हिमाचल में बेकार बहते पानी को बचाएं
(दिनेश नेगी, मंडी)
आजकल पहाड़ों में जगह-जगह ‘छो’ झरने बहते रहते हैं, जो स्वच्छ जल धारा बहाते हैं। उनकी तादाद तो कई लाखों है। अगर इन ‘छो’ झरने का पानी सिंचाई मंत्री हिमाचल के रबर के बांधों में इकट्ठा करवाएं तो हमें हिमाचल में खेतीबाड़ी के लिए सिंचाई के रूप में प्राप्त होगा। बरसात के बाद पानी के छो या झरने सूख जाते हैं। इन झरनों से पानी हमें रबड़ के बांधों में इकट्ठा करना पड़ेगा, जो बार-बार सिंचाई के लिए उपलब्ध होगा। यह पानी हिमाचल प्रदेश के खेतों में प्रयोग आ सकता है। अगर इन छो झरनों का प्रयोग हिमाचल में सफल हो जाता है तो प्रदेश भारतवर्ष में चमक जाएगा। प्रदेश का गौरव भी बढ़ेगा। सिंचाई के लिए प्रदेश को खड्डों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। सिंचाई मंत्री वर्षाकाल में सोए रहते हैं। प्रदेश की पांचों नदियों का पानी दूसरे प्रदेशों को दे दिया है। हमारे हिमाचल में छोटे-छोटे बांध बनाकर छोटे-छोटे पहाड़ी खेतों को सींचा जा सकता है। बड़ी-बड़ी स्कीमें बार-बार बनाने में धन का खर्च ज्यादा होता है। खेतीबाड़ी के लिए काफी मात्रा नहीं है। छोटे किसान हिमाचल में 90 प्रतिशत हैं, जिसमें गरीब किसानों की अधिकता है, जो सरकार के सिंचाई मंत्री तक नहीं पहुंच पाते हैं। सारा खर्च सिंचाई का सरकार को वहन करना पड़ेगा, जिससे प्रदेश के किसान अन्न के मामले में खुशहाल हो सकेंगे।