केंद्र में अटके 29 सोलर प्रोजेक्ट

तीन साल से मंजूरी नहीं, सरकारी भवनों-निजी संस्थानों में लगने हैं प्लांट

शिमला— सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए अन्य राज्यों की तरह हिमाचल को भी एक बड़ा टारगेट दिया गया है, लेकिन इसमें केंद्रीय नव एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय भी पूरी तरह से मदद नहीं कर रहा है। हिमाचल में बेशक सौर ऊर्जा पर आधारित बड़े प्रोजेक्ट नहीं लगे हैं, परंतु यहां छोटे प्रोजेक्टों के लिए काफी संभावनाएं हैं। ऐसे में केंद्र सरकार का मंत्रालय यदि मदद करे तो ये प्रोजेक्ट लग सकते हैं। हैरानी की बात है कि तीन साल पहले 29 प्रोजेक्टों की डीपीआर केंद्रीय मंत्रालय को भेजी गई थी। ये सौर ऊर्जा के प्रोजेक्ट सरकारी विभागों व निजी संस्थानों में लगने थे, मगर अब तक इनकी स्वीकृति हासिल नहीं हो सकी है। इससे यहां सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाने में झटका लगा है। लगातार इस मामले को केंद्रीय मंत्रालय के साथ उठाया जाता रहा है, परंतु वहां से कोई मदद नहीं हो रही है। सूत्र बताते हैं कि इस संबंध में सरकारी एजेंसी हिम ऊर्जा ने फिर से मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बात की है, जिन्हें आश्वासन तो दिया गया है, लेकिन नतीजा कब तक निकलेगा, पता नहीं। प्रदेश के कई सरकारी विभागों के भवनों में सौर ऊर्जा के प्रोजेक्ट स्थापित हुए हैं, जिससे आज सरकार को राजस्व का भी लाभ मिल रहा है, क्योंकि बिजली पर जितना खर्चा इन्हें करना पड़ता था, वह नहीं करना पड़ रहा। यहां राज्य सचिवालय समेत, राजभवन, विधानसभा परिसर व दूसरे कई विभागों में सौर ऊर्जा के प्रोजेक्ट स्थापित किए जा चुके हैं। इसी तरह से अभी कई और महकमों ने इसे स्थापित करने की डिमांड रखी है, लेकिन तीन साल से मामला खटाई में पड़ा हुआ है। जिन प्रोजेक्टों की डिमांड केंद्र के पास लंबित पड़ी हैं, उनमें एक किलोवाट से लेकर 100 किलोवाट क्षमता तक के प्रोजेक्ट हैं। कई निजी संस्थानों ने भी हिम ऊर्जा को इसकी डिमांड भेज रखी है, जो कि लगातार संपर्क साध रहे हैं, मगर हिम ऊर्जा के अधिकारी भी अब जवाब देने में असमर्थ हैं। तीन साल में केंद्र में लंबित इन प्रोजेक्टों को यदि मंजूरी मिलती तो यहां सौर ऊर्जा का दोहन हो सकता था।