प्रदेश में तीन गुना बढ़ेगा खनन

By: Jan 22nd, 2017 12:02 am

माइनिंग अफसरों से मांगी रिपोर्ट, रेत-बजरी खनन में होगी बढ़ोतरी

 शिमला— हिमाचल में माइनिंग को तीन गुना बढ़ाने की तैयारी है। इसे लेकर जिलों में तैनात माइनिंग अफसरों से उद्योग विभाग ने राजस्व रिपोर्ट मांगी है। दरअसल, हिमाचल में 1952 की अधिसूचना के बाद वनरहित भूमि भी वन भूमि के रिकार्ड में दर्ज है, जबकि सरकारी बंजर भूमि को भी वन भूमि का ही नाम दिया गया है। ताजा कवायद के तहत राजस्व विभाग की मदद से इसका पूरा रिकार्ड तैयार किया जाएगा, जिसके बाद जिला स्तर पर जो संयुक्त निरीक्षण किए जाते हैं, उसी के जरिए पूरी औपचारिकताएं निभाने के बाद इन्हें नीलाम किया जाएगा। विभाग का दावा है कि इससे सरकार का राजस्व तीन गुना बढ़ सकता है, वहीं निर्माण सामग्री बड़े स्तर पर प्रदेश में ही उपलब्ध होगी। इसके मूल्य में भी कमी आएगी और रोजगार अलग से पैदा होगा। हिमाचल में अभी तक रेत व बजरी बड़े स्तर पर या तो सीमांत क्षेत्रों से आती है या फिर पड़ोसी राज्यों से। सर्वेक्षणों के बाद ऐसी भूमि का भी प्रयोग संभव होगा, जहां खनिज पर्याप्त मात्रा में तो मौजूद हैं, मगर उनका दोहन संभव नहीं हो सका था। हालांकि केंद्र सरकार ने सैंड माइनिंग पर 15 जनवरी, 2016 को ही अधिसूचना जारी कर दी थी, मगर हिमाचल में यह कवायद अब ऐसी भूमि पर शुरू की जा रही है, जो अभी तक अलग-थलग पड़ी थी। सूत्रों का दावा है कि ऐसी ही भूमि पर खनन माफिया अभी तक हाथ साफ करता रहा है, जिससे राज्य सरकार को करोड़ों का चूना लगता आया है। उद्योग विभाग के माइनिंग विंग के जरिए राज्य सरकार हर साल औसतन 135 से 140 करोड़ का राजस्व हासिल करती है। अधिकारियों का दावा है कि नई तैयारी के बाद इसमें तीन गुना की बढ़ोतरी संभावित है। इसके दायरे में प्रदेश के वे जिले भी आएंगे, जहां अभी तक खनन के लिए बड़े स्तर पर प्रयास नहीं हो सके थे। यह पूरा कार्य नॉन-फोरेस्ट पर्पज के लिए होगा, जिसकी मंजूरियां वन मंत्रालय से ही नीलामी के बाद ठेकेदारों को हासिल करनी होंगी।


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