एचपीएमसी ने नहीं दी थी बैंक गारंटी

शिमला – भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री नरेंद्र बरागटा ने सीए स्टोर को लेकर प्रदेश कांग्रेस सरकार और जुब्बल कोटखाई के विधायक रोहित ठाकुर पर ओछी राजनीति करने का आरोप लगाया है। नरेंद्र बरागटा ने कहा कि 22 सितंबर को केंद्र सरकार ने एपीडा के माध्यम से हिमाचल प्रदेश में तीन सीए स्टोर जिला चंबा के चुरह, शिमला के खड़ापत्थर और कुल्लू जिला के पतलीकूहल में स्थापित करने की मंजूरी प्रदान की। 20 अक्टूबर 2015 को एचपीएमसी और एपीडा के बीच इन सीए स्टोर के निर्माण के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया, जिसकी निर्माण लागत पर 40 प्रतिशत बैंक गारंटी एचपीएमसी द्वारा करने का प्रावधान था, लेकिन एचपीएमसी द्वारा एपीडा को अपनी वित्तीय स्थिति ठीक न होने का हवाला देकर बैंक गारंटी देने में असमर्थता जताई और प्रदेश सरकार के विश्वास पर 40 फीसदी बैंक गारंटी पर छूट मांगी गई। किंतु बिना बैंक गारंटी के नियमानुसार इस योजना को कार्यान्वित नहीं किया जा सकता था और इसीलिए एपीडा ने 22 दिसंबर, 2015 को बैंक गारंटी की सीमा को 40 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत किया, लेकिन उस पर भी एचपीएमसी ने बैंक गारंटी देने से असमर्थता जताई और दस प्रतिशत बैंक गारंटी देने का प्रस्ताव दिया, जिसे एपीडा ने स्वीकार कर दिया और 20 सितंबर, 2016 को एपीडा ने एचपीएमसी को संशोधित एमओयू स्वीकृति पत्र के साथ भेज दिया, लेकिन प्रदेश सरकार और एचपीएमसी द्वारा 14 महीनों तक स्वीकृत सीए स्टोर के प्रोजेक्ट को अपनी लापरवाही और ढुलमुल रवैये द्वारा लटकाया गया। उन्होंने कहा कि इसकी स्टेट्स रिपोर्ट एपीडा को समय रहते नहीं दी गई और अब कांग्रेसी नेता इस पर राजनीति करने पर उतर आए हैं, जो शर्मनाक है। श्री बरागटा ने कहा कि जुब्बल कोटखाई के विधायक रोहित ठाकुर को इस तरह के आरोप लगाने से पहले अपने गिरेबान में झांक कर देखना चाहिए। नरेंद्र बरागटा ने कांग्रेस नेताओं को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि उन्होंने गुम्मा गत्ता फैक्टरी को लेकर राजनीति बंद नहीं की और यह कहना बंद नहीं किया कि इस फैक्टरी को कोढि़यों के भाव बेचा गया तो वह कांग्रेस नेताओं के खिलाफ मानहानि का मुकद्दमा न्यायालय में दर्ज करंेगे, जिस गुम्मा गत्ता फैक्टरी का आलाप कांग्रेसी नेता कर रहे हैं, उसमें ताला उनके कुप्रबंधन से लग चुका था और उन्होंने तो वहां पर क्षेत्र के युवाओं के लिए इंजीनियरिंग कालेज खोला और इस मामले में कांग्रेस सरकार दो बार जांच कर चुकी है।