बर्फ के इंतजार में सूख गया सेब

By: Jan 6th, 2017 12:05 am

रिकांगपिओ —  इस बार के सर्दियों का पहला चरण बीतने को है, लेकिन अब तक कृषि व बागबानी की दृष्टि से आवश्यकता अनुसार बर्फबारी नहीं होने से सेब बाहुल क्षेत्र किन्नौर के किसानों व बागबानों के चेहरों पर चिंता की लकीर साफ झलकने लगी है। क्रिसमस व नए साल के प्रथम सप्ताह में किन्नौर के ऊंचाई वाले कुछ एक क्षेत्रों में ही थोड़ी बहुत बर्फबारी का दौर तो अवश्य देखा गया, लेकिन उसे सेब की आगामी अच्छी पैदावार के लिए नाकाफी ही माना जा रहा है। किन्नौर जिला के जिन क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा है उन क्षेत्रों में तो इन दिनों सेब के पौधों में सिंचाई तक की जा रही है, ताकि पौधों में पर्याप्त नमी बनाई जा सके। गौर रहे कि किन्नौर जिला के अधिकांश क्षेत्र में सिंचाई के द्वारा ही सेब की खेती की जाती है। यहां के किसानों व बागबानों को डर है कि यदि सर्दियों में आवश्यकता अनुसार बर्फबारी नहीं होती है तो आने वाले मई, जून, जुलाई के महीनों में सिंचाई के लिए पानी की असुविधा पेश आ सकती है। यह दिगर है बीते वर्ष जिला कि न्नौर में सर्दियों के दौरान कम बर्फबारी के कारण किन्नौर के शीत मरूस्थलीय क्षेत्रों में तो मई, जून, जुलाई के महीने में बागबानों को सिंचाई के लिए खासी असुविधाएं उठानी पड़ी थीं। बहरहाल आशा के मुताबिक बर्फबारी न होने से बागबानों की बढि़या सेब की फसल की उम्मीद धराशायी होने लगी है। उनके अनुसार इस साल पर्याप्त बर्फबारी नहीं होती है तो उन्हें काफी नुकसान का सामना करना पड़ेगा।

पर्याप्त नमी का होना जरूरी

पंकज शर्मा चीफ साइंटिस्ट बागबानी अनुसंधान केंद्र शारबो रिकांगपिओ का कहना है कि सेब के पौधों को 12 सो घंटे सात डिग्री से नीचे तापमान का रहना बहुत जरूरी रहता है। इससे पौधों में बीमारियों के पनपने की संभावनाएं कम रहने के साथ-साथ अच्छी पैदावार की संभावनाएं अधिक बनी रहती हैं। पौधों में पर्याप्त मात्रा में नमी का बना रहना बहुत जरूरी होता है। उन्होंने बागबानों को सलाह दी है कि जब तक बागीचे में पर्याप्त नमी न हो तब तक तोलिया आदि का कार्य न करें।


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