साक्षात्कार प्रक्रिया पर विराम का वक्त
( डा. बलदेव सिंह नेगी लेखक, एचपीयू में परियोजना अधिकारी हैं )
हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग से जो भी भर्तियां हों, अन्य राज्यों की भांति सौ प्रतिशत और हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग में भी कुछ भर्तियों के आलावा सभी से साक्षात्कार को हटाना होगा। यह प्रदेश के पढे़-लिखे और मेहनती युवाओं के साथ न्याय होगा, वहीं प्रदेश को योग्य और प्रतिभाशाली कर्मी मिलने के आसार बढ़ेंगे…
निस्संदेह 29 तारीख की ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री ने विद्यार्थियों, अभिभावकों व शिक्षकों के साथ विभिन्न प्रकार की परीक्षाओं के समय होने वाली परेशानियों को समझने का प्रयास किया है। इसमें दो राय नहीं कि वर्तमान में युवा कई प्रकार की परीक्षाओं के तनाव को झेलता है और यह तनाव बच्चों से ज्यादा अभिभावकों को प्रभावित करता है। लेकिन इस लेख में एक दूसरे तनाव व परेशानी का जिक्र कर रहा हूं, जिससे देश व प्रदेश का युवा और उनके अभिभावक खासे परेशान हैं। हैरानी यह कि कुछ प्रांतीय सरकारें भी इसे अब तक नजरअंदाज करती आई हैं। हालांकि केंद्र सरकार द्वारा उन परेशानियों को समझते हुए सी व डी श्रेणी के पदों की भर्तियों में साक्षात्कार को समाप्त कर दिया है यानी लिखित परीक्षाओं के आधार पर ही अंतिम चयन निर्भर करेगा। यही नहीं, केरल जैसे राज्य ने तो कुछ राजपत्रित पदों तक की भर्ती में साक्षात्कार खत्म कर दिया है। अगर तमिलनाडु का उदाहरण लें, तो वहां पर मुख्यतः चार बोर्डों के माध्यम से ही भर्तियां होती हैं, जिनमें यूनिफोर्म सर्विस बोर्ड, मेडिकल सर्विस बोर्ड, शिक्षक भर्ती बोर्ड व तमिलनाडु लोक सेवा आयोग शामिल हैं। वहां पहले तीन बोर्डों में सौ प्रतिशत साक्षात्कार के बिना भर्तियां होती हैं, वहीं टीपीएससी में भी 85 प्रतिशत भर्तियां बिना साक्षात्कार के ही होती हैं।
इसके साथ-साथ तेलंगाना, उत्तर प्रदेश व मणिपुर समेत कई राज्यों में शिक्षकों की भर्तियां लिखित परीक्षा की मैरिट के आधार पर बिना साक्षात्कार के होती हैं। यहीं नहीं, सार्वजनिक सेवा उपक्रमों और बैंकों में भी ये भर्तियां बिना साक्षात्कार के हो रही हैं, जिससे युवाओं का संबंधित भर्ती प्रक्रिया पर विश्वास बढ़ा है। साल 2015 में सितंबर माह में केंद्र सरकार द्वारा तमाम राज्यों के मुख्य सचिवों और मुख्यमंत्रियों को इस संबंध में दिशा निर्देश दिए गए थे कि प्रशासन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए जो भी गु्रप सी व डी की भर्तियां हों, को बिना साक्षात्कार से कराने के लिए कदम उठाए, लेकिन डेढ़ साल गुजर जाने के बाद भी कहीं न कहीं हिमाचल प्रदेश इस सोच को धरातल पर उतारने से हिचकता रहा है। हालांकि हिमाचल प्रदेश सरकार ने सुशासन व पादर्शिता को सुनिश्चित करने हेतु लोक सेवा गारंटी-2011 व प्रशासनिक कार्यों में हलफनामे के उन्मूलन समेत कई ऐसे कदम उठाए हैं, लेकिन सी व डी श्रेणी की भर्तियों से साक्षात्कार को समाप्त करना समय की मांग है। आज प्रदेश के लाखों युवा दिन-रात एक करके प्रतियोगी परीक्षाएं उत्तीर्ण कर रहे हैं, लेकिन साक्षात्कार की तैयारी न करके नेताओं व नौकरशाहों के तलवे चाटने को मजबूर हो जाते हैं। इस उल्टी परंपरा में जहां अयोग्य लोग तंत्र में घुस रहे हैं, वहीं प्रतिभा अपनी हार का तमाशा देखती रह जाती है। अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों के युवा अपने घरेलू कार्यों के साथ-साथ अध्ययन में कड़ी मेहनत करते हैं। साथ ही ये सामाजिक और आर्थिक बाधाओं का सामना करने के बाद साक्षात्कार में कोई राजनीतिक-नौकरशाही पहुंच न होने के कारण कुंठित होने को मजबूर हैं। यही नहीं, जो अभिभावक अपने बच्चों की कड़ी मेहनत पर नाज करते हैं, साक्षात्कार के पड़ाव पर अपने आप को असहाय महसूस करते हैं।
बच्चे भी उन्हें यही जवाब देते हैं कि हमारे हाथ में दिन-रात पढ़ाई करना था, जो करके हमने परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है, अब आप देख लो साक्षात्कार का प्रबंधन। कई मर्तबा लिपिकीय वर्ग की भर्ती के साक्षात्कार में देखा गया कि साक्षात्कार लेने वाले व्यक्ति गैर मतलब के सवाल पूछ लेते हैं जैसे द्वंद्वात्मक भौतिकवाद क्या है? या सहायक आचार्य की भर्ती में प्रश्न पूछा जाता है-आप के विधायक के बाल कैसे हैं लंबे या घुंघराले? जिससे प्रतिभागी वहीं समझ जाता है कि यह साक्षात्कार मेरी मैरिट के आधार पर न हो कर भाई-भतीजावाद व राजनीतिक आधार पर हो रहा है और उसे बाहर करने के लिए है। कई बार एक सच्चे और विशुद्ध साक्षात्कारकर्ता के लिए भी स्थिति चिंताजनक हो जाती है, जब एक पद के लिए कई प्रकार की सिफारिशें आती हैं। दूसरी तरफ उच्च योग्यता वाले व्यक्तियों की भी कोई कमी नहीं होती और न चाहते हुए भी उसे बाहर निकालना पड़ता है। इस प्रकार से समाज में तिहरा प्रभाव पड़ता है एक काबिल इनसान को नकारा जाता है, दूसरा लोगों का प्रशासन और प्रक्रिया दोनों से विश्वास उठ जाता है तीसरा जिस सुशासन और पारदर्शिता की ढींगें बार-बार बड़े मंचों से नेताओं द्वारा मारी जाती हैं, उनकी भी कलई उतर जाती है।
इसलिए हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग से जो भी भर्तियां हों, अन्य राज्यों की भांति सौ प्रतिशत और हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग में भी कुछ भर्तियों के आलावा सभी से साक्षात्कार को हटाना होगा। यह प्रदेश के पढे़-लिखे और मेहनती युवाओं के साथ एक बड़ा न्याय तो होगा ही, साथ में प्रदेश को भी योग्य और प्रतिभाशाली कर्मियों के मिलने के आसार ज्यादा बढ़ेंगे। इन्हीं योग्य कर्मियों के कंधों पर प्रदेश के विकास की बागडोर आश्रित होती है। यही नहीं, साक्षात्कार के उन्मूलन से जहां लोगों की सरकार की कार्य प्रणाली पर विश्वास बढ़ेगा, वहीं प्रदेश के युवा भी कड़ी मेहनत के लिए उत्साहित होंगे। सही मायनों में जन की बात नेताओं के मन की बात में तबदील होगी। पिछले तीन-चार महीनों में प्रदेश मंत्रिमंडल की जब भी बैठक होती है, दैनिक सामाचार पत्रों में छिटपुट खबर आती है कि इस बैठक में सी व डी श्रेणी के पदों के लिए साक्षात्कार खत्म हो सकता है, लेकिन इस मार्फत सरकार के कोई सार्थक और गंभीर प्रयास नहीं हुए हैं और न ही विपक्ष इस मुद्दे पर कोई गंभीर दबाव बना पाया है। सरकार यदि ऐसा कोई फैसला लेती है, तो इससे प्रदेश की मानवीय संपदा का जहां गुणात्मक विकास होगा, वहीं प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत की भी स्थापना होगी।
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