हिंदू धर्मशाला हुई बद से बदतर
नालागढ़ — नालागढ़ शहर की ऐतिहासिक हिंदू धर्मशाला के निर्माण को करीब एक सदी बीतने को है, लेकिन यह ऐतिहासिक धरोहर आज जीर्ण शीर्ण अवस्था में पड़ी हुई है। वर्ष 1922 में इस हिंदू पब्लिक धर्मशाला का निर्माण हुआ था और आज यह अपनी बदहाली के आंसू बहा रही है। इस हिंदू धर्मशाला की सुध लेने के लिए किसी ने भी कोई ठोस पहल नहीं की है, जिसके चलते आज यह ऐतिहासिक धरोहर खंडहर में तबदील होती जा रही है। जानकारी के अनुसार शहर के बीचोंबीच शहर के मुख्य प्रवेश द्वार के समीप बनाई गई यह ऐतिहासिक हिंदू पब्लिक धर्मशाला आज बदहाली का शिकार होकर रह गई है। इसकी हालत यह है कि लोग यहां पर रुकने से भी गुरेज करते हैं। बद से बदतर हालत में पड़ी इस धर्मशाला के कई कमरों की छतें उखड़ चुकी हैं, दीवारें सीलन भरी हैं, वायरिंग पूरी तरह से उखड़ी हुई है, खिड़कियां, दरवाजे टूटे पड़े हैं। बताया जाता है कि यहां एक बार कोई मजबूरी में रुक जाता है तो दूसरी बार नहीं आता है। धर्मशाला के शौचालयों की गंदगी से तो यह हाल है कि इस धर्मशाला में बैठक करने वालों सहित आसपास के दुकानदारों का जीना दुश्वार हो गया है। शौचालयों से आ रही दुर्गंध का खामियाजा इसके पास से गुजरने वाले लोगों को प्रतिदिन भुगतना पड़ रहा है। बताया जाता है कि तत्कालीन हंडूर रियासत के राजा जोगिंद्र सिंह के कार्यकाल में इस हिंदू धर्मशाला का निर्माण किया गया था, जो उस समय राजाओं के पास अपनी समस्याओं सहित मुख्यालय के अन्य कामों के लिए आते थे, लेकिन उनके रहने के लिए कोई जगह नहीं थी। राजा जोगिंद्र सिंह ने अपनी रियासत के लोगों की समस्या को देखते हुए इस हिंदू धर्मशाला का निर्माण किया था, ताकि दूरदराज क्षेत्रों से आने वाले लोगों को रात गुजारने के लिए एक ठिकाना मिल सके। धीरे-धीरे राजाओं का राजपाट चला गया और आजादी के बाद इस धर्मशाला को क्षेत्र के विद्यार्थियों के लिए दसवीं कक्षा की परीक्षा के लिए परीक्षा हाल के रूप में इस्तेमाल में लाया जाने लगा। अब इसका प्रबंधन ईश्वरी गौशाला प्रबंधक कमेटी के पास है, जिसके तहत इसके प्रबंधन की कमेटियां बनाई गई हैं। पुरातत्त्व धरोहरों के जानकार वयोवृद्ध समाजसेवी सुरजीत डंडोरा के मुताबिक हंडूर रियासतकाल के समय में इस धर्मशाला का निर्माण किया गया, जिसका लोकार्पण 1922 को हुआ था। उन्होंने कहा कि पहले यह धर्मशाला काफी छोटी थी, बाद में इसका दायरा बढ़ाया गया। मौजूदा समय में इस धर्मशाला में दस कमरे दो बड़े हाल, बाथरूम व शौचालय व एक रसोई घर के अलावा बाहर खुला प्रांगण है। गौर रहे कि नालागढ़ में कई ऐतिहासिक धरोहरों में से एक हिंदू पब्लिक धर्मशाला अनदेखी का शिकार है। धर्मशाला में बैठकों, सभाओं का आयोजन तो होता ही, वहीं विवाह समारोह, कथाओं का आयोजन से लेकर विभिन्न उत्पादों की प्रदर्शनियों तक यह सीमित होकर रह गई है।