हिमाचल में हर साल मर्डर की सेंचुरी
देवभूमि में 2006 से 2016 तक 1308 कत्ल की वारदात
पालमपुर— देवभूमि में पिछले 11 वर्षों से हर साल कत्ल की 100 से अधिक वारदातें सामने आ रही हैं, वहीं हत्या के प्रयासों के मामलों की संख्या भी सालाना पांच दर्जन से अधिक रह रही है। बीते एक दशक की तर्ज पर 2016 में भी यह क्रम जारी रहा और कत्ल के 101 मामलों के साथ हत्या के प्रयास के 66 मामले दर्ज किए गए। हालांकि राहत की बात यह है कि पिछले साल कत्ल के मामलों का आंकड़ा 11 साल में सबसे कम रहा है। पिछले 11 साल में मर्डर की सबसे अधिक वारदातें 2010 में सामने आई थीं, जब 132 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। हर साल सामने आने वाले अटेंप्ट टू मर्डर के मामलों को भी जोड़ा जाए तो इन घटनाओं का ग्राफ 200 के करीब पहुंच जाता है जो कि शांत माने जाने वाले प्रदेश के लिए निश्चित तौर पर चिंता का विषय है। प्रदेश में 2006 से लेकर 2016 की अवधि में मर्डर के 1308 मामले विभिन्न पुलिस थानों में दर्ज किए गए, वहीं कत्ल के प्रयास के मामलों की संख्या 716 रही। आंकड़े बताते हैं कि 2016 में मर्डर के सबसे अधिक 21 मामले जिला कांगड़ा में सामने आए तो शिमला में बीते साल 17 लोगों का खून हुआ। दस वारदातों ने जिला ऊना को हिलाया तो सोलन और मंडी में हत्या के नौ-नौ मामले सामने आए। लाहुल-स्पीति में कत्ल का एक भी मामला सामने नहीं आया तो जिला सिरमौर में दस मामले दर्ज किए गए। कुल्लू में छह, हमीरपुर और किन्नौर में चार-चार तथा बिलासपुर और चंबा में बीते साल कत्ल के तीन-तीन मामले सामने आए। बीबीएन थाना के अंतर्गत हत्या के आठ और हत्या के प्रयास के दो मामले बीते साल दर्ज किए गए।
आंकड़े
साल हत्या कोशिश
2006 111 78
2007 127 57
2008 129 59
2009 125 73
2010 132 75
2011 130 50
2012 113 53
2013 104 77
2014 130 63
2015 106 65
2016 101 66
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