सड़क दुर्घटनाओं का खौफ
(गोपाल शर्मा, कांगड़ा)
कांगड़ा के समीप बनेर खड्ड में बस गिरने की दुखद घटना, जिसमें 16 व्यक्ति अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए, को अभी एक माह भी नहीं बीता था कि चंबा में एक और भीषण बस दुर्घटना हो गई, जो 53 बहुमूल्य जिंदगियों को लील गई। इसके अतिरिक्त प्रतिदिन अखबार में सड़क-दुर्घटनाओं में एक-दो लोगों की मृत्यु की खबरें तो आम बात है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार गत वर्ष (2011) में सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या एक हजार के करीब थी और 200 से अधिक लोग तो इस वर्ष में अब तक सड़क हादसों का शिकार हो चुके हैं। इन दुर्घटनाओं के लिए सरकार के साथ-साथ समाज भी दोषी तो है। मगर अधिक दोष सरकार का माना जाता है। सड़कों के रखरखाव की जिम्मेदारी सरकार की है। यातायात के नियमों का सख्ती से पालन करवाना सरकार का दायित्व है। जनता को उपयुक्त सुविधा प्रदान करना भी सरकार के उत्तरादायित्वों में ही आता है।