परमवीर-अशोक चक्र विजेता को 30 लाख अनुदान
नई दिल्ली में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह बोले; सैनिक कल्याण के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध, दे रहे बेहतरीन सुविधाएं
शिमला, दिल्ली— मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा है कि हिमाचल सरकार सेवारत सैनिकों, पूर्व सैनिकों, युद्ध विधवाओं व उनके आश्रितों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार ने उनकी वार्षिकी और वीरता पुरस्कार प्राप्त करने वालों को मिलने वाले अनुदान दरों में एकमुश्त वृद्धि की है। गुरुवार को मुख्यमंत्री ने नई दिल्ली में आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि परमवीर चक्र, अशोक चक्र विजेताओं को मिलने वाले अनुदान को एकमुश्त 25 लाख रुपए से बढ़ाकर 30 लाख रुपए, महावीर चक्र विजेताओं के लिए 15 लाख रुपए से बढ़ाकर 20 लाख किया गया है। इसी प्रकार इन वीरता पुरस्कार विजेताओं के लिए वार्षिकी की दरों को एक लाख 25 हजार रुपए से बढ़ाकर तीन लाख रुपए, एक लाख से बढ़ाकर तीन लाख तथा एक लाख से बढ़ाकर दो लाख तक किया गया है। उन्होंने कहा कि शौर्य पुरस्कार विजेताओं तथा सशस्त्र बलों, सेना, नौसेना और वायु सेना के विशिष्ट सेवा पुरस्कार प्राप्त करने वाली अन्य श्रेणियों की वार्षिकी दरों में भी एक अप्रैल, 2016 से बढ़ोतरी की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सैनिकों के उन परिजनों जो डिफेंस सिक्योरिटी कॉर्प्स में अपनी सेवाएं दे रहे हैं और हिमाचल प्रदेश से संबंध रखते हैं, को भी रक्षा कर्मी घोषित किया गया है और चार जनवरी, 2016 से मुख्यमंत्री सैनिक कल्याण कोष से अनुग्रह अनुदान राशि के हकदार हैं। पहली अप्रैल, 2014 से युद्ध जागीर की राशि को 2000 रुपए से बढ़ाकर 5000 रुपए प्रतिवर्ष किया गया है। वीरता पुरस्कार विजेताओं को राज्य के अंदर डीलक्स और पथ परिवहन निगम की बसों में निःशुल्क यात्रा की सुविधा प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा कि दूसरे विश्व युद्ध के सेवानिवृत्त सैनिकों को मिलने वाली वित्तीय सहायता को पहली अप्रैल, 2015 से दो हजार से बढ़ाकर तीन हजार प्रतिमाह किया गया है। अनुग्रह अनुदान राशि में 25 मई, 2015 से संशोधन किया गया है। अब युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिकों के परिजनों को पांच लाख रुपए अनुग्रह राशि, युद्ध के दौरान 50 प्रतिशत या इससे अधिक विकलांगता होने पर 1.50 लाख रुपए, 50 प्रतिशत से कम विकलांगता पर 75 हजार रुपए तथा युद्ध के दौरान शहीद हुए अर्धसैनिक बलों को 1.50 लाख रुपए, जबकि शारीरिक विकलांगता पर 35 हजार रुपए प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि पूर्व सैनिकों अथवा उनकी विधवाओं जिनकी आयु 60 वर्ष से ऊपर है और उन्हें किसी भी प्रकार की पेंशन नहीं मिल रही है, को वित्तीय सहायता (वृद्धावस्था पेंशन) प्रदान करने के लिए वार्षिक आय सीमा (मनरेगा की आय छोड़कर) 15 हजार से बढ़ाकर 35 हजार रुपए प्रतिवर्ष की गई है।
पूर्व सैनिक लीग का साथ
दिल्ली में गुरुवार को आयोजित की गई संयुक्त प्रेस वार्ता कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव अंबिका सोनी ने बुलाई थी। इसमें हिमाचल व उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों के साथ पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह, राष्ट्रीय सचिव आशा कुमारी व प्रवक्ता सुरजेवाला मौजूद थे। पूर्व जनरल सतवीर सिंह खास तौर पर इस दौरान मौजूद रहे, जिन्होंने उत्तराखंड, पंजाब व अन्य राज्यों में पूर्व सैनिक लीग की तरफ से कांग्रेस को चुनावों में समर्थन करने का ऐलान किया है। सतवीर सिंह 571 दिनों से जंतर-मंतर पर मोदी सरकार के विरोध में धरने पर बैठे हैं।
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