अब आईजीएमसी में होगा टीबी का इलाज

शिमला — आईजीएमसी में एमडीआर सेंटर को बनाने की कवायद शुरू हो गई है। यह सेंटर खास तौर पर टीबी के मरीजों के इलाज के लिए खोला जा रहा है। एमडीआर सेंटर का निर्माण आईजीएमसी में ओटी के  साथ किया जाना है। यहां पर पुराने ढांचे को हटाकर एमडीआर सेंटर का निर्माण किया जाना है। अस्पताल ने सेंटर के निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस सेंटर के बनने से अब आईजीएमसी में टीबी के मरीजों के भी इलाज की सुविधा प्राप्त होगी। वर्तमान में टांडा में तपेदिक के मरीजों के इलाज के लिए डाक्टर राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कालेज टांडा में आधुनिक कल्चर लैब स्थापित की गई है। इसके साथ ही एमडीआर के लिए टांडा में उपचार केंद्र खोला गया है। इसी तर्ज पर आईजीएमसी में भी सेंटर खोला जा रहा है। इस सेंटर में तपेदिक रोग से पीडि़त लोगों का इलाज  किया जाएगा।

क्या है एमडीआर

चिकित्सकों के मुताबिक समय पर पूरी दवाइयां न लेने पर  कुछ दवाइयों का टीबी के रोगाणु पर असर नहीं हो पाता। तब एमडीआर टीबी यानी अनेक दवाइयों के असर को रोकने वाली टीबी हो जाएगी। एमडीआर-टीबी के रोगियों का उपचार विशेष दवाइयों से किया जाता है। इन दवाइयों के दुष्परिणाम अधिक होते हंै और यह सामान्य दवाइयों से 100 गुना महंगी होती हैं। उपचार में छह-आठ महीने की बजाय 24-26 महीने लग सकते है। दवाई प्रतिरोध उन लोगों में अधिक होता है, जो  दवाइयां नियमित रूप से नहीं लेते।