कुल्लू में 85 फीसदी घटी जमीन की खरीद

नोटबंदी का असर, आठ नवंबर से चार जनवरी के बीच महज 16 रजिस्ट्रियां

कुल्लू— नोटबंदी के बाद कुल्लू में जमीन खरीद-फरोख्त में 85 फीसदी की कमी आ गई है। आठ नबंवर से चार जनवरी के बीच कुल्लू में महज 16 रजिस्ट्रियां ही हो पाई हैं, जबकि नोटबंदी से पहले हर दिन दो से तीन रजिस्ट्रियां कुल्लू में हो रहीं थीं। इस लिहाज से यदि नोटबंदी के बाद अब तक (चार जनवरी) दो रजिस्ट्रियां भी इन 55 दिनों में होती तो यह आंकड़ा 110 होना था, मगर इन 55 दिनों में महज 16 रजिस्ट्रियां ही हो पाई हैं। दूसरी ओर नोटबंदी के बाद कुल्लू में जहां एक तरफ जमीन रेट गिरे हैं, वहीं लोगों का जमीन खरीदने की तरफ भी रुझान कम हुआ है। कुल्लू के मठ में जहां नोटबंदी से पहले जमीन के दाम साढे़ चार लाख रुपए बिस्वा थे। नोटबंदी के बाद यह दाम गिरकर मात्र डेढ़ लाख बिस्वा तक पहुंचे गए हैं। कुल्लू के प्रापर्टी डीलर्ज की मानें तो नोटबंदी के बाद उनके काम में भी काफी कमी आई है। हालांकि कुल्लू में कई लोगों की जमीन व घर फोरलेन की चपेट में आ रहे हैं। ऐसे में उम्मीद थी कि कुल्लू में जमीनों की खरीद-फरोख्त का कार्य एकदम से बढ़ेगा, लेकिन नोटबंदी के बाद इस पर ब्रेक लग गई है। नोटबंदी के चक्कर में लोग जमीन नहीं खरीद पा रहे हैं। हालांकि बैंकों में स्थिति सामान्य हो गई है, लेकिन लोगों को मात्र 24 हजार रुपए मिलने से दिक्कत आ रही है, जिस कारण जमीन भी नहीं खरीदी जा रही है। जमीन खरीदने वालों के पास पर्याप्त पैसा नहीं है। जमीन खरीदने वालों के पास रजिस्ट्री करने के लिए भी पैसा पूरा नहीं हो पा रहा है। दो माह में मात्र 16 रजिस्ट्रियां होने से सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि नोटबंदी की कुल्लू जिला को कितनी मार पड़ी है। लिहाजा रजिस्ट्रियों का कामकाज तहसीलों में ठप हो गया है। जिला मुख्यालय कुल्लू ही नहीं, बल्कि जिला की सभी तहसीलों में रजिस्ट्रियां नहीं हो पा रही हैं।