर्थिक जोन बनाने, गरीब बस्ती बसाने तथा त्रियूंड के लिए रज्जु मार्ग का निर्माण भी मात्र घोषणा तक ही सीमित रहा है।